Sunday 31 December 2017

भारत माँ के लाल बहुतेरे,
अब सबको जागना होगा,
क्यूँ देश की रक्षा का ज़िम्मा,
बस उन फ़ौज़ी पे होगा...

#SwetaBarnwal
थोड़ी सी मस्ती थोड़ा सा स्वाभिमान बचा पाई हूँ,
ये क्या कम है मैं अपनी हस्ती, अपनी पहचान बचा पाई हूँ,
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ मस्ती और कुछ महकती यादें ,
जीने के लिए बस मैं इतना ही सामान बचा पाई हूँ. 

#SwetaBarnwal

Thursday 28 December 2017

इंतज़ार...

अब तो किसी अपने से भी, 
प्यार नहीं होता, 
किसी मुसाफिर का कोई, 
ऐतबार नहीं होता... 

होते हैं बस रिश्तों में 
समझौते यहां,
किसी को किसी से भी 
प्यार नहीं होता... 

दिल मे प्यार की हसरत लिए
ये उम्र गुज़र जाती है, 
कि किस्मत पे किसी का अपने
इख्तियार नहीं होता... 

जिस पल से है हमें प्यार बहुत
वो अक्सर हमारे ख्यालों मे होता, 
हक़ीक़त मे कभी भी उनका 
यूँ दीदार नहीं होता... 

बहुत बड़ी भीड़ है लोगों की
फिर भी हम अकेले हैं, 
अपने तो कई हैं मगर
अपना समझने वाला कोई नहीं होता... 

ढल जाती है ये ज़िन्दगी
यूँ ही गम की राहों मे, 
कि #श्वेता के होंठों को अब 
किसी हंसी का इंतज़ार नहीं होता...

#SwetaBarnwal

ऐसे ही नहीं मैं कविता बनाती हूँ...

अपने अहसासों को संजोती हूँ,
उसे शब्दों में पिरोती हूँ,
फिर काग़ज पे उतारती हूँ,
ऐसे ही नहीं मैं कविता बनाती हूँ...

कुछ दिल के अरमां संजोती हूँ,
कुछ खुशियों के पल ढूंढ लाती हूँ,
कुछ दर्द से नगमें चुराती हूँ,
ऐसे ही नहीं मैं कविता बनाती हूँ...

कुछ अहसास तेरे हैं तो कुछ मेरे, 
सज़ा लेती हूँ जज़्बातों को अल्फाज़ों में,
पिरो देती हूँ मैं हर सुख और दुख को,
ऐसे ही नहीं मैं कविता बनाती हूँ...

लफ़्ज़ों से सतरंगी सपने बुन लाती हूँ,
आसमान की सबको सैर कराती हूँ,
टूटे हुए दिल में अरमान जगा जाती हूँ, 
ऐसे ही नहीं मैं कविता बनाती हूँ...

सबकी सुनती हूँ कुछ अपनी सुनाती हूँ, 
दर्द में सबको अपनी सी लगती हूँ, 
रोते हुए को मैं हंसना सिखाती हुं, 
ऐसे ही नहीं मैं कविता बनाती हूँ... 


#SwetaBarnwal
किसी ने कहा है कि ;

*चार चार बेटियां विदा हो गई जिस घर में खेल कूद कर।*
*बहु ने आते ही नाप कर बता दिया की घर बहुत छोटा है।*....

तो हमने भी कह दिया कि;

चार-चार बेटियों की हज़ारों गलतियाँ माफ हो जाती है जिस घर में,
एक बहु की छोटी सी गलती भी स्वीकार नहीं होती है उस घर में...

#SwetaBarnwal 

Wednesday 27 December 2017

कविता

ये कविता है जो लिखी नहीं जाती है, 
बस दिल से उतर कर शब्दों मे बदल जाती है,
ये अहसासों से पनपती है 
और अल्फाज़ों के खज़ानों से उभरती है,
इसका कोई रंग-रूप नहीं होता है, 
ना कोई मुकम्मल स्वरूप होता है, 
ये गमों में उभरती है, 
तो खुशियों में निखरती है,
कविता ना तेरी होती है और ना मेरी,
ना ही ये स्वार्थी होती है,
ये गैरों के दर्द में बरसती है,
तो दूसरों की आशिकी में भी चमकती है,
झांकती है सबके दिलों में ये,
थोड़ी सी चंचल तो थोड़ी नादान है ये,
जिसकी कलम हो ये उसी की नहीं होती है, 
ये वो जादु है जो हर दिल से गुज़रती है, 
छु जाती है ये कइयों के दिल को, 
कह जाती है ये कइयों के अनकहे जज़्बातों को,
ये हर कोई लिख ले मुमकिन नहीं, 
हर कोई इसे समझ पाए आसान नहीं, 
ये वो हुनर है जो सिखाई नहीं जा सकती है, 
ये कोई हुक़ुमत नहीं जिसपे किसी का हक़ हो,
ये अहसासों का मेल है, शब्दों का खेल है, 
जो दिल से निकलती है और कागज पे बिखर जाती है...
ये कविता है जो लिखी नहीं जाती है, 
बस दिल से उतर कर शब्दों मे बदल जाती है...

#SwetaBarnwal

स्त्री और पुरुष में एक स्वस्थ मैत्री...

आख़िर क्यूँ 
मुमकिन नहीं है 
स्त्री और पुरुष में 
एक स्वस्थ मैत्री... 

क्यूँ इन संबंधों में 
अक्सर आ जाता है 
एक बेबाकपन, 
और एक निर्लज़ता... 

