Wednesday 18 December 2019

भूली बिसरी यादें...

ख़ामोशियों को समझ जाया करते कभी,
ना जाने क्यूँ अब लफ़्ज़ों की ज़रूरत पड गई,
बातें जो कहनी थी सारी अनकही रह गई,
तुम जैसे थे अब वैसे ना रह गए,
थोड़ा वक्त बदल गया थोड़े हालात बदल गए,
ना जाने कैसे पास से अब दूर हम हो गए,

मोहब्बत बस अब अल्फाज़ बन कर रह गए,
दरमियाँ बस अब हमारे ख़ामोशियों रह गई,
कुछ मिल गया कुछ मिल कर खो गया,
जाने कहाँ अब वो लम्हा खो गया,
अब ना कोई आरजू दिल में रह गई,
जिसे चाहा था कभी वो किसी और के हो गए,

मुद्दतों बाद आज यूँ ही एक अनजाने मोड़ पर
उनसे अचानक मुलाकात हो गई,
सांसे रुकने लगी, होंठ सिलने लगे,
सदियों पुराने दिन ना जाने क्यूँ आज फ़िर याद आने लगे,
जो कहते थे कभी ना छोड़ेंगे हाथ तेरा,
वो आज बहुत दूर नज़र आने लगे,

देखते ही उनको आँखे ना जाने क्या बयां कर गई,
बात दिल की जो थी दिल में ही रह गई,
लब हिले भी नहीं और बात हो गई,
जो करनी थी शिकायत जाने कहाँ खो गई,
कुछ अधूरे से तुम कुछ अधूरे से हम,
मिली नजरों से नज़र और बात हो गई,

बातें कहनी थी बहुत अब अनकही रह गई,
सदियों का रिश्ता पल में सिमट कर रह गया,
कही अनकही, सुनी अनसुनी सब भूल कर,
फ़ेर लिया मुह हमने भी अब अतीत से, 
जो छोड़ गए थे साथ उसे रस्ते में छोड़ आए हम,
कल को दफन कर अपने आज से रिश्ता जोड़ आए हम...


#SwetaBarnwal


Monday 16 December 2019

ज़िंदगी... हर पल घटेगी...

कभी मुस्कान में बितेगी
कभी आँसुओं मे कटेगी
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...
यूँ तो ख़्वाहिशें बहुत है
और पाने की उम्मीदें भी,
मालूम है
कुछ जाएगा नही साथ,
फ़िर भी चिंताएं लिए फिरते हैं हजार,
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...
चाहे जितनी पैबंद लगा लो
जिंदगी की जेब में,
फ़िर भी निकल ही जाते हैं
खुशियों के चंद लम्हें
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...
ज़िंदगी का अपना
बस इतना सा ही फ़साना है,
आज है दर्द
तो कल ख़ुशी का खज़ाना है,
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...
एक दूसरे के मन को टटोलते रहिए,
है क्या दिलों में सबके जानते रहिए,
मुलाकातें हो ना हो रिश्ता ज़िंदा रहे,
दिलों में सबके मोहब्बत जिंदा रहे,
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...


#SwetaBarnwal 

तुम जैसे हो... अच्छे हो...

तुम जैसे हो... अच्छे हो...
ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

कभी किसी के लिए खुद को बदलने की कोशिश ना करना,
छोड़ दो औरों की नज़र से ख़ुद को देखना,
छोड़ दो ज़माने की हर बात पे ध्यान देना,
हर एक को खुश रख पाना यहां मुमकिन नहीं,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

इसने तो भगवान को भी ना छोड़ा, हम तो इंसान हैं
इसने तो माँ सीता के सतित्व पर भी सवाल उठाया था,
ना जाने पीठ पीछे कैसे कैसे इल्ज़ाम लगाया था,
राजा हरिश्चंद्र को भी अग्नि परीक्षा यहां देनी पडी थी,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

कभी अपने उसूलों से सौदा ना करना,
कभी अपने अरमानों की आहुति मत देना,
कभी किसी और के लिए अपने मन को ना मारना,
यहां लोग पल भर में ना जाने कितने रंग बदलते हैं,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

जब जो जी मे आए वो कह डालना,
जब जो जी मे आए वो कर गुज़रना,
बस इतना याद रखना तुम्हारी वज़ह से किसी की आँख में आंसू ना आए,
ख़ुश हो ना हो कोई तुम्हारी वज़ह से दुःखी ना हो,
बाकि जीना वैसे ही जैसे तुम्हारा दिल जाए,
भूल कर सारे जहाँ को बस आज मे जीना,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

भीड़ से अलग निकल, ख़ुद की एक नई पहचान बना,
भरोसा रख ख़ुद पर कि एक नया आयाम बना,
फर्क़ नहीं पड़ता है कि तुम सौ बार नाकाम हुए,
जीत मिले ना मिले तजुर्बे तुझे हजार मिलेंगे,
जो तुम चुप चाप बैठ गए तो क्या होगा,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

अपने अंदर के जज़्बे को संजो कर रखना,
बच्चे बनकर रहना सदा, समझदारों को अक्सर लुढकते देखा है,
बहुत जी लिया औरों के लिए, दो पल के लिए खुद से भी मिल लो,
थक गए होगे भागते भागते, दो पल के लिए सुस्ता तो लो,
पलट जाए शायद किस्मत तुम्हारी,
दो पल के लिए ही अपने प्रभु को मन में बसा तो लो...

