Friday 31 May 2019

एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी
देश रक्षा के ख़ातिर गद्दारों पे वार करेगी

वीरों का जयनाद करेगी जीत पर अभिमान करेगी
दुश्मनों का अंत करेगी फ़िर जाकर आराम करेगी
जयचन्दों का वध करेगी काली बन संहार करेगी
मिट्टी से अपने प्रेम करेगी क्रांति का उद्घोष करेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

नारी का सम्मान करेगी निर्बल का संबल बनेगी
शोषित की आवाज़ बनेगी शोषण का प्रतिकार करेगी
घर में भेदी छुपे हुए जो उनका वो संहार करेगी
चले कभी जो कलम मेरी तो धरती और आकाश हिले
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

शेरों का हुंकार बनेगी आज़ादी की तलवार बनेगी
युद्ध का शंखनाद बनेगी लहू बन नस नस में दौड़ेगी
दुर्बल को ये बल देगी सबको ऐसा वो कल देगी
अपने वतन से सबको प्रेम करना वो सिखा देगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

निर्धन को ये धन देगी शासक को ये सद्गुण देगी
सुख और शांति से भरा बच्चों को आने वाला कल देगी
दुष्टों का ये नाश करेगी अग्नि का ऐसा प्रहार करेगी
शत्रु थर थर काँपे डर से विष की ऐसी फूंकार भरेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

हिंद भी सिंहनाद करेगा भारत माँ का जयनाद करेगा
लहर दौड़ा दे जो शांत सिंध पे ऐसा वो ज्वार बनेगा
अधर्मी पर ये वार करेगा धर्म का  प्रचार करेगी
चीर निद्रा को ये भंग करेगा युवाओं को तैयार करेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...


#SwetaBarnwal



कलम... ✍️

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

करेगी वीरों की जयकार
लिखूंगी आज कुछ ऐसा
जगा दे जोश रग रग में
बहा दे देश प्रेम की गंगा

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

सच को सच लिखूंगी आज
कहूँगी झूठ को मैं झूठ
घोर अंधेरों में उम्मीदों की
आशाएँ नई मैं खोलूंगी

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

मेरी कलम नहीं छोड़ेगी
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
मेरी कलम आज लिखेगी
मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा
देशभक्तों की ढाल बनेगी
और गद्दारों पर वार करेगी

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

देश रक्षा की ख़ातिर मैं
यलगार लिखा करती हूँ
ऐसी हालत देख देश की
सारी रात जगा करती हूँ

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

नींद नहीं आती है मुझको
मैं दिन रात ये सोचा करती हूँ
पड़ी जरूरत देश को तो मैं
कलम छोड़ तलवार उठा सकती हूँ

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

भगा सकूँ दुख दर्द देश का
मैं बातों में ललकार भरा करती हूँ
शब्दों से कोई छेड़छाड़ नहीं
मैं उसमें आग भरा करती हूँ

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

अपनी बातों से फूल नहीं
मैं बम और गोले दागा करती हूँ
कलम की ताकत से इस देश की
मैं तख्तो ताज़ पलट सकती हूँ

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

सेंक रहे जो राजनीति की रोटियां
उन्हें सिखा दे सबक कुछ ऐसा
भुला कर हर भेद दिल से
करे वो सच्चा प्रेम देश से

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

बड़ी गज़ब की ताकत है
इस कलम मे
ये रंक को राजा और
राजा को रंक बना सकती है
इसी कलम की ताकत से
गीता और पुराण हैं
इसी कलम ने दिया जहां मे
ज्ञान और विज्ञान है
इसी कलम से आज मैं
अंतर्मन का द्वंद लिखूंगी
वीरों की हुंकार लिखूंगी
तलवारों की झंकार लिखूंगी
गीत ग़ज़ल नव छन्द लिखूंगी
मातृभूमि का प्यार लिखूंगी
शहीदों का बलिदान लिखूंगी

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

माँ सरस्वती की संतान
मातृभूमि की सेवक मैं
अपना तन मन और सर्वस्व
इस मिट्टी पे कर दूँ अर्पण
मेरी कविता का हर शब्द
कण कण मे क्रांति घोल रहा
देश का बच्चा बच्चा आज
जय हिंद जय हिंद बोल रहा

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...