जन्म ले लेती हैं,
कुछ अतृप्त इक्षाएँ, 
और दमित वासनाएं, 
मन के किसी कोने में... 

क्यूँ नहीं उठ पाता है समाज, 
अपनी ओछी सोंच से,
क्यूँ धस जाती है स्त्री, 
किचड़ में कमल सी... 

सामाजिक रीति-रिवाज़, 
और ये दुनियादारी, 
नहीं पनपने देती, 
ये मैत्री का अंकुर...

सारी सभ्यता और संस्कृति, 
करने लगते हैं तांडव, 
उठने लगते हैं कई सवाल, 
स्त्री की स्मिता पे... 

बस यहीं आकर थम जाती है, 
सारी सोंच की उड़ान, 
रुक जाते हैं उसके पैर, 
चहारदीवारी के अंदर... 

चलो तुम कहते हो तो 
मान ही लेती हूँ मैं 
कि नहीं हो सकती है
स्त्री और पुरुष में एक स्वस्थ मैत्री...

पर आज एक बात
मान लो तुम मेरी भी,
थोड़ी बदल लो गर तुम अपनी सोंच,
तो खुल कर मुस्कुरा उठेंगे हम भी...

फिर शायद होगा मुमकिन,
स्त्री और पुरुष में एक स्वस्थ मैत्री...

#SwetaBarnwal
मेरे चेहरे मे वो नूर ना होता,
गर मेरा दिल मगरूर होता...😜

#SwetaBarnwal
मेरी आवाज़ है दिलकश, 
मेरे अंदाज़ हैं दिलनशीं, 
प्रेम की बहती धार है इस दिल में, 
मशहूर हूँ मैं हर महफ़िल में...

#SwetaBarnwal
लफ़्ज़ों से अहसासों की अहमियत कम हो जाती है, 
इसलिए मेरे जज़्बातों को शब्दों से तोला ना करो...

#SwetaBarnwal
बहुत लोगों को मेरे लफ़्ज़ों से प्यार होने लगा है, 
लगता है कइयों का दिल टूटा है मोहब्बत में... 

#SwetaBarnwal 
तारीफ़ करते हैं सभी मेरे लफ़्ज़ों की लेकिन, 
कोई मेरे अल्फाज़ों की सिसकियाँ नही सुनता...

#SwetaBarnwal 

Saturday 23 December 2017

सच का है नही कोई तोड़,
चाहे लाख लगा लें कोई जोर।

#SwetaBarnwal 
आज कह दिया उन्होने कि ;

हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर 
ये न सोचा था के तुम दिल में उतर जाओगे... 

Uff, 


Log aksar रिश्तों को शौख bana lete hain,
Ek हम हैं जो अपने शौख से भी प्यार कर लेते हैं...

#SwetaBarnwal 
वो कहते हैं हमसे कि ;


रौशनी में कुछ कमी रह गयी हो तो बता देना हमें,
दिल आज भी हाजिर है जल जाने के लिये !!



तो हमने भी कह दिया ;



रौशनी के लिए हमने दिया जला रखा है,
तुम तो बस दिल को हमारे लिए बचा रखो...



#SwetaBarnwal 

Thursday 21 December 2017

Echo friendly Christmas....

दोस्तों की कलम से ;

इको फ्रैडली क्रिसमस

 आईए 25 दिसंबर से 1 जनवरी 2018 तक... पर्यावरण बचाने का संकल्प लें।

1.देश मे व विदेश में पटाके न फोड़े व प्रदूषण कम करें।

2.मोमबत्ती प्रार्थना (चर्च)  में  न जलाएं, 
गांव और गरीबों  में इसे बांटें जिससे किसी के घर का अंधेरा दूर हो।

3. संता  के कपड़े बनाकर हर दुकान में, गिरिजाघर में, मॉल में न टांगे, 
इससे गरीबों के कपड़े बनाये, किसी गरीब के तन ढकने मे सहयोग करें। 

4. क्रिसमस ट्री बनाने में सामग्री व्यर्थ न गंवाएं, 
उन पैसों से अस्पताल विद्यालयों में गरीब मरीजों और बच्चों की मदद करें।

5. मिठाई और चॉकलेट पे व्यर्थ के पैसे बर्बाद ना करें, 
उन पैसों से गरीबों को भोजन कराये और पुण्य के भागी बनें.... ।


#SwetaPrakash 


गर्दिश-ए-जमाने मे हमने अक्सर ये देखा है,
हंसते हुए होंठों के पीछे आँसुओं का मेला है...

#SwetaBarnwal 

Wednesday 20 December 2017

ऐ ‪‎यारा ‬अब क्या लिखूं तेरी‪‎ बन्दगी में, 
बड़ा ‪‎खास‬ है रे तू मेरी ‪‎जिंदगी‬ में।

#SwetaBarnwal 
ये हाल-ए-दिल बयां करते हैं कैसे, 
दिल के ज़ख्मों को दिखाते हैं कैसे...
ये आँखें रात-रात जागती हैं कैसे, 
ये दर्द में आँसू निकलते हैं कैसे...
पल भर मे साथ छोड़ जाते हैं कैसे,
जीवन भर का साथ तोड़ जाते हैं कैसे...
पल भर में अपने बेगाने बनते हैं कैसे, 
दर्द में भी लोग मुस्कुराते हैं कैसे...
ज़िन्दगी बन साँसें छिन जाते हैं कैसे,
पास आ कर लोग दूर जाते हैं कैसे....