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

तुम जैसे हो... अच्छे हो...
ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,
कभी किसी के लिए खुद को बदलने की कोशिश ना करना...

#SwetaBarnwal




Thursday 12 December 2019

साथ...

साथ मिलकर चलते हैं ना,
सपनों में ही रहते हैं ना,
कुछ तुम कह लेना
कुछ हम सुन लेंगे,
प्यार की एक नई
मुरत हम मिलकर गढ़ेंगे,
देखें सपने एक जैसे
बंधे हुए हैं एक ही डोर से,
रहे हाथों में अब हाथ तेरा,
छूटे कभी ना साथ तेरा,
एक दूजे के हो जाएं हम,
एक दूजे मे खो जाएं हम,
साथ कभी ना छोड़ेंगे हम,
ये वादा कभी ना तोड़ेंगे हम,
टूट जाए चाहे साँसों की डोर,
मुह कभी ना मोड़ेंगे हम,
चलो चलें हम साथ
एक ऐसे जहां मे
ज़िंदगी गुजरे जहाँ
एक दूसरे के पनाह मे...


#SwetaBarnwal



Tuesday 3 December 2019

जरा चाय बना देना...

ए...! चाय बना देना,
ए..! खाना निकाल देना,
ए..! देखो बगल की चाची आई है, प्रणाम करो,
ए..! दरवाजे के सामने ऐसे क्यूँ खड़ी हो,
बस कुछ इन्हीं शब्दों का आदि हो चुके थे आशा के कान और वो यही सोचती, "क्या सबकी सासु माँ ऐसे ही बात करती हैं"
आशा एक पाढ़ी लिखी और समझदार लड़की थी जो अभी अभी तो मायके से ससुराल तक का सफ़र तय कर आई थी दिल में कई अरमान लिए. बड़े जतन से सबका मान रखती. पर सास का "ए" से संबोधन उसे बहुत खलता, क्या जाता अगर सासु माँ उसे बेटी, बहु या फिर उसके नाम से ही बुला लेती .
फ़िर एक दिन,
ए...! जरा चाय बना देना,
आशा ने सास की बात को अनसुना कर अपने काम मे लगी रही, शाम को पति के घर आते ही सास ने उसकी शिकायत की. आशा भोली और अंजान बनी रही. सास ने अपने वाक्य दुहराया कि शाम को उन्होंने आशा को कहा था कि
"ए...! जरा चाय बना देना"
पर वो अनसुना करके चली गई, तभी आशा ने तुरंत कहा कि यहां "ए" कौन है...?
उसके पति को तुरंत उसकी बात समझ आ गई और उन्हों अपनी माँ को समझाया कि वो आशा को उसके नाम या बेटी या बहु से बुलाया करे ना कि "ए" कह कर, आखिर वो भी तो उसकी बेटी जैसी ही है. सासु माँ को जैसे ही बात समझ आई, उन्हों ने आवाज लगाई...
"बेटी आशा..! जरा चाय बना देना..."
और ये सुन सब खिलखिला कर हंसने लगे...

#SwetaBarnwal 

श्रृंगार...

