Thursday 29 November 2018

जब प्यार किसी से होता है...

ना रंग रूप की दीवार कोई
ना जात धर्म का बंधन कोई
ना दुनिया का जोर होता है
जब प्यार किसी से होता है...

ना उम्र की सीमा होती है,
ना पढ़े लिखे का भेद कोई
ना किसी की मर्ज़ी चलती है
जब प्यार किसी से होता है...

ना कोई स्वार्थ इसमे होता है,
ना रस्मों की दीवार कोई
ना जन्म का बंधन होता है
जब प्यार किसी से होता है...

ना कोई देश सरहद होता है 
ना ऊंच नीच का भेद कोई,
ना ही दूरी बाधा बनती है
जब प्यार किसी से होता है...

जब मन से मन मिल जाता है,
जब कोई दिल मे बस जाता है,
कुछ और नहीं भाता है हमको
जब प्यार किसी से होता है...

#SwetaBarnwal




साथी तुम हाथ बढ़ा देना...

चहूं ओर मेरे जब अंधियारा हो,
जब कोई ना अपना सहारा हो,
जब जीवन नैया डोल रही हो,
और कोई ना अपना खेवईया हो,

तब साथी तुम हाथ बढ़ा देना,
कुछ कदम संग मेरे तुम चल लेना,

जब मन मेरा अति व्याकुल हो,
जब ख़ुद से ही मैं हारा रहूँ,
जब साथ कोई ना साथी हो,
और तन्हाई की लंबी रातें हो,

तब साथी तुम हाथ बढ़ा देना,
कुछ कदम संग मेरे तुम चल लेना,

जब सामने कोई ना राह हो,
ना मंज़िल की पहचान हो,
जब हर मोड़ पे डर का डेरा हो,
मन के अंदर घनघोर अंधेरा हो,

तब साथी तुम हाथ बढ़ा देना,
कुछ कदम संग मेरे तुम चल लेना,

जब बाधाओं ने मुझको घेरा हो,
सारी दुनिया ने तन्हा छोड़ा हो,
जब हर ओर अविश्वास का साया हो,
आँखों में मेरे आँसू समाया हो,

तब साथी तुम हाथ बढ़ा देना,
कुछ कदम संग मेरे तुम चल लेना...

#SwetaBarnwal 

Monday 26 November 2018

यहाँ पत्थर दिल को ही पत्थर कहा गया है,
कहाँ हर दिल यहां शीशा हो पाया है,
दिल तोड़ने का शौख हर कोई रखता है,
कहाँ हर किसी को टूटे दिल के साथ रहना आया है...

#SwetaBarnwal

Thursday 22 November 2018

अनजान रिश्ता...

तेरा मेरा रिश्ता प्यारा सा पर अनजाना सा,
अपनों से भी अपना दुनिया से बेगाना सा,
वक़्त और ख़ुदा के सिवा ना है कोई गवाह,
बेतरतीब सी ज़िंदगी का है ये कोई ख़ुदा,
वो ना होते तो ज़िन्दगी इतनी हसीं ना होती,
कुछ मोहब्बत ऐसे भी होते हैं इस जहां मे
जिनका ना कोई वजूद होता है ना कोई मंज़िल,
बस उनके होने का एहसास कर जाता है जवां,
बहुत खूबसूरत होता है उनके साथ का एहसास,
मिल कर जिनसे ज़िन्दगी होती है बड़ी खास,
अधूरी है वो मोहब्बत फ़िर भी सुकून देती है,
अधूरी और बिखरी सी ज़िंदगी में नई जान देती है,

#SwetaBarnwal



सब को खुश रखते रखते
ख़ुद को खुश रखना भूल गए,
हम कोई बिता वक़्त ना थे,
जो सबकी यादों से धुल गए...

#SwetaBarnwal

Wednesday 21 November 2018

एक कोशिश...

ना तेरी शान घटी होती
ना ही तेरा रुतबा कम होता,
पीछे हटने की बजाय
जो तूने हक़ से कहा होता...
माना कि हम तुम से
थोड़े से नाराज़ हो बैठे थे,
रिश्ते ख़ुद ही सुलझ जाते
जो तूने एकबार मनाया होता...
माना खामोशियां
हर उलझन को सुलझा जाती है,
मगर रिश्तों में आई दरारें
तो बात करने से ही हल होती है...

#SwetaBarnwal

Tuesday 20 November 2018

याद...

आज फ़िर से तुम्हारी याद आई कुछ ऐसे... 



आज फ़िर से तुम्हारी याद आई कुछ ऐसे...
दिल में सोए हुए अरमां जगने लगे कुछ ऐसे,
तु मेरे करीब नहीं और मैं तेरी यादों से दूर नहीं,
आज फ़िर आँखों से बरसात हुई कुछ ऐसे,

आज फ़िर से तुम्हारी याद आई कुछ ऐसे...