#SwetaBarnwal


कभी खुद को ना तन्हा समझना, 
खुद से मुझे तुम जुदा ना समझना, 
उम्र भर के साथ का वादा है तुम से, 
गर सांसें ही ना रही, तो हमें बेवफा ना समझना.... ।

#SwetaBarnwal 
ये तेरी चंचल शोख अदा, 
ये तेरी नशीली आंखें,
ये लहराते तेरे ज़ुल्फ़,
ये शोखियाँ, मदहोशियां,
ये तेरी बातें, ये आदतें, 
और क्या कहूँ ऐ हसीना, 
सर से पांव तक,
तु है कोई सुन्दर नगीना...

#SwetaPrakash 
खुशबू बन कर तुम मेरी सांसों में रहना, 
लहू बन कर तुम मेरी रगों में बहना, 
दोस्ती होती है रिश्तों का अनमोल गहना, 
इसीलिए दोस्तों को कभी अलविदा न कहना।

#SwetaPrakash 


वो बला की शोख़ी देखी है तेरी नज़रो मे,
वो हुस्न, वो नजाकत, वो बेकाबू जुल्फों की घटा,
क्या क्या बयान करूं मैं ऐ शोख हसीना,
हर बात बेमिसाल है तेरे हुस्न की...

#SwetaPrakash 

Tuesday 19 December 2017

एक चेहरा जाना पहचाना...

एक चेहरा जाना पहचाना,
एक साथी कोई अंजाना,
दिल उसकी यादों का दिवाना,
ख्वाबों में है रोज़ उसका आना जाना,,,

एक चेहरा जाना पहचाना...

वो खुशियों की डगर,
चाहे हो गमों का कहर,
उसका हर पल साथ निभाना,
मुस्कुरा के उसका हर गम भुलाना,,,

एक चेहरा जाना पहचाना...

राहों मे फैले हैं काले बादल घने,
दिल चाहता है वो हर कदम साथ चले,
मेरे हौसलों को था उसने हर पल थामा,
मेरी मुश्किलों को जिसने अपना माना,,,

एक चेहरा जाना पहचाना...

वो साथी था मेरा मस्ताना,
हर राह मे छेड़े खुशियों का तराना,
हर पल सुनाए नया ही फ़साना,
मौसम कोई हो, संग लगे उसके सुहाना,,,

एक चेहरा जाना पहचाना...

चला गया है जो कहीं बहुत दूर, 
खो गया है जो दुनिया की भीड़ में, 
बहुत मुश्किल है उसको भूल पाना, 
दिल चाहे जिसको फिर से अपनाना,,,

एक चेहरा जाना पहचाना...

#SwetaBarnwal 

नया साल

ये साल जा रहा है, नया साल आ रहा है,,,
ये वक़्त गुज़र रहा है, वो वक़्त भी गुज़र जाएगा...

सब कुछ पाने की चाह मे बहुत कुछ छूट रहा है,,,
आज जो अपना है कौन जाने कब वो बेगाना हो जाएगा...

ज़िन्दगी की रेस लगी है, हर कोई दौड़ रहा है,,,
नाम कमाने की कोशिश में हर कोई गुमनाम हो जाएगा...

दुनिया की भीड़ मे सब अपनों को खो रहा है,,,
रंग बदलती दुनिया मे एक दिन ख़ुद खो के रह जाएगा...

ये साल जा रहा है, नया साल आ रहा है,,, 
ये वक़्त गुज़र रहा है, वो वक़्त भी गुज़र जाएगा...

#SwetaBarnwal 

Tuesday 12 December 2017

वक़्त नहीं....

हर वक़्त बदलती दुनिया में, अपने लिए वक़्त नहीं... 
पल-पल मरते लोगों मे, जीने का भी वक़्त नहीं...

माँ से प्यार बहुत है, पर माँ को "माँ" कहने का वक़्त नहीं...
याद बहुत आती है बाबा की, पर बूढ़ी आँखों के लिए वक़्त नहीं...

यूँ तो खुशियाँ बहुत है पर, ख़ुश होने का भी वक़्त नहीं...
अहसासों को मार चुके हम, अब उन्हें जलाने का भी वक़्त नहीं... 

Social media पे दुनिया से जुड़े हैं, पर अपनों के लिए वक़्त नहीं... 
दोस्तों की लम्बी फौज है, पर दोस्तों के लिए वक़्त नहीं... 

पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े, साँसें लेने का भी वक़्त नहीं...
पैर बहुत थके हैं लेकिन रुकने का भी वक़्त नहीं,

दिल में दर्द हज़ारों हैं, पर रोने का भी वक़्त नहीं...
सोना चाहें ख़ूब मगर पर सोने का भी वक़्त नहीं....

हर वक़्त बदलती दुनिया में, अपने लिए वक़्त नहीं... 
पल-पल मरते लोगों मे, जीने का भी वक़्त नहीं...

#SwetaBarnwal 

Monday 11 December 2017

हर एक  की जिंदगी में  ये  मुकाम  आता  है,
फूलों के हार से पहले कांटो का साथ आता है...

#SwetaBarnwal 

Sunday 10 December 2017

जो कलम चलती है तो दिल की दास्तां लिखती हूँ.,
वफ़ा और बेवफ़ाई का अंदाज़-ए-बयां लिखती हूँ,
सिमटते नहीं हैं मेरी पलकों पे आँसू, 
जब उनसे गम-ए-ज़ुदाई के अल्फाज़ लिखती हूँ...

#SwetaBarnwal 

बेटियाँ...

बेटियाँ....,

इन्हे जीने का अधिकार दो,
थोड़ा सा इनको प्यार दो... 

दो शिक्षा का अधिकार इनको,
अहसास दो अपनेपन का इनको... 