कैसे तेरा श्रृंगार करूँ मैं बिटिया,
कैसे तुझसे लाड लड़ाऊं मैं बिटिया,
हर मोड़ पर दुश्मन बैठे हैं
कैसे तुझको सबसे बचाऊं मैं बिटिया,
ना जाने कितनी निर्भया लूटी गई,
और ना जाने कितनी जल कर राख हुई,
किस किस से आख़िर कैसे बचाऊं तुझको,
हर कदम पे ज़ालिम बैठे हैं,
माँ हूँ मैं तेरी हर आहट पे डर सी जाती हूँ,
कौन है अपना और कौन पराया
मैं सबसे खौफ़ खाती हूँ,
ना जाने कब कौन सी नजर उठे तेरी ओर,
ना जाने किसकी हैवानियत जाग उठे,
सोचूँ मैं ये खड़े खड़े
ना जाने किस मिट्टी से विधाता ने इसे गढ़े,
आख़िर क्यूँ नित नए हैवानियत के खेल खेल रहा है कोई,
ना जाने क्यूँ बेटियों की बोटियां नोच रहा है कोई,
क्या दोष था उन मासूम बच्चियों का,
क्या गुज़री होगी उनके माँ बाप पे,
कैसे उन्होंने रात गुज़ारी होगी,
कैसे अपनी बेटी की बोटियां समेटी होंगी,
धरती का सीना भी फट जाता होगा,
जब कोमल कलियां कुचली जाती होंगी,
हर नज़र से कैसे बचाऊं तुझको,
जी चाहता है दुनिया से छुपा लूँ तुझको,
अपने आँचल के छांव मे समेट कर,
किसी दूसरे जहां मे ले जाऊँ तुझे,
हर नज़र यहाँ पर गंदी है,
हर छुअन यहाँ की भद्दी है,
कैसे ये बात अभी मैं समझाऊं तुझे,
छोटी सी है तू अभी, नादान उमर है तेरी,
अब नहीं कृष्ण आयेंगे द्रौपदी की लाज बचाने को,
ना रचेगा तेरे लिए अब इतिहास कोई,
तुझे ख़ुद ही रण चंडी बन जाना होगा,
हैवानों को उनकी औकात बतानी होगी,
आ गया है वक्त कुछ कर गुजरने की,
ऐसी नीति बनानी होगी जो दहल उठे दुष्टों का सीना,
बढ़े हाथ जो बेटियों को छूने
कुचल उन्हें आगे बढ़ जाना होगा,
बंद करो ये मोमबत्तियां जलाना,
नही चाहिए अब कोई झूठी हमदर्दी,
ये वीरों की धरती है कोई हिजड़ों की ये बस्ती नहीं,
यहां रामायण और महाभारत छिड़ जाते हैं
जो नारी की स्मिता पे बुरी नजर किसी ने डाली,
उठा लाओ विष्णु का सुदर्शन
और छिन लो उन मर्दों से मर्द होने का दंभ
जिसने छीना है हमारी बेटियों से उनकी आज़ादी,
तभी तो कर पाएगी हर माँ अपनी बेटियों का श्रृंगार,
वर्ना खत्म हो जाएगा श्रृंगार का अस्तित्व
और ये सृष्टि हो जाएगी विरान...


#SwetaBarnwal

चाहत...

तुझसे ना जाने क्यूँ ऐसी चाहत हुई है,
हर पल तेरे आने की जैसे आहट हुई है,
तेरी याद मे ख़ुद को भी भूल जाने लगी हूँ,
तेरे ही ख्वाबों मे अब खोने लगी हूँ,
हर शय पे तेरा ही नाम लिखती और मिटाती हूँ,
तुझे चाहती थी अब पूजती भी हूँ,
है नाराज़ ख़ुदा भी अब मुझसे,
तेरे सज़दे मे जो सर झुकाने लगी हूँ,
बड़ी ही बेरुखी सी गुज़र रही थी जिंदगी अपनी,
तुझे पाकर अब जैसे मुस्कराने लगी है,
यूँ तो कोई शिकायत ना थी जिंदगी से मुझको,
पर कोई ख्वाहिश भी ना थी जीने की मुझको,
तू मिला तो जैसे खिल उठी हूँ मैं,
तेरे इश्क में अब मैं संवरने लगी हूँ,
तेरा साथ पाकर मुझे भी करार आने लगा है,
चाहत में तेरी इस जिंदगी से
मैं राहत के कुछ पल चुराने लगी हूँ,
तुझसे हर राज़ दिल के बताने लगी हूँ,
ना जाने तुझे क्यूँ इतना चाहने लगी हूँ,
तेरे इश्क के रंग में मैं जब से रंगी,
जीवन में हर रंग मेरे खिलने लगे,
तेरे इश्क का मुझ पर हुआ यूं असर है
दुनिया जहां मैं भुलाने लगी हूँ,
बड़ी उलझनें हैं बड़ी बेबसी है,
उल्फत मे मेरी जान ऐसे फंसी है,
तुझसे है चाहत तुझी से हर हसरत,
तेरे प्यार मे मैं यूँ दीवानी हुई,
जैसे राधा हो गई श्याम की...

#SwetaBarnwal

Saturday 30 November 2019

मेरा दामाद लाखों मे एक...

