Sunday 26 April 2020

हाँ मैं हिन्दू हूँ... 🚩

मैं हिन्दू हूँ,
भारत माँ के मस्तक का
मैं एक चंद्र बिंदु हूँ,
शोभा हूँ, श्रृंगार हूँ,
भारत का मैं गौरव हूँ,
अतीत हूँ, वर्तमान हूँ,
मैं ही भारत का भविष्य हूँ

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

हर वक़्त अमन और चैन की बात मैं करता रहता हूँ,
हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का राग अलापता रहता हूँ,
हजारों बार लुटने पर भी और लुटने की हिम्मत रखता हूँ,
Secular बन अपने ही भाई बहनों को मैं डसता हूँ,

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

वो घर में मेरे आग लगाए
और मैं वसुधैव कुटुम्बकम की बात करता हूँ,
वो आतंकवाद का नंगा नाच करते हैं
और मैं सौहार्द की ढाल रखता हूँ,
कभी पेट्रोल बम तो कभी Corona बम लेकर आते हैं
और मैं भीगी बिल्ली सा कहीं कोने में छुप जाता हूँ,

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

धमनियों मे बह रहा खून मेरा अब पानी हो गया है,
घुट घुट कर जीने का ही नाम जवानी हो गया है,
एक ललकार पर निकल पड़े सभी ये ख्याल अब बेमानी हो गया है,
बप्पा रावल की तलवार बस एक कहानी हो गया है

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

धर्म रक्षा के ख़ातिर जो प्राण लुटाना जानते थे,
आज वो कश्मीरी मात्र शरणार्थी हो गए हैं,
हमारे धर्म का मजाक उड़ता रहा और मैं मौन रहा,
धर्म निरपेक्ष की दौड़ में बस मैं अकेला दौड़ पड़ा,

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

“अहिंसा परमो धर्मः" इतना तो मुझको याद रहा
"धर्म हिंसा तथैव च:” ना जाने ये कैसे भूल गया,
वो अफजल, अख़लाक़ और कसाब का चारा हमे बनाते रहे,
देश धर्म की बलिवेदी पर ना जाने क्यूँ अब तक मैं मौन रहा,

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

मर जाये ग़र कभी धर्म देश का,
कहते हैं वो देश भी ज़िन्दा नहीं रहता ज़मी पर,
हाँ कल तक थोड़ा मदहोश था मैं,
अपने ही ख्यालों में गुम बैठा हुआ सा,
पर मत सोचना कि मैं सोया हुआ हूँ,
बस तेरे क्रूर चालों से थोड़ा आहत पड़ा हूँ

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

जाग उठा हूँ आज मैं, अब तुम्हें जगाने आया हूँ,
हमको काफिर कहने वालों को मैं आज सुलाने आया हूँ,
बुजदिल थे वो जो देश धर्म को छोड़ कश्मीर से भागे,
हस्ती मिट्टी मे मिल जाती उनकी ग़र सौ भी हथियार उठाते,

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

अरे वो भी हिन्दू थे जिसने मातृभूमि पर अपने लाल लुटाये,
लड़ते लड़ते मिल गए मिट्टी में पर शीश नहीं झुकाए,
गोरी, गज़नी, अकबर, बाबर के अत्याचारों का प्रहार हूँ मैं,
पृथ्वीराज, प्रताप, शिवा का संबल इतिहास हूँ मैं,

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

ना जाने कितने ही ज़ुल्म सहे है मैंने,
दिल पर लगे ज़ख्म कैसे मैं दिखलाऊँ,
क्या क्या सहा है मैंने ये कैसे बतलाऊँ,
ना जाने कितनों ने ही लुटा है मुझको बारी बारी,
फ़िर भी देखो अब तक मैंने ना हिम्मत हारी,

हाँ मैं हिन्दू हूँ...

#SwetaBarnwal

Saturday 25 April 2020

हिन्दुत्व... 🚩

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

अरे अब तो जागो ऐ वीर सपूतों,
तोड़ो तुम आलस की बेड़ी को,
आन पड़ी है विपदा फ़िर से,
त्यागो तुम अपनी चिर निद्रा को,
भरो ऐसा ओज तुम अपने आने वाली पीढ़ी मे,
भारत माँ के शान के ख़ातिर चढ़ जाए वो बलिवेदी पे,
दिखे नहीं अब द्रोही ध्वज, भगवा ही अपनी शान है,
आतंकी टोली का अब रहे नहीं नाम - ओ-निशान है

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

जंग पडी जो तलवारों मे
उस पर अब धार चढ़ानी है,
आंख उठे जो हिन्दुत्व पे कोई,
उसको औकात दिखानी है,
कहाँ गई वो ओज प्रताप की,
जिसने अकबर को धूल चटाई थी,
कहाँ गई वो लक्ष्मी बाई,
जो चंडी बन दुश्मन पर लहराई थी,
कहाँ गई वो भगत, सुखदेव और राजगुरू की टोली है,
जिसने संसद में आग लगा कर दुश्मनों मे हड़कंप मचाई थी,
मचा हुआ है हाहाकार देश में,
और तूने है सर पर चादर तानी,

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

करते रहो तुम बातेँ गंगा जमुना तहजीब की,
और सिखाओ अपने बच्चों को हिंदू मुस्लिम भाई भाई,
ये बम के गोले फेंकेगे, तुम हाथ जोड़े प्रणाम करो,
अपनी कायरता का तुम नतमस्तक हो सम्मान करो,