मान दो, सम्मान दो इनको,
आगे बढ़ने का अधिकार दो इनको...

माना ये वंश बेल को नहीं बढ़ाएगी, 
पर इनके बिना वंश बेल मर जाएगा... 


#SwetaBarnwal
दिल है छोटा सा,
छोटी सी आशा,,, 
पूरी दुनिया पे हो हुकूमत मेरी,
बस इतनी सी अभिलाषा...

#SwetaPrakash 
तेरे इश्क़ में सनम मैं दिवानी हो गई, 
तेरे करीब क्या हुई दुनिया से बेगानी हो गई,
बस एक बार फिर से भर ले बाहों में अपने,
तेरे ख़ातिर मैं खुद से अनजानी हो गई...

#SwetaBarnwal 
मेरे अश्कों को दरिया समझ वो कश्ती चलाते रहे, 
मंज़िल मिले उन्हें यही सोच हम आँसू बहाते रहे...

#SwetaBarnwal 
ज़िन्दगी जीने का तरीका किसी को सिखाया नहीं जा सकता, 
गर कोई सीख ले तो फिर भुलाया भी नहीं जा सकता, 
ये दर्द-ए-दिल की दास्तां किसी से छुपाई नहीं जा सकती,
और मुश्किल ये है की किसी से बताई भी नहीं जा सकती...।

#SwetaPrakash 
यूँ  गोल-गोल बातों  को  घुमाया  ना  करो,
हमे इस  कदर आप उलझाया ना करो... 
आपकी बातें हमे करती है इस कदर बेचैन, 
ना दिन को है सुकून और रातों को चैन... 

#SwetaBarnwal 
हुए जिसपे मेहरबां तुम कोई खुशनसीब होगा, 
जो बन गए  तुम हमसफर मेरे तो ये मेरा नसीब होगा... ।

#SwetaBarnwal 

Saturday 9 December 2017

दिल को जब आइ तेरी याद,  
आँखें मेरी छलक गई, 
आँसू मेरी आँखों के
वफ़ा तुझसे कर गई... ।

#SwetaBarnwal 
आज  हिमालय की चोटी से
फिर दुश्मन ने ललकारा है,
भारत माँ के वीर सपूतों,
तुम्हें उनको धूल चटाना है...

कश्मीर की जो मांग करेगा,
वह अब मुह की खाएगा,
हिंदुस्तान को batne वाला,
Ab ख़ुद बोटी-बोटी कट जायेगा...

नहीं वक़्त अब सोने का,
तुझे तूफां बन अब चलना है,
देश के अंदर छुपे गद्दारों पे,
मौत बन अब तुझे गिरना है...



नन्ही नींद सो जाती है,
ओढ़ के माँ का आँचल,
माँ तो तब सो पाती है
जब नन्ही नींद उढा दे चादर.... ।

#SwetaBarnwal 

Friday 8 December 2017

माँ

ज़िन्दगी की तपती धूप में एक ठंढा साया पाया है मैंने,
जब आंखें खोली अपनी माँ को मुस्कुराता हुआ पाया है मैने.. 

जब भी माँ का नाम लिया,
उनका बेशुमार प्यार पाया है मैंने.. 


जब भी कोई दर्द महसूस हुआ या आई हो कोई भी मुसीबत,
खुद को अपनी माँ के पहलु मे महफूज़ पाया है मैंने..

जागती रही वो रात भर मेरे लिए, 
ना जाने कितनी ही रातें उन्हें जगाया है मैंने.. 


ज़िन्दगी के किसी मोड़ पे जो हुई गुमराह मैं, 
इसकी हिदायत पे पकड़ ली सीधी राह मैने...

जिसकी दुआ से हर मुसीबत लौट जाए, 
ऐसी नेमत ख़ुदा से पाई है मैंने..

हर फिक्र को जानने वाली, जज़्बातों को पहचानने वाली,
मेरे सपनों को अपने पलकों पे सजाया है उसने..

मेरी ज़िन्दगी की पहचान मेरी माँ से है,
मेरे लिए अपनी ज़िन्दगी की समा जलाई है माँ ने..

#SwetaBarnwal 


बड़े फायदे का सौदा हो गया है शायद लहू का कारोबार,
जब भी बहता है आसमां छु जाता है राजनीति का बाजार...।

#SwetaPrakash 
सारी उम्र गुज़ार दी तुने मुझे परखने में,
काश...! थोड़ा तो वक्त दिया होता मुझे समझने में...।

#SwetaBarnwal 

माँ...! तुम बहुत याद आती हो... ।😢

माँ...! तुम बहुत याद आती हो... ।

जब सुबह - सुबह उठ के खुद से रेस लगाती हूँ,
चंद लम्हों में ही सब कुछ समेटने की कोशिश करती हुँ,
वक्त को पिछे करने की चाह मे जब खुद पिछे रह जाती हुँ
तब, हाँ,,,  माँ...! तुम बहुत याद आती हो... ।

हर रोज सुबह उठती हूँ मैं अब बिना तेरी डांट सुने,
अब तरस गये हैं कान सुनने को, 
जब बाबा कहते थे,  अरे सोने दो पांच मिनट, 
अब अलार्म की घंटी ही माँ और बाबा हो गये हैं। 
कभी लगता है सब छोड़ सो जांऊ कुछ देर और, 
तब, हाँ,,,  माँ...! तुम बहुत याद आती हो... ।

जब कभी खाने का स्वाद बिगड़ जाता है,
और सबकी पैनी नज़र मुझपे आ कर टिकती है,
गलत ना हो कर भी जब गुनहगार बन जाती हुंँ,
तब, हाँ,,,  माँ...! तुम बहुत याद आती हो... ।