#SwetaBarnwal




Thursday 30 May 2019

भगवा, हिन्दुत्व की पहचान... 🚩

जिस दिन भारत के घर घर में फ़िर से भगवा लहराएगा
उस दिन अपना देश फ़िर से हिंदुस्तान कहलाएगा
जिस दिन सुभाष और आज़ाद के सपनों को परवान मिलेगा
उस दिन अपना भारत फ़िर से विश्वगुरु बन जाएगा
हिंदू धर्म में जन्म लेकर जिसे हिन्दुत्व से प्यार नहीं
उसको हिंदुस्तान की सरजमीं पर रहने का अधिकार नहीं
हिंदू घर में जन्म लेकर जो करता भगवा से प्यार नहीं
ऐसे गद्दारों को यहाँ जीने का भी अधिकार नहीं
राम और कृष्ण की भूमि पर जिसे गीता का ज्ञान नहीं
राणा प्रताप का वंशज होकर जिसे भगवा की पहचान नहीं
हिंदू कुल मे जन्म लेकर जो करता भगवा का सम्मान नहीं
ऐसे देशद्रोहियों को भारत में रहने का अधिकार नहीं
ओ गांधी जो तूने अपने तन पर भगवा को सजाया होता
छोड़ कर गंदी राजनीति जो भगत सिंह को बचाया होता
नेहरू का पक्षपात ना करता पटेल का राजतिलक होता
भारत के ना टुकड़े होते ना ट्रेनों में लाशें भर कर आते
गैरों को खुश करने मे तूने देश को ना बांटा होता
गर भगवा को तूने समझा होता
गोडसे ने तुमको ना ठोंका होता
ऐ गांधी तब तु कुछ और साल जिया होता
भगवा बस एक रंग नही है ये किस्सा है कुर्बानी का
जिसने इसको समझ लिया वो लाल है माँ भवानी का
गोल मोल ये बात छोड़ कर मैं सच कहने की आदि हूँ
भारत माँ की वीर सपूत मैं कट्टर हिन्दूवादी हूँ


#SwetaBarnwal 

भगवा... 🚩🙏🏼

भारत माँ की शान है भगवा
हिन्दुत्व की पहचान है भगवा
सूरज की पहली किरण है भगवा
संझा की लाली है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

इस धरती की मिट्टी है भगवा
सिक्खों का ताज है भगवा
ऋषि मुनि का तप है भगवा
साधु संतों का शृंगार है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

माँ भारती का आँचल भगवा
वीर शहीदों का लहू है भगवा
अग्नि का तेज है भगवा
सनातन धर्म का आधार है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

राणा प्रताप का तेज़ है भगवा
वीर शिवा की जान है भगवा
लक्ष्मी बाई का अभिमान है भगवा
जौहर का ये रंग है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

हर हिंदू की पहचान है भगवा
गीता और पुराण है भगवा
त्याग और तप की गाथा है भगवा
गंगा जल सा पावन है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

देश पे कुर्बान होने का जुनून है भगवा
रगों में देश प्रेम बन दौड़ने वाला लहू है भगवा
बच्चों की किलकार है भगवा
माता का दुलार है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

#SwetaBarnwal




नमो नमो... 🙏🏼

तेरे जयनाद से
जीत के उद्घोष से
हिल उठी धरा
गूंज उठा गगन
तेरा ही जय हो
तेरा विजय हो
हिन्दुत्व की तु आस है
धर्म का तु प्रकाश है
सिंह की दहाड़ तु
मिट्टी की पुकार तु
जीत की मशाल तु
हिंद की आवाज़ तु
आग की धधक है तु
फ़ूलों की महक है तु
भुजाओं का बल है तु
हिंदुस्तान का कल है तु
रुके ना तु झुके ना तु
थके ना तु थमे ना तु
मुड़े ना तु गिरे ना तु
सदा चले बिना थके
हिंद का ख्वाब है तु
दुश्मनों का जवाब तु
जीत का तिलक है तु
गद्दारों की मौत तु

#SwetaBarnwal

ये कदम कभी ना रुकेगा...

चाहे लाख मुसीबत आए
चहूं ओर गम की बदरी छाए
पैर के नीचे कांटे हो
या फिर चारों ओर अंधेरा हो
ये कदम कभी ना रुकेगा

महफ़िल में वीराने में
अपनों मे बेगानों मे
खुशियाँ हो या ग़म हो
आंधी आए या फ़िर तूफ़ान
ये कदम कभी ना रुकेगा

दर्द मे चाहे पलना हो
या अग्नि में मुझे जलना हो
चाहे छोड़ के देश निकलना हो
ये शीश कभी ना झुकेगा
ये कदम कभी ना रुकेगा

उजियारे में या अंधियारे में
सूखे मे या सागर में
घोर घृणा में या निश्छल प्यार मे
क्षणिक जीत या हार मे
ये कदम कभी ना रुकेगा

पुष्प और कांटो से सज्जित
सुख दुख से भरा ये जीवन
अपमनो मे सम्मानो मे
जीवन के हर राह पर
ये कदम कभी ना रुकेगा

#SwetaBarnwal

वतन पे कुर्बान होने की आरज़ू...

इस देश की मिट्टी से मोहब्बत हम भी करते हैं
कुछ कर गुज़रने की हसरत हम भी रखते हैं
पड़े जो जरूरत मर मिटने की हिम्मत हम भी रखते हैं
सर दुश्मन के कलम कर दे वो ताकत हम भी रखते हैं
आए जो मुसीबत तो हंस हंस के सहेंगे हम
जज़्बा-ए-जुनून इस दिल में हम भी रखते हैं
ठोकरों में अपने गर्दिश-ए-जमाने को हम भी रखते हैं
अपने वतन की आज़ादी की हसरत हम भी रखते हैं
नज़रें उठी जो किसी की हमारे हिंद पे कभी
उन नज़रों को फोड़ने की चाहत हम भी रखते हैं
दुश्मन हो कोई चाहे सरहद के इस पार या उस पार
उनसे नफ़रत का सैलाब अपने दिल में हम भी रखते हैं
बांध सर पे कफ़न अपने हम सुबह-ओ-शाम चलते हैं
कि वतन पे कुर्बान होने की आरज़ू हम भी रखते हैं...