नई नवेली दुल्हन आशा अपने दिल में कई सारे अरमान लिए अपने पति संग ससुराल की दहलीज पे पांव रखी. ससुराल में सास, ससुर, ननद और देवर और खुब प्यार करने वाले पति, बस एक प्यारा सा परिवार. पति पत्नी दोनों ही प्राइवेट फर्म मे काम करते थे. सुबह उठते ही घर के कामों को जल्दी जल्दी निपटा कर सभी के नाश्ते और खाने का प्रबंध कर पति के साथ दफ्तर के लिए निकल जाती. पूरे दिन के भाग दौड़ के बाद आशा काफी थक सी जाती थी. घर आने के बाद किसी और काम की हिम्मत नहीं बचती थी उसमें. बावजूद घर में सबका ख्याल रखती थी. घर के कामों में सिवाय उसके पति राजेश के किसी और ने ना उसकी मदद करनी चाही और ना ही आशा ने किसी से कभी कुछ कहा.
अपने माँ पापा की लाडली और पढ़ाई मे व्यस्त रहने के कारण घर के कामों में कोई खास रुचि नहीं थी उसकी और ना ही कोई भार था उसपे. और यहां ससुराल आते ही घर की सारी जिम्मेवारी उसके सर आ गई. सास को अपने वो फूटी आंख ना सुहाती, वज़ह उनके बेटे राजेश का रसोई और घर के अन्य कामों में आशा का हाथ बटाना. आशा खुद एक working lady होने की वज़ह से कई बार चाहा कि घर में कोई maid रख ले, पर सास ससुर ने इसकी अनुमति नहीं दी. राजेश को भी अपनी माँ की खरी खोटी सुननी पड़ती थी. अपनी माँ का दुलारा बेटा आज नाकारा बेटा साबित हो रहा था. धीरे धीरे घर का माहौल बिगड़ने लगा. आशा के सारे सपनों पे जैसे पानी फिर गया. अचानक घर में एक नई खुशी का आगमन हुआ. आशा माँ बनने वाली थी, सारे बहुत खुश थे. लेकिन इस खुशी के साथ कई परेशानियां भी साथ आ गई. आशा के स्वास्थ्य पे असर पड़ने लगा. सबकी खुशी देख आशा ने एक बार फिर अपनी बात सबके सामने रखी कि घर में एक maid रख ली जाए. मगर इस बार भी वही हुआ, उसकी बात को सास ने मानने से इंकार कर दिया. आशा ने किसी तरह से ये दिन भी गुज़ार लिए.
फिर वो दिन आ गया जिस दिन का सबको बेसब्री से इंतजार था. आशा बहुत जि़द करके अपने मायके चली गई और वहां उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. यहां वो पुरसुकुन से रह रही थी, मगर कितने दिन. आख़िर वो दिन भी आ गया जब उसे ससुराल जाना था. मायके में तो माँ पापा ने उसे सर पर बिठा रखा था. मगर ससुराल जाते ही फिर से वही भाग दौड़ की जिंदगी.
दिन गुज़रते गए और एक दिन उसकी ननद ब्याह कर अपने ससुराल चली गई. सभी बहुत खुश थे. दिन जैसे पंख लगा कर उड़ रहे थे. आशा का बेटा अब 1 साल को होने को था. उसके पहले जन्मदिन पर ननद अपने मायके आई. आशा की सासु माँ की ख़ुशी का ठिकाना ना था. आख़िर ख़ुश क्यूँ ना होती, उनके दामाद ने घर में दो maid रख दिया था, घर के छोटे मोटे कामों में हाथ बंटाते, हर weekend पे outing पे ले जाते, साथ वक्त बिताते, उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते, उनकी बेटी को उसकी सासु माँ ने पलकों पर बिठाया था.
आशा की सासु माँ अपने पड़ोसियों से ये कहते नहीं थक रही थी आज
"मेरा दामाद लाखों मे एक..."
और आशा अपने आंचल से आँखों को पोंछ बेटे के जन्मदिन की तैयारी में लग गई...


*जिस मापदंड पे दामाद लाखों मे एक हो गया आख़िर उसी मापदंड पे बेटा नाकारा कैसे हो गया. ये दोहरा मापदंड आख़िर क्यूँ... 😢
आख़िर बहु और बेटी मे ऐसा फर्क़ क्यूँ... 🙁
#SwetaBarnwal 

Saturday 23 November 2019

जिंदगी की किताब...

आज पलट कर देखा जो जिंदगी की किताब को,
तेरे साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आ गया,

याद आई तेरी वो बातेँ तुझसे हर मुलाकातें,
दिल से दिल जुड़ा था हमारा,
प्यार जहां से जुदा था हमारा,
मुश्किल था बहुत एक दूजे के बिन जी पाना,
ख्यालों में था हमारा आना जाना,
तेरे ही ख्वाबों मे गुज़रती थी रातें हमारी,

आज पलट कर देखा जो जिंदगी की किताब को,
तेरे साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आ गया,

वो छोटी छोटी बातों मे रूठना मनाना,
वो एक दूसरे के सीने से लग हर ग़म भूल जाना,
हमारी हर चाहत बस एक दूसरे का साथ चाहती थी,
खुशियाँ एक दूसरे का बेपनाह चाहती थी,
एक दूसरे की झलक से दिल को सुकून मिलता था,
बिन कहे दिल के हर जज़्बात समझ लेते थे,

आज पलट कर देखा जो जिंदगी की किताब को,
तेरे साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आ गया...