बहुत दूर निकल चुका था वो शायद मुझसे,
हम आज भी उसी मोड़ पर खड़े थे कुछ ऐसे,
हाथों में मेरे अब उसका हाथ ना था,
रूह में अब भी शामिल था वो कुछ ऐसे,

आज फ़िर से तुम्हारी याद आई कुछ ऐसे...

मन में मेरे फ़िर से उमंगे जवां होने लगे,
हवाओं ने फ़िर वो साज़ छेड़ा आज कुछ ऐसे,
खुशबु वही फ़िर से फैली है फिज़ाओं मे,
कोई शीतल हवा तुम्हें छु कर आई कुछ ऐसे

आज फ़िर से तुम्हारी याद आई कुछ ऐसे...

तेरे लौट आने का जैसे इंतज़ार है इन आँखों को,
अरसा गुज़र गया पर वक़्त वहीं रुका हो जैसे,
वफ़ा करके भी वफ़ा पा ना सके हम उनसे,
अपनी किस्मत ही दगा दे गई शायद कुछ ऐसे,

आज फ़िर से तुम्हारी याद आई कुछ ऐसे...

ज़ख़्म फिर से हरे हो गए आज कुछ ऐसे,
आँख भर आई यार आज फ़िर किसी बात से,
क्यूँ हर को मोहब्बत नहीं मिलती मोहब्बत के बदले,
बस इसी बात पर आज फ़िर दिल टूटा कुछ ऐसे,

आज फ़िर से तुम्हारी याद आई कुछ ऐसे...

#SwetaBarnwal






Saturday 17 November 2018

दो पल का साथ

चलो फिर से समेटे उन लम्हों को,
जिसमे हम तुम साथ साथ थे
हाथों में मेरे तेरा हाथ था
कुछ कहे अनकहे जज़्बात थे
तुम थे हम थे, वो वादियां थी
और अपनी वो पहली मुलाकात थी...

हम तुम आमने सामने थे
चारों ओर सारा जमाना था
कुछ जाने कुछ अनजाने चेहरे थे
एक अनोखा सा एहसास था
दरमियाँ एक ख़ामोशी सी छाई थी
तुम थे हम थे, वो वादियां थी
और अपनी वो पहली मुलाकात थी...

होंठ ख़ामोश हुए बैठे थे,
आँखें बहुत कुछ कह रही थी
एक भय था अनजाना सा
दिल में उमंगों ने डेरा डाला था
अन्तर्मन में लहरें उठी हुई थी
तुम थे हम थे, वो वादियां थी
और अपनी वो पहली मुलाकात थी...

ना कोई वादा था ना कोई इरादा
ना पाने की खुशी ना खोने का गम
अनजान ना थे उस दो पल के साथ से
फ़िर भी दिल खुशियाँ बटोर रहा था
मन में मयूर सा नाच रहा था,
तुम थे हम थे, वो वादियां थी
और अपनी वो पहली मुलाकात थी... 

#SwetaBarnwal 


Friday 16 November 2018

बेमेल प्यार... 😜

उम्र तेरी है पचपन की
और मैं यौवना तीस की प्रिये
इश्क़ करना तेरे बस की बात नहीं,
ना ही तुम चाहो इसे निभाना प्रिये 
अब तो तुम्हीं बता दो एक बार
कैसे होगा अपना मेल प्रिये

मैं अल्हड़ चंचल नदी सी 
तुम धीर भीर समंदर सा गंभीर प्रिये 
मन आतुर है मेरा तेरे लिए 
और तु दुनियादारी मे लिप्त प्रिये 

कैसे होगा अपना मेल प्रिये

तुम वाक पटुता मे माहिर 
मैं बाला मदमस्त पागल सी प्रिये 
सारी जिम्मेवारी तुझ पर हावी 
और मैं तुझ पर जाऊं वारी प्रिये 

कैसे होगा अपना मेल प्रिये

दो पल का भी वक़्त नहीं तेरे पास 
और मैं पलकें बिछाए बैठी तेरे लिए 
तु बूंद बूंद बन बरसता है और 
मैं बिन बारिस मछली बन तरसती प्रिये 

कैसे होगा अपना मेल प्रिये

इस दिवानी की ना कोई आरज़ू है,
ना ही कुछ पाने की कोई ज़ुस्तज़ू है,
बस तु ख़ुश रहे यही है अपनी ख्वाहिश प्रिये
ये इश्क़ नहीं है कोई खेल प्रिये,

कैसे होगा अपने मेल प्रिये...


#SwetaBarnwal






वक़्त की महत्ता...