#SwetaBarnwal 

ख्वाबों की दुनिया...

तेरे लिए सपनों की एक हसीं दुनिया बनाई है मैंने
दो पल के लिए ही मेरी इस दुनिया में आओ तो तुम
ना जाने क्यूँ अब तक दूर खड़े हो मुझसे
छोड़ कर सबकुछ मेरी बाहों में समा जाओ तो तुम
मैं तो हर पल तेरे ही ख्यालों में खोई रहती हूँ
कुछ पल के लिए मेरे ख्यालों में खो जाओ तो तुम
मैंने तो अपना सर्वस्व मान लिया है तुझको
बस एक बार मेरे हो जाओ तो तुम
शुरु करते हैं मोहब्बत की एक नई दास्तां
कुछ पल का ही सही साथ निभा जाओ तो तुम
जिस कदर पहली बार हाथ थामा था मेरा
एक बार फिर से मेरी ओर हाथ बढ़ाओ तो तुम
पहली मुलाकात में जैसे इशारों में बात हुई थी
फ़िर उसी तरह हमसे नज़रें मिलाओ तो तुम
जिस जगह हम पहली बार मिले थे
उसी जगह एक बार फिर हमसे मिलने आओ तो तुम
मेरा वज़ूद बस तुझमें सिमट कर रह गया है
एक बार ख़ुद आकर मुझमे समाओ तो तुम
हर जतन कर लिया हमने इस दूरी को मिटाने की
बस एक कदम मेरी ओर बढ़ाओ तो तुम
ख़ुद की नज़र से रोज़ देखती हूँ ख़ुद को
एक बार अपनी नज़र से मुझको देख जाओ तो तुम
जानते हैं ये जमाना है प्यार का दुश्मन
बस एक बार जमाने को भूल जाओ तो तुम
जो कभी किसी ने भी ना किया हो
इश्क़ मे एक बार कुछ ऐसा कर जाओ तो तुम...


#SwetaBarnwal 

Wednesday 29 May 2019

जुदाई...

यूँ अचानक तेरे चले जाने से
रंग जीवन का जैसे यूँ उड़ गया
बह गए आँख से सारे सपने
खो गई जहाँ की सारी ख़ुशी

रह गया अपना ये खोखला तन
उड़ गया कहीं मेरा मन
रूठ कर मुझसे मेरा वो अपना
खो गया ना जाने कैसे कहाँ

दिन के उजाले में भी जैसे
घनघोर अंधियारा छा गया
ऐ ज़िन्दगी अब तु ही बता
ये क्या से क्या हो गया

है ये कोई पल दो पल की सज़ा
या जीवन मेरा मुरझा सा गया
आख़िर क्यूँ मोहब्बत के नसीब मे
होती है जुदाई की ऐसी सज़ा

#SwetaBarnwal




माँ की दुआ...

यकीनन मेरे सर पे मेरी माँ की दुआओं का साया है
जो किस्मत आज मुझे इस मुकाम पर ले कर आया है

लौट आया हूँ आज फ़िर से तेरी आगोश में मैं माँ
इस ज़ालिम दुनिया ने मुझे जी भर कर सताया है

तेरी कुर्बानियों की अब क्या मिसाल दे कोई
मुसीबत आई जो मुझपर तूने ख़ुद को जलाया है

मेरी खुशहाली के लिए कितने सज़दे किए हैं तूने
हर चौखट पर तूने मेरे कामयाबी के लिए दिए जलाए हैं

उठे जो मेरे लिए दोनों हाथ दुआओं मे तेरे
ख़ुदा ने भी तेरी ज़िद के आगे अपना सर झुकाया है

समेट ले एक बार फिर से अपने आँचल में मुझे
तेरे ही चरणों में मैंने मेरा स्वर्ग पाया है माँ...

#SwetaBarnwal


कोई तो होगा...!

कोई तो ऐसी जगह होगी इस धरा पर
जहाँ इंसानियत होती होगी पहले दरज़े पर

कोई तो होगा ऐसा जो ईन्सान से प्यार करता होगा
करता होगा ख़ुदा की बन्दगी उसके कहर से डरता होगा

कोई तो होगा ऐसा जो भाईचारे का व्यापार करता होगा
बुझा कर आग नफ़रत की दिलों में प्यार भरता होगा

कोई तो होगा ऐसा जो छुपा कर अश्क आँखों में
खुशी से गले लगाकर सबको बीमार करता होगा

इस रंग बदलती दुनिया में कोई तो होगा ऐसा जो
मिटा कर भेद रंगों का सबको एक रंग में रंगता होगा 

ज़िन्दगी के बचे लम्हें बस इस आस में जिए जा रहा हूँ 
कोई तो होगा जो जमीं को सरहदों से आज़ाद करता होगा... 

#SwetaBarnwal 

ऐ प्रभु...!