सास, ससुर, ननद, देवर, पति और बच्चों
सबको खुश रखने मे हर बार खुद को तकलीफ देती हुँ,
फिर सबके होठों पे प्यार के दो मीठे बोल नही देखती,
तब, हाँ,,, माँ...! तुम बहुत याद आती हो... ।

एक कुशल गृहिणी और कामकाजी महिला के बीच
#श्वेता जब खुद को अक्सर तलाशा करती है, 
सब कुछ पाने की कोशिश में जब सब कुछ छुटता है,
तब, हाँ,,, माँ...! तुम बहुत याद आती हो... ।

पूरे दिन की भाग दौड़ और सबकी जरूरतों को पूरा कर,
जब देर रात खुद को बिस्तर तक घसीटती हुँ,
और नींद के आगोश में जब अगले दिन की रूपरेखा बनाती हुँ,
तब, हाँ,,,  माँ...! तुम बहुत याद आती हो... ।

#SwetaBarnwal 
उनकी याद दिल से जाती नहीं,
कोई और इस दिल मे समाता नहीं,
बातें उनकी लुभाती है मुझको,
कौन है वो..! कैसे कह दूँ तुझको.... ।

#SwetaBarnwal 
हसरतें दिल की अधूरी रह जायेगी, 
ज़िंदगी तुझ बिन ना पूरी हो पाएगी,
अब और ये दूरी सही ना जाएगी, 
जो मिल जाऊँ तुझसे मुकम्मल हो जाएगी...

#SwetaPrakash 

Thursday 7 December 2017

मेरी आँखों में कैद कई सपने हैं, 
कुछ बेगाने तो कुछ अपने से हैँ,
कुछ तो कशिश है उनकी बातों में,
गैर हो के भी वो कितने अपने से हैं... 

#SwetaBarnwal 
ना मुझे चांदी और ना ही सोना चाहिए,
ना  ही  दिल बहलाने को कोई खिलौना चाहिए,
कह सकें जिसे हम दिल से अपना,
ऐसा भी तो कोई साथी होना चाहिए...

#SwetaBarnwal 
यूँ  वफा  की बात  की और दिल चुरा  गए, 
तन्हाई में अपने दिल की धड़कन सुना गए, 
हम तो समझते रहे उनको अजनबी, 
और वो हमे  अपने दिल मे बसा गए...

#SwetaBarnwal 
शायद ये वक़्त हमसे कोई चाल चल गया, 
रिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढल गया, 
अश्क़ों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही, 
चलो उसी मोड़ से शुरू करें फिर से जिंदगी।

#SwetaBarnwal 
आ जाते हैं लोग हमको समझाने,
सब समझते हैं हमको दीवाने,
गर मिल जाता सुकून महफिल में,
यूँ जाते ना लोग मैखाने में....

#SwetaBarnwal 
गर है तुझको मुझसे प्यार इतना, 
अपनी किस्मत तु बना ले मुझको, 
गर मानता है तु मुझको अपना मुकद्दर, 
अपने हाथों की लकीरों मे सजा ले मुझको...।

#SwetaPrakash 

Wednesday 6 December 2017

मौत मैं अपनी #शायराना चाहती हूं...।

थक गई हूँ मै चलते-चलते ऐ ज़िन्दगी,
थोड़ी देर तेरी आगोश में सुस्ताना चाहती हूं... ।
बहुत बहा लिए आँसू मैंने किसी की याद में,
अब थोड़ी देर के लिये मुस्कुराना चाहती हूं ...। ।

कहाँ से चली थी मै कहाँ को पहुंच गई,
मंज़िल की चाह मे रास्ते से भटक गयी मैं... ।
अब नहीं कोई और है हसरत मेरी,
दो पल चैन से मैं गुनगुनाना चाहती हूं... ।।

कभी चाहा था किसी को बे-इन्तेहाँ,
एक बार फिर उसी से नज़रें मिलाना चाहती हूं...। 
ज़लील हुई थी जहां मेरी मोहब्बत,
एक बार फिर उसी के दर पे जाना चाहती हूं...। ।

बहुत खाई है ठोकरें #श्वेता ने फूलों से,
एक बार पत्थरों को भी आज़माना चाहती हूं...।
अपने बनकर कई दगा दे गए हमे,
एक बार गैरों से भी दिल लगाना चाहती हूं...। ।

जीते जी जो पूरी हो ना सकी हसरत हमारी,
अब मर कर उसे पूरा कर जाना चाहती हूं...।
ज़िन्दगी तो कभी मुकम्मल हुई नहीं हमारी,
बस मौत मैं अपनी #शायराना चाहती हूं...।

#SwetaBarnwal

यूँ हमसे कभी दूर जाया ना करो, 
जो हुई हो खता बताया भी करो, 
जिसने पल-पल गुज़ारा है तेरी याद में, 
उसे अपनी एक आवाज़ के लिए तड़पया ना करो...

#SwetaPrakash 

Tuesday 5 December 2017

काश..! मेरे दिल की ये हसरत पूरी हो जाये,
किसी शाम तेरे साथ एक-एक ज़ाम हो जाये...।

#SwetaBarnwal 

ऐ हवा एक बार इधर तो आना...

ऐ हवा एक बार इधर तो आना,
एक बार उनकी खबर तो ले आना...।

जो कभी एक पल नहीं गुज़ारे हमारे बिना,
कैसे हो रहा है बिन हमारे अब उनका गुजा़रा...।
ऐ हवा एक बार इधर तो आना....