ना जाने फिर कैसा मोड़ आया जिंदगी में,
जो दिल के सबसे करीब था
वो ही हाथों की लकीरों मे ना था,
किसी को खूबियों से प्यार होगा,
हमें तो खामियों से भी प्यार था,
फिर भी ना जाने क्यूँ क़िस्मत पे ऐतबार ना था,
जो दिल के करीब था वही नजरों से दूर हो गया,

आज पलट कर देखा जो जिंदगी की किताब को,
तेरे साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आ गया...

#SwetaBarnwal
कटा हुआ पेड़ कभी छांव नहीं देता है ,
हद से ज्यादा उम्मीद घाव ही देता है...

#SwetaBarnwal 

Friday 22 November 2019

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

देखते ही देखते मैं इतनी बड़ी हो गई,
छूटा बचपन, घर आंगन और सखियां,
छूटे गली मोहल्ले और खेल खिलौने,
छूटा मां का आंचल और बाबा की घुड़की
छूट गया वो छोटे भाई बहन का प्यार,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

छूटा वो गुड्डे गुड़ियों का ब्याह रचाना,
छूट गई वो हंसी ठिठोली,
वो संगी साथी, वो दोस्तों की टोली,
वो खुल कर हंसना और जोर से रोना,
खो गई वो मस्ती वो बचपन की मासूमियत,
बेवजह रोना और रूठना मनाना

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

खेल कूद और भाग दौड़ को भूल
काम काज में मैं दक्ष हो गई
बेतरतीब और लापरवाह सी लड़की
आज चाल ढाल में परिपूर्ण हो गई,
संस्कारों की जैसे लड़ी हो गई,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

बेरुखी सी गुमसुम और मुरझाई सी,
रिश्तों और जिम्मेवारियों के बोझ तले,
अपने ही सपनों का गला घोंटते,
जीवन पतंग की अनदेखी सी डोर हो गई,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

मैं मिट्टी की मूरत सी एक बेजान सूरत सी,
किसी और के हाथों की कठपुतली सी,
दूसरे के घर की इज्ज़त उनका मान हो गई,
मैं पिंजरे में कैद ख़ुद से ही अनजान हो गई,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

अपनों से दूर अपने आप से ज़ुदा
ना जाने कब मैं सबके लिए पराई हो गई,
चहकना भूल गई, खिलखिलाना भूल गई,
पिंजरे मे कैद एक मैना सी
ना जाने क्यूँ दूर गगन मे उड़ना भूल गई,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

जिंदादिली से जिया करते थे हम भी कभी,
धुंधली सी ख्वाबों की दुनिया थी हमारी भी,
आज तो बस जिंदा है जिंदगी खो गई है,
ना जाने क्यों हमारी हर ख़ुशी खो गई है,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

दिल करता है तोड़ के सारे बंधन
गिरा दूँ सारे रस्मों रिवाज की दीवार
खिलखिला कर हंसुं, उड़ुं आसमान में,
अपने अरमानों की दुनिया मैं फिर से सजाउं,
फिर से बन जाऊँ मैं बेपरवाह, मदमस्त सी,
फिर से जी लूँ अपनी मर्जी की जिंदगी,
काश! कोई लौटा दे मुझे मेरे हिस्से की ख़ुशी,
ना जाने क्यों मैं इतनी बड़ी हो गई....

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

#SwetaBarnwal

Wednesday 20 November 2019

लड़ाई...

आखिर किस बात की है लड़ाई,
किसी को कोई खबर नहीं,
फिर भी लड़ सभी रहे हैं यहां,
कोई ख़ुद से लड़ रहा है,
कोई ख़ुद के लिए लड़ रहा है,
कोई अपने लिए कोई अपनों के लिए
और कोई अपने आप से लड़ रहा है,
कोई अपने वजूद के लिए लड़ रहा है,
कोई अपने रोग से लड़ रहा है,
कोई अपनी सोच से लड़ रहा है,
कोई बंदिशों से लड़ रहा है,
कोई कुत्सित विचारों से लड़ रहा है,
कोई देश के लिए लड़ रहा है,
कोई देश के अंदर लड़ रहा है
कोई सरहद पर लड़ रहा है,
कोई पहचान बनाने के लिए लड़ रहा है,
कोई हाथ से लड़ रहा है,
तो कोई हथियार से लड़ रहा है,
कोई अपनी ज़िन्दगी से लड़ रहा है,
तो कोई मौत से लड़ रहा है,
किसी को कोई खबर नहीं,
फिर भी लड़ सभी रहे हैं यहां,


#SwetaBarnwal


Tuesday 19 November 2019

अधूरी कविता...