ऐ प्रभु...! बस इतनी सी मेरी अरज़ सुन ले
तुझे भूल कर ना जिऊं कभी इतनी सी मेहर कर दे

इतनी ख़ुशी भी ना देना कि किसी के ग़म पर हंसी आ जाए
इतने ग़म भी ना देना कि हम टूट बिखर जाएं
ना देना इतनी ऊँचाई कि जमी पर पांव ना थमे
ना इतना नीचे गिराना कि ख़ुद से भी ना नज़रें मिले
ऐ प्रभु...!

नहीं चाहिए ऐसा ज्ञान मुझको जो अभिमान हो जाए
ना इतना अज्ञानी बनाना जो तुझसे भी अनजान कर जाए
नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका निर्बल पर उपयोग करूं
नहीं चाहिए ऐसी चतुराई जो सबको छलने ही लगूँ
ऐ प्रभु...!

ना देना इतनी प्रसिद्धि प्रभु अपने भी पराए लगने लगे
भला ऐसी माया किस काम की जो बुद्धि भ्रष्ट करने लगे
नही चाहिए ऐसा जीवन जहां मित्र भी शत्रु बन बैठे
जहाँ जीवन लगे भारी और मौत अट्टहास करने लगे
ऐ प्रभु...!

#SwetaBarnwal

माँ... 🙏🏼

माँ बस एक शब्द नहीं है
दुनिया का ये सार है
इसके आँचल मे छुपा
ये सारा संसार है

इस जहाँ या उस जहांँ
अंतहीन विस्तार है माँ
उसकी लोरी मे छुपा
जहां का असीमित प्यार है

बच्चे को हर तकलीफ़ से
बचा ले वो दीवार है माँ
ऐसा कोई है ना होगा
कोमल मधुर एहसास है माँ,

जितना छोटा शब्द है माँ,
उतना ही विस्तृत प्यार है माँ,
रख नौ महीने कोख में सन्तान को,
लहू से अपने सिंचती है माँ,
अपने सन्तान के जीवन के ख़ातिर,
विधाता से भी लड़ जाए माँ,
हर रिश्ते से अनोखा जग में,
ब्रह्मा का अनुपम वरदान है माँ,


माँ के होठों पर कभी बद्दुआ नहीं होती,
क्यूंकि माँ कभी ख़फ़ा नहीं होती,
उसकी दुआओं में है कुदरत की मेहर,
जो पा ले उसपे टूटे ना कोई कहर,

जब कभी गुस्सा होती है माँ,
आसुओं में अपने दर्द पिरोती है माँ,
भूल कर अपनी सारे ग़म ओ ख़ुशी,
संतान के लिए सुनहरे भविष्य संजोती है माँ,

माँ बस एक लफ्ज़ नहीं
जननी है वो इस जगत की
कूदरत भी तरसे पाने को जिसकी गोद,
ऐसा वो असीमित संसार है माँ,

बंशी की मीठी तान है माँ
लहरों की झंकार है माँ
काली भी है शेरावाली भी है
स्वयं दुर्गा का अवतार है माँ,

ममता और दया की मूर्ति है
विधाता का अनोखा वरदान है माँ,
उसके बिना सृष्टि का आधार नहीं,
धरा पर उस विधाता का अवतार है माँ,

ब्रह्मा भी वो और विष्णु भी वो
स्वयं महाकाल का स्वरुप है माँ,
पड़े जो विपदा संतान पर कभी
स्वयं काल से भी लड़ जाये माँ...

#SwetaBarnwal 

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी, बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

जब से जन्म लिया मैंने
पराया धन होने का दंश मिला
नही बढ़ा सकती मैं कुल को
इसका ही बस तंज मिला

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

इसको ही मान कर अपनी किस्मत
सबके हर फैसले के सामने सर झुकाया मैंने
हाथों की लकीरों को बस
यूँ ही हर पल झुठलाया मैंने

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

ना शिक्षा का अधिकार मिला
ना ही बेटों जैसा प्यार मिला
ना जीने का अधिकार मिला
ना ही मेरे सपनों को परवान मिला

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

ना तेरी कोख में मैं सुरक्षित हूँ
ना तेरे आँचल की मुझको छाँव मिली
ना दुनिया ने ही मुझको अपनाया
ना जालिम नज़रों से मैं बच पाई

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

उठी जो एक दिन डोली मेरी
उठी अर्थी अरमानों की
हर पल रंग बदलती दुनिया में
किस किस से ख़ुद को बचाऊँ मैं

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

कब तक अश्क बहाऊं मैं
आख़र किस ग़लती की सज़ा पाऊं मैं
इन मतलबी रिश्तों का हाथ थामे
आख़िर कितनी दूर जाऊं मैं

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

चूर हो गए हैं सारे ख्वाब मेरे
आख़िर किसको ये बतलाऊं मैं
ओछी नज़रों से देखते हैं जो मुझको
कैसे ख़ुद को उनसे अब बचाऊँ मैं

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

आँखें बन्द कर देखते हैं सब मेरे जज़्बातों को
कहाँ से उनमें इंसानियत लाऊं मैं
जो सिर्फ़ नारी देह समझते हैं मुझको
कहाँ से उनके दिल में प्यार जगाउं मैं

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

इन पथराई हुई आँखों से
देखती रहती हूँ मैं हर पल चहूं ओर
कोई तो ऐसा होगा इस जहाँ में
जो बढ़ाएगा प्यार से हाथ हमारी ओर

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

पराई थी पराई हूँ मैं
इस बात को ख़ुद से कैसे छुपाऊँ मैं
माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...