एक वक़्त था जब बातें खत्म नहीं होती थी,
एक ये वक़्त है जब बातें ही नहीं होती हैं ... ।
ऐ हवा एक बार इधर तो आना....

मेरी जुल्फों में अपनी रातें गुज़ारा करते थे, 
ना जाने कैसे कटती हैं अब उनकी रातें...।
ऐ हवा एक बार इधर तो आना...

एक बार उनको हमारी याद दिला जा, 
उनको हमारे होने का अहसास करा जा। 
ऐ हवा एक बार इधर तो आना...

गुज़रती नही हैं हमारी रातें उनके बिन, 
ढलता नहीं है दिन हमारा उसके बिन। 
ऐ हवा एक बार इधर तो आना...

साथ जीने-मरने का वादा किया था कभी,
दो पल के साथ को भी मोहताज कर गये।
ऐ हवा एक बार इधर तो आना...

बस एक आखिरी ख्वाहिश पहुंचा दे मेरी,
मरने से पहले वो आ जायें कब्र पे मेरी। 
ऐ हवा एक बार इधर तो आना,
एक बार उनकी खबर तो ले आना...।


#SwetaBarnwal 
बड़ी जल्दी पंख लगा कर ये साल उड गया,
कुछ बेगानों को अपना और कुछ अपने को बेगाना कर गया..।

#SwetaPrakash 

हरिवंश राय बच्चन जी की कविता

रब ने नवाज़ा हमे ज़िंदगी देकर, 
और हम शौहरत मांगते रह गए...
ज़िन्दगी गुज़ार दी शौहरत के पीछे,
फिर जीने की मोहलत मांगते रह गये...
ये कफ़न, ये जनाज़े, ये कब्र,
सिर्फ बातें हैं मेरे दोस्त...
वरना मर तो इंसान तभी जाता है,
जब याद करने वाला कोई ना हो...
ये समंदर भी तेरी तरह खुदगर्ज निकला,
ज़िंदा थे तो तैरने ना दिया, और मर गये तो डूबने ना दिया...
क्या बात करें इस दुनिया की,
हर शख्स के अपने अफसाने हैं...
जो सामने है उसे सब बुरा कहते हैं,
जिसको देखा नही, उसे सब "खुद़ा" कहते हैं...। 

#SwetaPrakash 


अच्छा लगता है

अच्छा लगता है 
तेरी बातें अच्छी लगती है, तेरी चाहत सच्ची लगती है,,, 
तू प्यार है मेरा, ये ख्याल अच्छा लगता है...।

मैं चाहूँ तुझे बे-इन्तेहाँ,,,
तू भी मुझको ही चाहे, ये ख्याल अच्छा लगता है..। 

तुझसे है मेरा कई जन्मों का नाता,,,,
तेरा साथ मुझको सबसे अच्छा लगता है..। 

बहुत खूबसूरत लगने लगी है ये ज़िंदगी,,, 
तेरी हर अदा मुझको अच्छी लगती है...। 

तू कहे तो मैं फलक तक चल दूँ,,, 
तेरा साथ होना ही अच्छा लगता है..। 

तुझ पर तो अपनी जान भी वार दूं मैं,,, 
पर तेरे साथ जीना अच्छा लगता है...।

यूँ तो तन्हा भी कट जाती ये ज़िन्दगी,,, 
पर तेरा कदम से कदम मिलाना अच्छा लगता है..।

#SwetaPrakash 
मेरा अक्श भी ताउम्र महकता रहा,
जो तेरे इश्क़ से खुद को संवारा मैंने...
मैं रही ख़ुद उलझी गर्दीशों में,
मेरा सितारा फिर भी चमकता रहा...

#SwetaPrakash 

Monday 4 December 2017

बिखेरो जो जु़ल्फ़ें तो शरमाये बादल !
तूझको जो भी देखे वो हो जाये घायल !
मोहब्बत की वो पाकीजा़ मुरत हो तुम !
खुद़ा कसम...! बहुत खूबसूरत हो तुम !

#SwetaBarnwal 
यहाँ - वहां, जहां - तहां,,,, 
नज़रों ने ढूंढा तुझको कहां - कहां... 

#SwetaBarnwal 
बुझते  चिरागों मे रौशनी भरी है  हमने, 
आँधियों से भी दुश्मनी ले रखी है हमने...।

#SwetaBarnwal 

Sunday 3 December 2017

सब कुछ पाने की हसरत मे,
जो था पास वो भी छोड़ दिया,
सब को खुश रखने की चाहत में,
हमने अपना ही दिल तोड़ दिया...।

#SwetaPrakash 
तेरे इश्क़ में हम मगरूर हो बैठे, 
दिल के हाथों हम मजबूर हो बैठे,
जुदाई के आलम मे पता ही ना चला,
तेरे करीब आ गए या तुझसे दूर हो बैठे... ।

#SwetaPrakash


रिश्तों को भी हमने व्यापार बना रखा है,
लेन-देन का कारोबार बना रखा है,
कैसे होंगे रिश्तों मे प्यार और माधुर्य,
नाप-तौल का हमने बाज़ार बना रखा है..।

#SwetaPrakash

फर्क सिर्फ इतना....