वो अक़्सर हमसे कहते हैं
बड़ा दर्द झलकता है
तुम्हारी कविता में,
लगता है बड़ा अधूरा सा,
कुछ खाली खाली सा,
कुछ सूना सूना सा
कुछ दबा दबा सा,
कुछ अनकहा अनसुना सा,

सच ही तो कहा है
झलकता है उसमे मेरा वजूद,
कुछ अधूरी सी मुस्कुराहट,
कुछ खोखली सी हंसी,
कई अधूरे से ख्वाब,
कहीं टूटे हुए जज़्बात,
तकिए में गुम हुए आंसुओं की धार
चादर में लिपटी हुई ख़ामोश सिसकियां,
कुछ अनकहे एहसासों के पुलिंदे
कुछ बिखरे बिखरे से हालात,

गर ज़िन्दगी कहानियों सी खूबसरत होती,
तो शायद ही काविताओं में किसी की रुचि होती...

#SwetaBarnwal


Monday 18 November 2019

मेरे अधूरे सपने...

इन आंखों ने भी सजाए थे कई सपने,
कुछ पूरे हुए तो कुछ टूट गए
कुछ बेवजह ही मुझसे रूठ गए,
कुछ जीने नहीं देते और कुछ मरने नहीं देते,
मेरे अधूरे सपने...
कुछ अश्कों में बह कर चले गए,
कुछ भोर होते ही निकल लिए,
कुछ सांसों के साथ जुड़े बैठे हैं,
कुछ से जंग अभी भी जारी है,
मेरे अधूरे सपने...
अधूरे सपनों पे मैंने अपनी इमारत खड़ी की है,
भाग दौड़ की ज़िन्दगी में वक़्त से रेस लगाई है,
हार हमने भी मानी नहीं, ज़िद हमने छोड़ी नहीं,
जब तक सांस है आस की डोर हमने तोड़ी नहीं
मेरे अधूरे सपने...
कुछ बालपन में देखे थे,
कुछ जीवन पग पे सजाए थे,
कुछ याद हमेशा आते हैं,
कुछ भूले नहीं भुलाए जाते हैं,
मेरे अधूरे सपने...
कुछ अधूरे ख्वाब मन में ऐसे बैठ गए
जाने कब ये बोझ बन कर रह गए,
ज़िन्दगी की पटरी और अधूरे ख्वाबों की गठरी,
सताते हैं मुझे और बताते हैं इंसान की मजबूरियां,
मेरे अधूरे सपने...

#SwetaBarnwal

I am a girl...

Because I am a girl...

I want to live on my principles,
Wanna fly in the open air,
Where there is no wall of ritual-customs,
Whatever I do, there is no restrictions,
Is it possible,
May be not,

Because I am a girl...

Everyone's eyes on me,
This people- society keeps an eye on my every move,
I wish too
Touch the height of sky,
Dives in the ocean of dream,
But My dreams, my desirs all die inside of me
I just have to stay with in a limit,

Because I am a girl...

My mother often tells me,
You are a girl, you have a boundary,
Never do such a thing which will embarrassed us.
She never says such lines to my brother

Because I am a girl...

I have to accept everything from mother,
I just have to live in the dignity of our society,
I can't go away from this

Because I am a girl...

#SwetaBarnwal

Sunday 17 November 2019

ये ज़िन्दगी...

ना जाने किस ओर जा रही है ये ज़िन्दगी,
हमारी हो कर हमसे ही मुंह मोड़ रही है ये ज़िन्दगी,
ना जाने कितने ही सपने सजाए थे इन आंखों ने,
आंखों से बस लहु बहा रही है ये ज़िन्दगी,
चाहूं मैं कुछ और रुख कोई और ले रही है ज़िन्दगी,
ना जाने कैसे कैसे खेल खेल रही है ये ज़िन्दगी,
कभी रो रही है कभी रुला रही है ये ज़िन्दगी,
बेबस कर हमें मुस्कुरा रही है ये ज़िन्दगी,
एक हल्की सी मुस्कान के लिए तरसा रही है ये ज़िन्दगी,
अजीब सी कश्मकश में उलझी हुई है ये ज़िन्दगी,
गमों के मझधार में अटकी पड़ी है ये ज़िन्दगी,
भुला कर मेरा वजूद मुंह मोड़ रही है ये ज़िन्दगी,
ख़ुद से ही बेज़ार हो रही है ये ज़िन्दगी,
वक़्त के हाथों से फिसलकर ये लम्हें छूट रहे हैं,
अश्रु की ये धारा हर उम्मीद धो रहे हैं,
दिल के एहसासों को झुलसा रही है ये ज़िन्दगी,
मोहब्बत के धागों को ना जाने क्यूं उलझा रही है ये ज़िन्दगी,
वक़्त के आगे खिलौना बन कर रह गई है ये ज़िन्दगी,
जो कभी मेरी थी आज अनजान बन कर रह गई ये ज़िन्दगी,
आज फिर से एक बार सहम सी गई है ये ज़िन्दगी,
ना जाने अब तक किस वहम में गुजर रही थी ये ज़िन्दगी,
टूट कर रह गया है हर डोर विश्वास का,
ना जाने किस के सहारे गुज़र रही है ये ज़िन्दगी,
मेरी हो कर मुझसे ही दगा कर रही है ये ज़िन्दगी,
बस कुरुक्षेत्र बन कर रह गई है ये ज़िन्दगी,
हर मोड़ पर दम तोड़ रही है ये ज़िन्दगी...