वक़्त का पहिया चलता है,
चलता है ये चलता है
कभी ना ये फिर रुकता है
चलता है ये चलता है

सबसे ये कुछ कहता है
किसी की ना ये सुनता है
वक़्त किसी का हुआ ना अब तक
ना पीछे कभी ये मुड़ता है,

साथ इसके चल सके जो तुम
दुनिया तेरी गुलाम हो
अपनी धुन में चलता है ये
किसी की ना इसको परवाह है

वक़्त वक़्त की बात है प्यारे
वक़्त कभी ऐसा भी वक़्त दिखाता है
अच्छे अच्छों की चाल पलट दे
ये एक ऐसी सीख सिखाता है

वक़्त से आगे कोई चल ना पाया
ऐसी वायु सी तीव्र इसकी चाल है
वक़्त पे जो ना चले रे भइया
मुह की वो हरदम खाता है

इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं रे प्यारे
जो इस वक़्त से आज़ाद हो
सूरज, चंदा, धरती और तारे
सारे वक़्त के ही मोहताज़ है

वक़्त की मार से कोई बच ना पाया
कुछ टेढ़ी इसकी चाल है
जिसने भी की है कद्र वक़्त की
उसने ही इस जग में पाया सम्मान है

वक़्त का पहिया चलता है,
चलता है ये चलता है
कभी ना ये फिर रुकता है
चलता है ये चलता है...

#SwetaBarnwal


Thursday 15 November 2018

एक हसरत-ए-दिल है कि हम रूठे और वो भी कभी आकर मनाएं हमे,
पर बदकिस्मती अपनी, इश्क़ मे अपने वो मुकाम कभी आया ही नहीं...

#SwetaBarnwal 

Saturday 10 November 2018

लिख दूँ...

आज कलम उठाया सोचा एक ग़ज़ल लिख दूँ
उनसे हुई जो मोहब्बत उस की दास्तां लिख दूँ,

अजनवी बन कर मिले और दिल मे समाते गए
मिली जो नज़र धड़कनों की हलचल लिख दूँ

तेरे साथ बीते हुए लम्हों की खलिस लिख दूँ
अपनी उस पहली मुलाकात की तपिश लिख दूँ,

रोज छुपते छुपाते उनसे लंबी बातें करना
मेरी शायरी मे तेरे लिए छुपे जज़्बात लिख दूँ,

चोरी चोरी नज़रों से देख कर नज़रें चुराना तेरा
जी चाहता है तेरी तिरछी नज़रों की चोरी लिख दूँ,

वो तेरी हर कविता में मेरी ही छवि बयां थी
तु कहे तो आज ये तेरा इकरार नामा लिख दूँ,

वो पहाड़ों की ऊंचाई पे तेरा हाथ देना मुझे
बहाने से तेरा उन हाथों को दबाना लिख दूँ,

हर बहाने से बस एक दूजे से बातें करना
वो मेरा रूठना और खुद मान जाना लिख दूँ,

ओ हरज़ाई वो एक पल मे ही तेरा बदल जाना
वो तेरी बेवफ़ाई तेरा भूल जाना लिख दूँ,

कैसे कह दूँ मैं यारा कि तू पत्थर दिल है
तु खुश रह इसे मैं वक़्त की बेवफ़ाई लिख दूँ...

#SwetaBarnwal





Friday 9 November 2018

हम और वो...

राह-ए-मोहब्बत मे अपने वो मुकाम ना आया
हमे रूठना ना आया उन्हें मनाना ना आया

ज़िन्दगी ने फ़िर हमारे ऐसा नग्म गाया
हमे गाना ना आया उन्हें गुनगुनाना ना आया

वो चाहत की जमीं जिसे बड़े प्यार से तराशा था
हमे सजाना ना आया तुझे संजोना ना आया

सारी रात कट गई इन आँखों में ख्वाब लिए
हमे जागना ना आया उन्हें जगाना ना आया

शिकवे शिकायतों की धूंध गहरी होती गई
हमे भूलना ना आया उन्हें भूलाना ना आया

अरसा गुज़रता गया दूरियां बढ़ती ही गई,
हमे लौटना ना आया उन्हें बुलाना ना आया

जज़्बातों में कहीं कोई कमी रह गई शायद
हमे संभलना ना आया उन्हें संभालना ना आया

मोहब्बत की दौलत से हम दोनों थे अनजान
हमे कमाना ना आया उन्हें बचाना ना आया

राह-ए-मोहब्बत मे अपने वो मुकाम ना आया
हमे रूठना ना आया उन्हें मनाना ना आया...

#SwetaBarnwal





जितना तुझे भूलना चाहूँ,
तु उतना ही याद आता है,
क्या है ऐसा तुझमे यारा
जो तू दूर हो कर भी दूर होता नहीं...

#SwetaBarnwal

Thursday 1 November 2018

ऐ माँ...! 🙏

ऐ माँ ...!
बस इतनी सी मेरी अरज़ सुन ले,
मन में भक्ति भाव बसर कर दे,
हो जीवन में खुशियों का डेरा
छाए ना कभी घनघोर अंधेरा
ऐ माँ ...!
चाहूँ ना कभी कोई बंग्ला अटारी
बस छोटा सा अपना घर कर दे
हो हर पल जहां प्यार का बसेरा
मुस्कुराहटों से हो हर रोज सवेरा
ऐ माँ ...!
ना हो मन में कोई दुर्भावना बसर
बस इतनी सी माँ तू मेहर कर दे
हर बुराइ से मैं सदा दूर रहूँ
दिल में मेरे प्रेम की ज्योत जला दे
ऐ माँ ...!

#SwetaBarnwal





ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...