यूँ तो दोस्त कई हैं हमारे,  मगर फर्क सिर्फ इतना है,,,,
कुछ ज़ख्म दे जाते हैं और कुछ ज़ख्मों पे मरहम लगा जाते है..।

हमसफर तो कई बन्ते हैं ज़िन्दगी में, मगर फर्क सिर्फ इतना है,,,
कुछ साथ छोड़ जाते हैं और कुछ साथ - साथ चलते हैं...।

यूँ तो हर कोई दोस्ती करता है, मगर फर्क सिर्फ इतना ही है,,,
कुछ बस आज़माते हैं और कुछ दोस्ती निभा जाते हैं...।

प्यार करने वाले भी कई मिलते हैं, मगर फर्क सिर्फ इतना है,,,
कुछ जान ले लेते हैं और कुछ जान लुटा जाते हैं...।

यूँ तो कई आशिक़ मिल जाते हैं, मगर फर्क सिर्फ इतना ही है,,,
कुछ दिल-फेंक होते हैं और कुछ दिलदार बन जाते हैं...।

#SwetaBarnwal 

ये कौन जानता है....


कहाँ तक जाना है, ये कौन जानता है...
क्या खोना और क्या पाना है, ये कौन जानता है...
किस मोड़ पे कौन मिल जाए, ये कौन जानता है...
कब कौन बिछड़ जाए, ये कौन जानता है...

कब ज़िन्दगी महक उठे, ये कौन जानता है...
कब लहूलुहान हो उठे ज़िन्दगी, कौन जानता है...
मिलों तक का सफर साथ तय करने का इरादा लिए,
कब दुनिया छोड़ जाए, ये कौन जानता है...

कब कामयाबी तेरे कदम चूमे, ये कौन जानता है...
अगले ही पल कब ठोकरें खाओ, ये कौन जानता है...
लाखों - करोड़ों के दिलों मे बसने वाला,
कब गुमनामी के अंधेरे मे खो जाए, ये कौन जानता है...

हर वक़्त अपने अहं मे दूसरों को नीचा दिखाने वाले,
अगले ही पल क्या होगा, ये कौन जानता है...
कट जाएगी ये ज़िंदगी इसी कश्मकश में,
तन छोड़ आत्मा कब निकल जाएगी, ये कौन जानता है....

#SwetaBarnwal 
वो शक्स..! जो मेरी ज़िन्दगी का किस्सा था,
कभी मेरे हिस्से ना आया...।
और जो मेरे हिस्से आया,
वो कभी मेरा हिस्सा ना बन पाया...।

 #SwetaBarnwal

Saturday 2 December 2017

Itna na Dena Prabhu ki magrur Mai ho jaun,,,,
Or Jholi Khali bhi na rakhna ki majbur ho jaun...
Kuchh mile na mile Teri duniya me muje,
Bass itna kar Karam mujpe,
Teri bhakti me Mai mas-hur ho jaun...


#SwetaBarnwal 
कोई अनजान जब अपना बन जाता है,
ना जाने क्युँ वो बहुत याद आता है,
लाख भुलाना चाहो उस चेहरे को मगर,
अक्स  उसका हर चीज़ में नज़र आता है..।

#SwetaBarnwal 
कितने चेहरे हैं इस दुनिया में,
मगर हमको एक चेहरा ही नज़र आता है,
दुनिया को हम क्यों देखें,
उस एक की याद में सारा वक़्त गुज़र जाता है..।

#SwetaBarnwal 
न भूख है मुझे न दौलत की प्यास बाकी है,
मिलती रहे हर किसी से मोहब्बत काफी है।

#SwetaBarnwal 
अब मुझे किसी और का इंतज़ार नहीं है,
तुझे पाकर अब किसी और से प्यार नहीं है,,,।

#SwetaBarnwal 
*जलेबी* मात्र मीठी ही नहीं एक महत्वपूर्ण संदेश से परिपूर्ण है ..,

स्वयं कितने भी *उलझे* रहो पर दूसरो को हमेशा *मिठास* दो। ...

#SwetaBarnwal 
Gar jo कोशिश karoge सुनने ki,
dhadkano ki sada Khamoshiyon me,
Yakinan उस वक़्त तुम sun paoge,
Meri mayusiyon ko meri sanson me...

#SwetaBarnwal 
Ek bar kisi ne kaha hume;

तुझे क्या कहूं तू है मरहबा. तेरा हुस्न जैसे है मयकदा
मेरी मयकशी का सुरूर है, तेरी हर नजर तेरी हर अदा

To humne bhi kah diya;

Ye koi Jalwa nhi h mere हुस्न ka,
Ye to bass inayat h apke nazar ki...

#SwetaBarnwal 
किसी ने सच ही कहा है,  लेखनी में वजन खुद बखुद आ जाता है,
गर चाहत सच्ची हो, या फिर इश्क में उसका दिल टूटा हो..।

#SwetaBarnwal 
तुम शब्दों के जादूगर हो,
मै ख़ामोशी की सौदागर हूँ.. |
तुम ने जब चाहा, जो चाहा, कह दिया,
मैने हर बार, हर बात हंस कर मान लिया.... ||

#SwetaBarnwal 
उनकी ल्फजों में वो ज़ादू था या उनकी नजरों  मे,
की ज़माने को भूल खो गई मैं अपने ही अक्श में.... |
उसने तारीफ ही कुछ इस अन्दाज में की मेरी,
की अपनी ही तस्वीर को मैने सौ बार देखा... |

#swetabarnwal

मैं और मेरा बचपन...