#SwetaBarnwal



पापा...

यूँ तो ज़िन्दगी ने हमें कई रिश्ते हैं दिए
कुछ साथ चले तो कुछ पल भर में ही छूट गए
कुछ बनते बनते टूट गए कुछ बेवजह ही रूठ गए
पर जो रिश्ता आजीवन साथ रहा वो थे पापा

बातों मे सख्त पर दिल के बड़े ही नर्म होते हैं
हर मुसीबत में अपने बच्चो का ये साथ निभाते हैं
यूँ तो हर कोई अपने कही बात से मुकर जाता है
पर जो बिन कहे सारे अरमां पूरे कर जाते वो थे पापा

जो हर मुश्किल राह में अपने बच्चों का हौसला बढ़ाते हैं
हर पग पर दुनियादारी की समझ कराते हैं
जो ख़ुद ना कभी झुकते हैं और ना बच्चों को रुकने देते हैं
जो ख़ुद जल कर मार्ग प्रशस्त करते हैं वो थे पापा

कम आमदनी मे भी हमारी हर ख्वाहिश करते हैं पूरी
हर ख्वाब हमारे जादूगर के जैसे चुटकी में वो कर जाते हैं पूरे
ना कभी दिन देखा उन्होंने और ना ही देखी कभी रात
हमारे सपनों के लिए ख़ुद को भी नीलाम किया वो थे पापा

दुख की कड़ी धूप हर बार ख़ुद अकेले ही झेली है
सुख की ठंढ़ी छाँव में सदा हमे है सुलाया
अपनी सख्त आवाज के पीछे अपना प्यार छुपाते हैं
हमारी जरूरतों के लिए ख़ुद को बेच देते हैं वो थे पापा...

Thursday 23 May 2019

2109 चुनावी परिणाम...

लो एक बार फिर से मोदी सरकार है आई
दिन रात की मेहनत से ये सफलता है कमाई
यूँ ही शौखिया विदेशी दौरे पर नहीं जाते थे
बड़ी ही दुरुस्त विदेशी नीति इन्होने बनाई
जातिवाद और वंशवाद से कहीं ऊपर उठकर
2019 मे फ़िर से भाजपा की सरकार आई
ना धर्म की लड़ाई लड़ी और ना आरक्षण की
बस विकास का मंज़र देशवासियों को दिखाया
ना देश को झुकने दिया ना फौज़ीयों को मरने दिया
पाकिस्तान को उसके ही घर में औकात दिखाई
बड़ी ही जतन से उन्होने ये इज़्ज़त है पाई
नही कोई खैरात मे ये जीत उनके हिस्से है आई
ना सरकारी खर्चे पर अपने परिवार को दुनिया घुमाया
ना ही भारत की राजनीति को अपनी वसीयत बनाई
मोदी हटाओ अभियान में सारे कुत्ते बिल्ली एक हो गए
इस पर भी हर जगह मोदी लहर ही है छाई
विपक्ष की काली करतूतों ने उसका पत्ता साफ किया
जनता ने एक बार फिर मोदी जी की सरकार बनाई
इनके लिए पूरा हिंदुस्तान ही इनका परिवार है
मोदी बस एक नाम नहीं अपितु एक सोच है
जो बदल सकता है भारत का आने वाला कल
रख सकता है वो एक नए हिंदुस्तान की नींव
मोदी एक आवाज़ है बर्षों से सोई हुई आवाम की
मोदी एक पहचान है नए भारत वर्ष की
यूँ ही नहीं उन्होने ये प्रचंड कामयाबी है पाई
बड़ी मुसीबतों का सामना कर जनता के दिल में जगह बनाई
सालों के बाद भारत में ऐसी कोई सरकार है आई
जिसने जनता के वोट पे ही नहीं दिलों में भी जगह बनाई...

#SwetaBarnwal 

Tuesday 21 May 2019

एक बार फिर मोदी सरकार...

आओ मिलकर एक भारत नया बनाएंगे
हम फ़िर से मोदी जी को ही लाएंगे
टूट जाने दो अब सारी ज़ंजिर
बन रही है भारत की नई तस्वीर
नया दौर है नया है भारत
लिखेंगे मिल कर हम नई तकदीर
बदल रहा है देखो आज भारत अपना
पूरे होने को है अब अपना हर सपना
आओ मिलकर एक भारत नया बनाएंगे
हम फ़िर से मोदी जी को ही लाएंगे
विश्व शक्ति के रूप में एक बार फ़िर से
भारत को पहचान दिलायी
पाकिस्तान को उनके ही घर में जाकर
उनको उनकी औकात दिखाई
अमेरिका और रूस को अपना दोस्त बनाया
इस्लामिक देशों को अपने आगे झुकाया
हिंदुस्तान ही नहीं पूरे विश्व में
हिन्दुत्व की पुनर्स्थापना कराई
ऐसे सेवक को हम फ़िर से लाएंगे
आओ मिलकर एक भारत नया बनाएंगे
हम फ़िर से मोदी जी को ही लाएंगे
ना कभी खाया ना किसी को खाने दिया
रात भर जागा और देश के लिए किया
आतंकवादियों को जड़ से उखाड़ा
घोटालों और भ्रष्टाचार पे लगाई लगाम
ऐसे चौकीदार को हम फ़िर से लाएंगे
आओ मिलकर एक भारत नया बनाएंगे
हम फ़िर से मोदी जी को ही लाएंगे

#SwetaBarnwal



Thursday 9 May 2019

मस्तमौला...