#SwetaBarnwal


हे प्रभु..! 
तूने ये कैसी रित बनाई है
बेटी हो या बहू, 
हर रूप में लड़कियां पराई है...

#SwetaBarnwal

वो शख्स...

मेरी हंसी के पीछे के हर दर्द को
वो पहचान जाता है,
वो शख्स मुझे कितना समझता है
जो हर मर्म को जान जाता है
कहते नहीं है कुछ भी लब मेरे
और एक वो है जो बिन कहे भी
सबकुछ जान जाता है
जो छुपा रखा है ख़ुद से भी मैंने
उन बातों को भी वो जान जाता है
मेरे मुस्कान के पीछे छुपे
आंसुओं को पहचान जाता है
वो शख्स हर हाल में
मेरी उदासी के सबब को जान जाता है
दिल की आरज़ू है वो मेरी
या फिर है वो मेरा हम साया
हर बार मुझसे पहले ही वो
मेरे जज़्बातों को थाम लेता है...


#SwetaBarnwal

Saturday 16 November 2019

मोहब्बत अगर चूड़ी है तो उसे टूट जाने दो,
एक बार हाथों में उसे खनक जाने दो...
दो पल के लिए सही भर जाने दो रंग जीवन में,
फ़िर चाहे तो इसे टूट कर बिखर जाने दो...

#SwetaBarnwal

Friday 15 November 2019

आत्महत्या...

बड़ी आसानी से जिस ज़िन्दगी को तुम एक पल में गंवा बैठते हो,
कभी सोचा है उस जीवन को लाने में एक मां को नौ महीने लगते हैं,
अपने खून को जलाती है अपने दूध से वो सिंचती है,
ना जाने किस दर्द से वो गुजरती है तब जाकर उसमे वो जान भरती है,
बड़ी ही जतन से एक पिता ने पाला था जिसे उसे एक पल में गंवा देते हो,
ना जाने किस बात का मलाल रहा होगा दिल में,
ना जाने कैसे कैसे सवाल दिए होंगे उसको ज़िन्दगी ने,
ऐसे भी क्या हालात थे, ना जाने कैसे कैसे जज़्बात थे,
क्यूं ऐसा कदम उठा गया वो, क्यूं अपनों को भुला गया वो,
क्यूं एक बार भी उसका नहीं सोचा जिसने उसके लिए अपना सब कुछ गंवाया,
ऐसी भी क्या मजबूरी थी, क्यूं आत्महत्या इतनी जरूरी थी,
क्यूं वो अपना दर्द किसी से कह ना पाया, क्यूं जीवन को दांव पर लगा बैठा,
माना ऊंची नीची राह है ज़िन्दगी की,आसान नहीं था पार उतरना,
पर क्या मौत इतनी आसान लगी जो याद आया ना कोई चेहरा,
एक बार जरा तुम रुक जाते कुछ अपनी कहते कुछ औरो की सुनते,
कोई मुश्किल इतनी बड़ी नहीं जिसका मिलता कोई समाधान नहीं,
बस एक बार हाथ तुम बढ़ा जाते ज़िन्दगी को गले से लगा जाते,
#आत्महत्या का फ़िर ख़्याल ना आता जीवन से मोह जगा जाता...
बस एक बार अगर जो सोचा होता क्या होगा तेरे जाने से,
क्या गुजरेगी तेरे मां बाप पर, क्या होगा तेरे सगे संबंधों का,
प्रियजनों को रोते छोड़ गया तू सब से रिश्ते तोड़ गया तू,
नादान कहूं तुझे या फिर शैतान कहूं, पर जो भी था किसी की संतान था तू,


#SwetaBarnwal
Char char betiyan jis ghar me hansi khel kar aadhi zindgi bita gai,

Usi ghar me bahu ek din ke liye bhi sukun ki ek sans le na saki....

Bitter but true...😧😢

Tuesday 12 November 2019

कविता...,

Bahut kuchh kah jati hai ye kavita,
Hal is dil ka suna jati hai ye kavita,
Kah na sako jo koi bat tum kisi se
Vo darda bhi bayan kar jati h kavita,
Shabdon se mile jo shabda ban jati hai ye kavita,
Apna ho ya paraya sabke dil ko chhu jati hai ye kavita,
Kabhi khushiyon ke pal to kabhi gam ke aansu piroti h kavita,
Man ke har halat ko sanjo jati hai ye kavita,
Padhe jo koi to har dil ko lubha jati hai ye kavita,
Padhne valon ke dil me kai sawal jagati hai ye kavita,
Gar jo koi puche hal-e-dil to kah do ki hai bas ye ek kavita...