जो छुट गया,  उसे पाने का मन है,
जो पाया है,  उसे भूल जाने का मन है।

छोड़ा बहुत कुछ,  पाया बहुत कम है,
खर्चा बहुत सारा,  जोड़ा बहुत कम है।

छोड़ा बहुत पीछे वो प्यारा छोटा-सा घर,
छोड़ा मां-बाबूजी के प्यारे सपनों का शहर।

छोड़े वो हमदम वो गली,  वो मोहल्ले,
छोड़े वो दोस्तों के संग विद्यालय की नौटंकी, वो हल्ले।

छोड़े सभी पड़ोस के वो प्यारे-से रिश्ते,
छुट गए प्यारे से वो सारे अध्यापक और बस्ते।

जो छोड़ा उसे पाने का मन है,
जो पाया है उसे भूल जाने का मन है।

छूटी वो प्यार वाली मीठी-सी राखी, होली और दिवाली,
छूटा वो विद्यालय, छूटी वो बिंदास दोस्तों की टोली।

छूटा वो गोलगप्पे वाला, वो अल्हड़पन, वो मस्ती,
छूटे वो बचपन के सब संगी और साथी।

छूटी वो मां के हाथ की प्यार भरी रोटी,
छूटी वो बहनों की प्यार भरी चिकोटी।

छूट गई नदिया, छूटे हरे-भरे खेत,
जिंदगी फिसल रही, जैसे मुट्ठी से रेत।

छूटे वो भाई-बहन, वो गुड्डे-गुड़ियों संग खेलना,
छुटी वो अटखेलियां, वो मासूमियत, वो नादानियां।

छूट गया #श्वेता का बचपन उस प्यारे से गांव में,
यादें शेष रह गईं बस सपनों के छांव में।

#SwetaBarnwal 
मुझमे कैद है कितनी ही आज़ादियां,
उन आज़ादियों मे ना जाने मैं कितनी कैद हुँ...।

#SwetaBarnwal 

Friday 1 December 2017

ऐ ज़िन्दगी तु इस कदर बेवफाई ना किया कर,
एक दिन मौत को गले लगा मैं तुझसे बेवफाई कर जाउंगा...।

#SwetaBarnwal

मेरे "पापा" 😇

मुझे नाज़ों से पाला,  मुझे सर पे बिठाया,
मुझे गले से लगाया, मुझसे लाड़ लडाया,
जिसने हर मुसीबत से है मुझको बचाया,
हैं जहाँ से भी प्यारे मुझको मेरे "पापा" ।

अच्छे-बुरे का जिसने पहचान कराया,
हालातों से जिसने मुझे लड़ना सिखाया,
आंधियों में भी मुझे डिगना सिखाया,
हैं जहाँ से भी प्यारे मुझको मेरे "पापा" ।

हर घड़ी हर पल जो मेरे साथ रहे,
आगे बढ़ने को हर पल जो मुझसे कहे,
मेरी बेटी है "श्वेता" कह के जो गर्व करे,
हैं जहाँ से भी प्यारे मुझको मेरे "पापा" ।

गल्तियों पे डांटा और फिर प्यार से समझाया,
छोटी-छोटी उपलब्धियों पे मुझको सराहा,
मेरे सपनों को जिसने अपना जीवन बनाया,
हैं जहाँ से भी प्यारे मुझको मेरे "पापा" ।

अपने परों से मुझको उड़ना सिखाया,
स्वाभिमान के साथ जिसने मुझे जीना सिखाया,
बुराईयों से जिसने मुझे लड़ना सिखाया,
हैं जहाँ से भी प्यारे मुझको मेरे "पापा" ।

#SwetaBarnwal

Dedicated to my father, who will always be with me in my heart... 😔
तेरे इश्क़ मे हम सब कुछ भुला बैठे,
दिल तो अपना था उसे भी गंवा बैठे...

#SwetaBarnwal

Ye pyar hai janab, koi कारोबार nhi...
Jo thoda mai karun or thoda tu kare.
Ye to bass dil ane ki bat h,
Pyar to rahega hi, fir chahe koi inkar kare...

#SwetaBarnwal 

पता ही ना चला...

कल तक माँ की साड़ी से खेलने वाली, बाबा का हाथ थामे चलने वाली
कब दुनिया की नज़र मे चुभने लगी, पता ही ना चला... ।

मायके से ससुराल तक का सफर तय कर लिया,
कब बेटी से बहु बन गई, पता ही ना चला... ।

अक्सर छोटी-छोटी बातों के लिए ज़िद पे अड़ने वाली,
कब इतनी समझदार हो गइ, पता ही ना चला... ।

एक छोटी सी ख्वाहिश पूरी ना होने पे घर को सर पे उठाने वाली,
कब अपनी ख्वाहिशों को मारना सीख गई, पता ही ना चला... ।

छोटी सी चोट पे आँखों मे मोटे-मोटे आँसू लाने वाली,
कब दूसरे के आँसू पोछना सीख गई, पता ही ना चला... ।

अपने माँ-बाबा के आँगन में दिन-रात चहकने वाली चिड़िया, 
कब एक मुस्कान को तरस गई, पता ही ना चला... ।

हर बात मे ख़ुद को सही साबित करने वाली वो ज़िद्दी,
कब बात-बात मे गलत साबित होने लगी, पता ही ना चला... ।

अपने हक़ के लिए लड़ने वाली और सच का साथ देने वाली,
कब उसका स्वाभिमान तार-तार हो गया, पता ही ना चला... ।

कल तक मस्तमौला, खुशमिजाज़ और स्वक्षंद रहने वाली लड़की,
कब आजा़दी की एक सांस को तरस गई, पता ही ना चला... ।

"श्वेता" कहती है कि, गुड्डे-गुडियों से खेलने वाली चंचल शोख हसीना,
कब खुद गुड्डे-गुडियों की मांँ बन गई, पता ही ना चला... ।

#SwetaBarnwal 

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...