चलती रही मैं अपनी धुन में
कभी पलट कर नहीं देखा
जो भी किया दिल से किया
कभी अपना फायदा नहीं देखा
ठोकरों में रखा जमाने को अपने
कभी दुनियादारी नही देखा
अपने मन की चली हर चाल
कभी दुनिया का कायदा नहीं देखा

#SwetaBarnwal

Tuesday 7 May 2019

समय...

अब तक की ज़िंदगी में आपने
बहुत कुछ पाया होगा
तो बहुत कुछ खोया होगा
किसी को ठुकराया होगा
तो किसी को गले लगाया होगा
किसी को कभी सताया होगा
तो किसी को मनाया भी होगा
किसी के आँसुओं की वजह बने होगे
तो किसी को कभी हंसाया भी होगा
कभी खुशी तो कभी दर्द हिस्से में आया होगा
किए होंगे मन चाहे काम कई बार
तो कभी प्रभु इक्षा को ही अपनाया होगा
कभी जीत का परचम लहराया होगा
नए अनुभवओं से गलतियों को सहलाया होगा
शायद छीन ली हो किस्मत ने
आपसे आपकी प्यारी चीज कोई
पर कहीं किसी मोड़ पर
नई अनमोल चीज से जरूर मिलाया होगा
आप भले ही ना बदले हों ज़िंदगी की दौड़ में
पर आपका कोई ना कोई अंदाज़ तो बदला होगा
अपनी खुशियों को सबके साथ बांटा होगा
हर गम को अकेले ही गले लगाया होगा
कभी ना कभी तो सपनो पे कला साया मंडराया होगा
भीड़ में रहकर भी तन्हाई का दामन थामा होगा
गुज़र रहा है ये वक़्त वो सारे बीते पल समेट कर
जिस पर आपने कभी अपना हक़ जताया होगा
जी भर कर जी लो ये जो #आज जा रहा है
लाख कर लो जतन ये #समय लौट कर नहीं आएगा, 
समेट लो हर इक लम्हें को, ना फिर ये दौर आएगा, 
यादों के पंख लगा ये वक़्त कहीं उड़ जाएगा... 


#SwetaBarnwal



कोई पूछे...

कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं
तो कह देना कोई खास नहीं
एक साथी है कच्चा पक्का सा
एक झूठ है आधा सच्चा सा
कोई पूछे तुमसे...
जज़्बात के मन पे पर्दा सा
बस एक बहाना जो है अच्छा सा
जो पास होकर भी पास नहीं
पर उसका छुपा कोई राज़ नहीं
कोई पूछे तुमसे...
एक ख्वाब है वो अनजाना सा
सच भी उसका बेमाना सा
एहसास है उसका मीठा सा
पर प्यार है उसका झूठा सा
कोई पूछे तुमसे...
चंदा की किरणों सा है शीतल
कोई सोना नहीं वो है पीतल
कोई भी उसके साथ नहीं
और सच की उसको आस नहीं
कोई पूछे तुमसे...

#SwetaBarnwal 

Monday 6 May 2019

आँसू...

यारों बड़ी ही अजीब होती है ये आँसू
खुशी हो या ग़म सबमें एक सी बहती है ये
कभी अपनों के लिए बहती है ये आँसू
तो कभी अपनों की वजह से बहती है यारों
कभी दिलबर की चाहत में बहती है ये
तो कभी दिलबर की बेवफ़ाई का सबब बनती है
कभी मोहब्बत मे निकल पड़ती है ये
तो कभी नफरत मे भी निकल पड़ते हैं आँसू
कभी सच का एक मात्र गवाह है ये
तो कभी झूठ की बुनियाद है ये आँसू
कभी अकेले में निकल पड़ते हैं ये
तो कभी महफ़िल में अकेला कर जाते हैं आँसू
कभी यादों के साथ लिपट कर आ जाते हैं
कभी बेवजह आँखो से लुढ़क जाते हैं ये


#SwetaBarnwal

मुस्कुराहट...

