एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी
देश रक्षा के ख़ातिर गद्दारों पे वार करेगी
वीरों का जयनाद करेगी जीत पर अभिमान करेगी
दुश्मनों का अंत करेगी फ़िर जाकर आराम करेगी
जयचन्दों का वध करेगी काली बन संहार करेगी
मिट्टी से अपने प्रेम करेगी क्रांति का उद्घोष करेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
नारी का सम्मान करेगी निर्बल का संबल बनेगी
शोषित की आवाज़ बनेगी शोषण का प्रतिकार करेगी
घर में भेदी छुपे हुए जो उनका वो संहार करेगी
चले कभी जो कलम मेरी तो धरती और आकाश हिले
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
शेरों का हुंकार बनेगी आज़ादी की तलवार बनेगी
युद्ध का शंखनाद बनेगी लहू बन नस नस में दौड़ेगी
दुर्बल को ये बल देगी सबको ऐसा वो कल देगी
अपने वतन से सबको प्रेम करना वो सिखा देगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
निर्धन को ये धन देगी शासक को ये सद्गुण देगी
सुख और शांति से भरा बच्चों को आने वाला कल देगी
दुष्टों का ये नाश करेगी अग्नि का ऐसा प्रहार करेगी
शत्रु थर थर काँपे डर से विष की ऐसी फूंकार भरेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
हिंद भी सिंहनाद करेगा भारत माँ का जयनाद करेगा
लहर दौड़ा दे जो शांत सिंध पे ऐसा वो ज्वार बनेगा
अधर्मी पर ये वार करेगा धर्म का प्रचार करेगी
चीर निद्रा को ये भंग करेगा युवाओं को तैयार करेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
देश रक्षा के ख़ातिर गद्दारों पे वार करेगी
वीरों का जयनाद करेगी जीत पर अभिमान करेगी
दुश्मनों का अंत करेगी फ़िर जाकर आराम करेगी
जयचन्दों का वध करेगी काली बन संहार करेगी
मिट्टी से अपने प्रेम करेगी क्रांति का उद्घोष करेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
नारी का सम्मान करेगी निर्बल का संबल बनेगी
शोषित की आवाज़ बनेगी शोषण का प्रतिकार करेगी
घर में भेदी छुपे हुए जो उनका वो संहार करेगी
चले कभी जो कलम मेरी तो धरती और आकाश हिले
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
शेरों का हुंकार बनेगी आज़ादी की तलवार बनेगी
युद्ध का शंखनाद बनेगी लहू बन नस नस में दौड़ेगी
दुर्बल को ये बल देगी सबको ऐसा वो कल देगी
अपने वतन से सबको प्रेम करना वो सिखा देगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
निर्धन को ये धन देगी शासक को ये सद्गुण देगी
सुख और शांति से भरा बच्चों को आने वाला कल देगी
दुष्टों का ये नाश करेगी अग्नि का ऐसा प्रहार करेगी
शत्रु थर थर काँपे डर से विष की ऐसी फूंकार भरेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...
हिंद भी सिंहनाद करेगा भारत माँ का जयनाद करेगा
लहर दौड़ा दे जो शांत सिंध पे ऐसा वो ज्वार बनेगा
अधर्मी पर ये वार करेगा धर्म का प्रचार करेगी
चीर निद्रा को ये भंग करेगा युवाओं को तैयार करेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...