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

आख़िर कब तक तुम बातेँ करोगे भाई चारे और प्रेम की,
कब तक ईद की मुबारक बात देने उसके जाओगे,
कब तक love zihad मे अपनी बहन बेटियों को नीलाम करोगे,
कब तक आतंकवाद का नंगा नाच तुम देखोगे,
आख़िर कब तक भारत के टुकड़े करने वालों को हम सर का ताज बनाएंगे,

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

कब तक मुस्लिम तुष्टीकरण के ख़ातिर बलि तुम्हारी दी जाएगी,
कब तक 30% मुस्लिम वोट बैंक 70% हिन्दुओं को धूल चटाएंगे,
आख़िर कब तक हम नेताओं के हाथों की कठपुतली बन कर नाचेंगे,
भारत पाक के मैच में वो पाक के जीत का जश्न मनाता है,
हमारे टैक्स के पैसों से देखो वो अपनी आबादी बढ़ाता है,

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

भूल गए क्या तुम भारत माँ के उन टुकड़ों को,
जब भी माँ का अंग कटा, एक नया इस्लामिक राष्ट्र बना,
लगता है भूल गए तुम 47 के उस बंटवारे को,
पूरी ट्रेनें भर कर आई थी हिन्दुओं की लाशों से,
अरे छोड़ो उन दिनों की बातों को, मैं आज की बात बताती हूँ,
खाते हैं ये भारत का और गुणगान पाक का गाते हैं,

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

जिस थाली में खाते हैं ये उसी मे थूक कर फिर जाते हैं,
भारत माँ की छाती पर ये आतंकवाद फैलाते हैं,
जब भी मौका मिलता है ये विद्रोही हो जाते हैं,
भारत के टुकड़े करने का ये ख्वाब सजाये फिरते हैं,

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

महादेव का आह्वान करो, वाणी मे अपने ओज भरो,
दुष्टों से पट जाए धरती, महाकाल सा काल बनो,
कोलाहल मच जाए जग में ऐसी तुम हुंकार भरो,
भारत के टुकड़े करने वालों का अब तुम स्वयं संहार करो,
गद्दारों के लहू से रक्त रंजीत हो जाए ये भूमि ऐसा तुम प्रहार करो

अब तो जागो हिन्दुओं, कि मैं तुम्हें जगाने आई हूँ...

#SwetaBarnwal

Saturday 4 April 2020

COVID-19

जीवन देने वालों को भी
ये मौत बांटते फिरते हैं,
किस नस्ल की पैदाइश हैं ये
बुरे दौर में भी ये आतंकवाद फैलाए चलते हैं,

सारी दुनिया जिस virus के सामने
घुटने टेक कर बैठ गई,
हर विकसित देश भी जिस के आगे हुआ आज लाचार है,
लाशों का देखो कैसे चारों ओर लगा हुआ अंबार है,

भारत भी ईन सबसे भला
कहाँ रहा अछूता था,
स्थिति विकट ना हो जाए
सरकार ने तुरंत कदम कड़े उठाए
दिया आदेश lock-down का
आख़िर देश को बचाना था
नैया भँवर मे डोल रही थी
सकुशल पार लगाना था
स्थिति विकट थी, संसाधन सीमित
किया अनुमोदन देशवासियों से
करे अनुपालन कुछ बातों का
Social distancing का ध्यान रखें,
हाथों को हर पल sanitize करें,
ना निकलें घर से बाहर तब तक,
जब तक ना हो अति आवश्यक,
निकलो जब तुम घर से बाहर,
मुह पर मास्क और हाथों में दस्ताने हो
छोटी छोटी बातों पर जो ध्यान दिया जाता
मुमकिन है हर बाजी हम जीत ही जाते ,

कठिन ना था ये अमल करना,
आख़िर अपनी जिंदगी का था सवाल,
फ़िर क्यूँ आख़िर कुछ लोगों ने मचाया इस कदर बवाल,
जमात मे शामिल हुए, गुटबाजियां की,
चोरी छुपे मस्जिदों में पनाह ली
सरकार की हर रणनीति को दरकिनार किया,
Social gathering को बढ़ावा दे
इस virus को फैलने का मौका दिया,

और तो और जब आए ये सरकार की नज़र में,
हर ओर फ़िर भयानक कोहराम मचाया,
कहीं किसी पे थूका, तो कहीं किसी को पीटा,
Nurses से अश्लीलता की, डॉ की धुलाई की,
देश के प्रहरी को पीटा, मर्यादा की हर सीमा लांघी,

आख़िर मकसद क्या है इनका,
क्यूँ मौत का बेच रहे सामान हैं ये,
क्या ये zehad के अंगार नहीं,
क्या ये मानव बम का विस्तार नहीं,
क्या यही सिखाता है मजहब इनका,
क्या इनका कोई उपचार नहीं...

आख़िर कब तक यूँ ही हम सहते जाएंगे,
कब तक हम मुह की खायेंगे,
आख़िर कब तक हम चुप चाप रहेंगे,
कब तक ये मौत का नंगा खेल रचेंगे,
इनकी हिम्मत तब तक है
जब तक हम ख़ामोश खड़े हैं
जिस दिन हम हिम्मत कर आगे बढ़ जाएंगे
उस दिन Corona के साथ अंत इसका भी हो जाएगा...

जय श्री राम.... 🙏🚩

#SwetaBarnwal 

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...