वक़्त कट ही जाएगा
यूँ मुस्कुरा कर जीने मे,
कोई रोक सके
हमारे बढ़ते कदम को
कहाँ इतना दम है
गर्दिश-ए-ज़माने मे,
आँधियों से लड़ने का
शौख है दिल में
कोई हमे झुका सके
कहाँ इतना दम है
गम के तूफानों में,
चाहे आएं कैसे भी
दौर इस जीवन में
हम तो वक़्त के
मुसाफ़िर हैं
हर बला को तोड़ कर
आगे बढ़ जाते हैं
आँधियों मे बनाए हैं
हमने घर अपने
सर पर कफ़न बांध
राहों में चले हैं अपने
मुट्ठी में है कैद
सारा जहां अपने
देख ले जो एक बार
मुस्कुरा कर किसी को
जमाना भी झुक जाए
वहां सज़दे मे अपने
है मन मे जोश-ए-जुनून
और दिल मे मोहब्बत भरी
एक पल मे सबको अपना बना ले
ऐसी है कुछ आदत अपनी
हल हो जाए हर मुश्किल
यूँ ही चुटकियों में अपने
मुस्कुरा कर जो देखा
हमने ज़िंदगी को अपने...

#SwetaBarnwal



Friday 3 May 2019

स्त्री हैं हम...

स्त्री हैं हम, हमे तुम नादान ना समझना
अब तक जो किया सो किया अब हमे लाचार ना समझना
तुम्हारी हर बात हर शर्त मंज़ूर है हमे
पर हमारे अस्तित्व के साथ कभी खिलवाड़ ना करना
पुत्र से पिता तक का सफ़र तुम्हें हमने कराया
इस बात का हमेशा तुम मान रखना
हमारे विश्वास के साथ कभी ना विश्वासघात करना
माँ, बहन, बीवी, पत्नी, पुत्री, सखी या हो कोई अनजान
हर रूप में इसका तुम सम्मान करना
तुम्हारे सृजन का कारक तुम्हारी जननी है हम
कभी हमे तुम कमजोर  ना समझना
अपनी हर इक्षाओं को तुम हमपे ना थोपना
कभी पैरों तले हमारे अरमानों को ना रौंदना
जीवन है हममे भी ये बात याद रखना
ख़ुद को हमारा भगवान मत समझना
एक नारी की कोख से जन्म लेकर
किसी नारी का कभी अपमान मत करना
ज़िन्दगी है उसमे भी उसे सामान मत समझना
औरत की जिस्म का सौदा करने वाले
नपुंसक हो तुम, ख़ुद को कभी मर्द मत समझना
लूट कर जिस्म औरतों का महान तुम बन ना पाओगे
रुला कर हमे तुम भी चैन से जी ना पाओगे
समुन्दर से भी गहरी है चाहतें हमारी
अपने शौर्य बल से इसे हासिल ना कर पाओगे
जब जब चाहा तुमने हम पर अत्याचार किया
हर बार हमारे वज़ूद पर वज्र सा प्रहार किया
कभी सिता बन अग्नि में चली
तो कभी राधा बन विरह की अग्नि में जली
कभी द्रौपदी बन भरी सभा में लुटी गई
तो कभी अहिल्या बन पत्थर की मूरत बनी
कभी तीन तलाक के ज़हर से मारा हमे
कभी हलाला का ज़हर हमारी ज़िंदगी में उडे़ला
जब चाहा तुम गरज़े हम पर जब चाहा तुम बरसे
चुपचाप तुम्हारी दी हर यातना हम सहते गए
आँखें रोती रही पर लफ़्ज़ों से हम कुछ ना कहे
हम ख़ामोश सहते गए और तुम गुनाह करते गए
है गुरूर इतना ख़ुद पर तो कभी स्त्री बन कर जीना
स्त्री बन जीना यूँ पुरुष होने सा आसान ना समझना
स्त्री हैं हम, हमे तुम नादान ना समझना
अब तक जो किया सो किया अब हमे लाचार ना समझना
तुम्हारी हर बात हर शर्त मंज़ूर है हमे
पर हमारे अस्तित्व के साथ कभी खिलवाड़ ना करना ...


#SwetaBarnwal


ना जाने क्यूँ....!

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

ना किसी रिश्ते मे प्यार और विश्वास ज़िंदा है
और ना ही अपनेपन का अहसास बाकी है
कभी बुजुर्गों के आशीर्वाद मे बरकत हुआ करती थी
अब तो माँ बाप भी बोझ बन कर रह गए हैं
कभी यारों से बता दिया करते थे हर बात दिल की
ना जाने क्यूँ अब यारों की यारी मे वो बात नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

बिंदास मस्त मौला सी हुआ करती थी ज़िन्दगी अपनी
चेहरे के उपर किसी के कोई दूसरा चेहरा नहीं होता था
खुली किताब हुआ करती थी अपनी ज़िन्दगी
पड़ोसियों के भी खुशी और गम में शरीक हुआ करते थे
आज इंटरनेट के जरिए पूरी दुनिया से जुड़ गए हैं हम
पर जरूरत पड़ने पर कोई भी अपने साथ नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

बहन भाई मे दुलार बहुत होता था
माँ बाप के चरणों में स्वर्ग हुआ करता था
होठ हिले बिना हाल बयां हुआ करता था
पल मे हर समस्या का समाधान हुआ करता था
ना जाने क्यूँ अब वो एहसास नहीं है
ना जाने क्यूँ साथ हो कर भी हम पास नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

भावनायें दफ़न हो चुकी है दिलों में
इंसान बहुत ज्यादा व्यवहारिक हो गया है
धमनियों में लहू की जगह पानी बहने लगा है
सारे रिश्ते अब बेमानी हो चुके हैं
मशीन बन गए हैं हम सारे खो गई है इंसानियत
ना जाने क्यूँ अब हर रिश्ते में वो प्यार नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

संयुक्त परिवार का दमन हो चुका है
एकल परिवार ने लोगों को स्वार्थी बना दिया है
घर में बुजुर्गों की जगह आया ने ले ली है
और पश्चिमी सभ्यता ने वृद्धाश्रम को पनपाया है
दादी नानी की कहानियां बस कहानी बन कर रह गई
ना जाने क्यूँ अब रिश्तों में वो मिठास नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...



