Saturday 1 February 2020

आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...

आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
बातों की... विचारों की...
कुछ कहने की आज़ादी
सब झेलने की आज़ादी
माना भारत देश के संविधान में
19(1) के तहत दी है सबको
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
पर इसका मतलब क्या है
तुम देश विरोधी नारे दोगे,
भारत माँ के सीने पर तुम
रोज आतंकवाद का खेल रचोगे,
खुलवा आधी रात को संसद के दरवाजे
तुम आतंकवादियों के मसीहा बनोगे,
क्या यही है तुम्हारी
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
बलात्कारियों की तुम वक़ालत करोगे
नाबालिग कह कर उसको
मशीन और पैसे दोगे
अरे सोचों एक बार ज़रा तुम
नाबालिक होकर जिसने
किया ऐसा कुकृत्य है
बालिग़ हो गया जो वो तो
कितना विध्वंश मचायेगा,
ना जाने कितनी निर्भया
अभी और लूटी जाएगी,
ना जाने कितने ही माँ बाप यहाँ
इन्साफ़ के इंतजार में मर जायेंगे,
अन्याय का यूं साथ देने वालों
क्या यही है तुम्हारी
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
हर घर से अफजल पैदा करने वाले को
देश का हीरो बना दिया,
भारत के टुकड़े करने वालों को
भौंकने को ज़िंदा छोड़ दिया,
हर देश द्रोही के साथ यहां
खड़ा ये मानवाधिकार आयोग है,
न्यायपालिका यहाँ की मौन है,
न्याय वयवस्था बड़ी कमजोर है,
देश के कानून को रौंदने वालों
क्या यही है तुम्हारी
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
लूटी जो अस्मत लड़की की
तुम रहे ख़ामोश सदा,
हैदराबाद के एक एनकाउन्टर मे
मुर्दे भी सारे बोल पड़े,
पहना कर कानून के आँखों में काली पट्टी
बहुत खेली तुमने आँख मिचोली,
अफजल, कन्हैया, ओवैसी
के आतंकवाद के खुले ऐलान
पे चुप्पी साधे लोग,
गोपाल की एक गोली पर
विधवा विलाप मचाने वाले,
क्या यही है तुम्हारी
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
कहीं तिरंगे का अपमान हुआ,
कहीं गौ माता का वध हुआ,
कभी जन गण और वंदे मातरम का
खुल कर विरोध हुआ,
राष्ट्र गान के सम्मान में जिनको
खड़े होना भी गंवारा नहीं,
बात जहां भी हो देशप्रेम और हिन्दुत्व की
सैकड़ों फन मचलने लगते हैं
आता है क्रोध बहुत तब जब ऐसी हालत में
ज़हर उगलने वाले पत्रकर मौन हो जाते हैं
देशद्रोह भरा है मन में जिनके
और अपनी बातों से सबको ये लड़वाते है
क्या यही है तुम्हारी
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
मैं कहती हूँ जब खुले गगन मे
तिरंगा खुल कर लहराएगा
जब घर घर में गौ माता पूजी जाएगी,
जब घर से निकली बेटी
साँझ ढले घर को सुरक्षित आएगी,
तब सही मायनों में होगी यारों
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
जब देश की कोई गली
इतनी भी सम्वेदनशील ना हो
कि वंदे मातरम के नारे से
कोई चंदन गुप्ता मारा जाए,
भारत के टुकड़े करने वालों को
टुकड़ों में बांटा जाए,
तब सही मायनों में होगी यारों
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
जब सरहद के वीर सिपाही
गली के गुंडे ना कहलाएं,
आए जो इस देश पर कोई मुसीबत
सब मिल कर यलगार लगाए,
जब जाति धर्म से ऊपर उठ कर,
देश की रक्षा सबका ईमान बन जाए,
तब सही मायनों में होगी यारों
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
जब कश्मीरी पंडितों को
पुनर्वास करवाया जाएगा,
जब शाहीन बाग में बरस रही अल्लाह की मेहर
भूखों का निवाला बन जाएगी,
तब सही मायनों में होगी यारों
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...
जब हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को
फ़िर से गले लगाएंगे,
जिन्हें भारत से प्यार नहीं,
उनको भारत में रहने का अधिकार नहीं,
भंग करे जो शांति यहां की
उन्हें जन्नत की सैर कराएंगे,
अन्याय का साथ जो दे यहां
उन्हें उनकी औकात दिखाएंगे,
देशद्रोहियों को सबक सिखाने के ख़ातिर
करें कानून को सख्त जरा जो,
तब सही मायनों में होगी यारों
आज़ादी..., अभिव्यक्ति की...


#SwetaBarnwal





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