मैं नारी हूँ...

मैं नारी हूँ...
कूदरत की सबसे
अनमोल किर्ति हूँ
मैं नारी हूँ...

कभी सराही जाती हूँ
तो कहीं पे छली जाती हूँ
कहीं पूजी जाती हूँ
तो कभी लूटी जाती हूँ
जीवन के हर मोड़ पे मैं
अपने औरत होने की सज़ा पाऊं

मैं नारी हूँ...

किसी को चाहूँ तो
आकाश की बुलंदी तक पहुंचा दूं
और जो गिरूं तो
किसी को भी गर्त में पहुंचा दूं
अच्छे अच्छों को धूल चटा दूं
मेरे आगे कोई टिक ना पाए
सबके दिलों में चाहूँ
एक छोटी सी जगह बनाना

मैं नारी हूँ...

अपने प्यार और चाहत से
घर को स्वर्ग बना दूं
हर एक की ज़िंदगी को
खुशियों से भर दूं
अपना सर्वस्व दूसरों पे
समर्पण कर दूं
ख़ुद से पहले हर बार
दूसरों का सोचूं
फ़िर क्यूँ हैं हम
इतने लाचार

मैं नारी हूँ...

घर परिवार की
ज़िम्मेदारी मैं संभालूं
बच्चों की परवरिश
पूरी लगन से करूं
फ़िर भी मेरा कोई
घर नहीं है
जिसने जन्म दिया
उनके लिए पराया धन
और जो ब्याह कर लाए
उनके लिए सगी हुई नहीं
जरूरत पड़ने पर
सबका सहारा भी बनती हूँ
फ़िर भी क्यूँ हूँ मैं बेसहारा

मैं नारी हूँ...

इस सृष्टि के सृजन का
आधार हूँ मैं
मर्द की कामयाबी के पीछे का
सार हूँ मैं
सबका साथ देती हूँ मैं
फ़िर भी चाहती हूँ मैं
तेरे मजबूत कंधों का सहारा

मैं नारी हूँ...

हमारी ना मे भी ना हो सकती है
समझदार हैं हम नादान ना समझो
हमारी कोख से जन्म लेकर
हमे ही शर्मसार करते हो
हमारे ऊपर अत्याचार करते हो
हमारी इज़्ज़त को तुम
तार तार करते हो
उसके लिए भी
हमे ही कुसूरवार समझते हो
ख़ुद को तुम
हमारा भगवान समझते हो
इतने पे भी
मैं अब तक ख़ामोश हूँ
मैं नारी हूँ...

#SwetaBarnwal



तन्हाई...

यूँ तो बहुत कुछ था पास मेरे
अब तन्हाई के सिवा कुछ नहीं
किसी ने हमे अपना बनाया
तो किसी ने नज़रें फेर ली
बहुत कुछ संभाल रखा है
इन आँखों में हमने तेरे लिए
जो देख लो तुम एक बार
तो किस्मत हमारी
और जो ना देख पाओ
तो कोई शिकायत नहीं
किस कदर बना लूँ तुझे 
शरीक-ए-ज़िंदगी मैं अपनी
थक चुकी हूँ बहुत
अकेले तन्हा चलते चलते
कि ख़ुद अपना भार
उठा सकती नहीं मैं
ग़म-ए-ज़िन्दगी मे 
डूब जाने दो मुझे अब 
कि शम्म-ए-ज़िन्दगी की लौ
मैं जला सकती नहीं अब... 

#SwetaBarnwal 


Wednesday 1 May 2019

इंतज़ार...

शून्य में झांकती मेरी निगाहें
तेरे दीदार को तरसती है ये आँखें
कब आओगे तुम पिया मोरे
सूनी पड़ी है मेरे दिल की राहें,
तेरे इंतज़ार में मैंने सदियाँ गुज़ारी
फीके पड़ गए सोलह श्रृंगार सारे
थकने लगा है मेरा मन
सूना पड़ा है घर का आँगन
कितने ही मौसम बित गए
फ़िर से आ गई सावन की बरखा
सजन मिलन को दिल तरसे
हर पल हर क्षण नैना बरसे
ना उम्मीद से हो बैठे हैं हम
मौत के कितने करीब हो बैठे हैं हम
एक वक़्त था जो हवा की तरह उड़ रहा था
और एक वक़्त है जो यादों की बोझ से रुक सा गया है
बस एक बार आ जाओ तुम मेरा नाम लेकर
कि इंतज़ार में ख़ामोशी बहुत शोर करती है ..

#SwetaBarnwal

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...