#SwetaBarnwal
जीने की एक वजह मिलती नहीं,
कि ज़िन्दगी हज़ारों गम दे जाती है..।

#SwetaBarnwal

Thursday 3 October 2019

मोहब्बत इबादत है चुपचाप किजिये...
खुले आम सड़कों पर ना इसे बदनाम किजिये...

#SwetaBarnwal
काश कोई ऐसा होता मेरी भी ज़िंदगी मे,
साथ जिसके ख़ामोशी मे भी बात पूरी हो जाती,

#SwetaBarnwal

Tuesday 10 September 2019

परिवार की जिम्मेवारी उठाने वाला सदस्य
अक्सर तन्हा और उपेक्षित क्यूँ होता है...😒

#SwetaBarnwal 
खामोशियां ही बेहतर है जीवन में
लफ़्ज़ों से अक्सर रिश्ते टूट जाते हैं... 😒

#SwetaBarnwal 

Monday 12 August 2019

कामयाबी...

कल तक जो लोग सीधे मुह बात नहीं करते थे
पीठ पीछे हमारी आलोचनाएं किया करते थे
लड़की होने का एहसास कराया करते थे
कैसे कहती उस वक़्त लड़की हूँ अपाहिज़ नहीं
मेरे माता पिता को तिरस्कृत किया करते थे
जैसे बेटी को शिक्षा देना कोई अपराध हो
पग पग पर जमाने ने कांटे बिछाए
हर मोड़ पर मुझे नीचा दिखाया
और आज लोगों के सुर ही बदल गए
सब को मुझमे अपनी बेटी नज़र आने लगी
मेरे माता पिता लोगों के लिए आदर्श हो गए
हर एक की ज़ुबान पर मेरा नाम ठहर सा गया
सच ही तो कहते हैं लोग
गरीबों से नज़दीक का रिश्ता भी छुपाते हैं लोग
और जो कामयाब हो जाओ तो दूर का रिश्ता भी बताते हैं लोग... 

Tuesday 23 July 2019

मइया अम्बे... 🙏🏼

मेरी मइया बड़ी प्यारी
उनकी सुरत बड़ी न्यारी
करे जो शेर की सवारी
जिनकी महिमा बड़ी भारी
हो मइया अम्बे

सबका बेड़ा पार लगा दे
दुखियों के जो दुख हर ले
भक्ति भाव से जो कोई ध्यावे
उसके हर दर्द दूर हो जावे
हो मइया अम्बे

बांझन की झोली तु भर दे
अंधन को ज्योति तु दे दे
जो स्त्री तेरा ध्यान लगावे
अखंड सौभाग्य का वर वो पावे
हो मइया अम्बे

निर्बल को संबल तु दे दे
अंधियारे को रौशन तु कर दे
भले बुरे का ज्ञान करादे
जीवन में खुशियाँ तु भर दे
हो मइया अम्बे

तेरी शरण जो कोई आए
रोग दोष जाके निकट ना आवे
भव सागर से पार लगा दे
तेरी महिमा कोई पार ना पावे
हो मइया अम्बे

दुष्टों का संहार करे तु
दुर्बल का उद्धार करे तु
तुझसे बड़ा ना कोई सानी
तु है जग की कल्याणी
हो मइया अम्बे

मेरी मइया बड़ी प्यारी
उनकी सुरत बड़ी न्यारी
करे जो शेर की सवारी
जिनकी महिमा बड़ी भारी
हो मइया अम्बे

#SwetaBarnwal 

Monday 22 July 2019

सावन...

लौटा दे कोई मुझको मेरे बचपन का सावन
वो मइया की लोरी वो बाबा की गोदी
वो पोखर वो बारिश की ताल तलइया
लौटा दे कोई मुझको वो मेरे घर का आँगन

खेलूं मैं फ़िर से वो बुढ़िया कबड्डी
सखियों के संग फ़िर से दौड़ लगाऊँ
बारिश के पानी में अपनी भी नाव दौड़ेगी
हर ओर होगा खुशियों का आलम

लौटा दे कोई मुझको मेरे बचपन का सावन

खूबसूरत सपनों से भरी हो अपनी ज़िंदगी
सुनुं फिर से वही राजा रानी की कहानी
सुना के सुलाए जिसे दादी नानी की ज़ुबानी
दोहराऊँ फ़िर से वही हसीन ज़िंदगानी

लौटा दे कोई मुझको मेरे बचपन का सावन

हर रोज खलिहान में लगे दोस्तों का डेरा
ना खोने का डर हो ना हो किसी गम ने घेरा
बांध पतंग मे डोर हवा संग बातें करते
गिरते संभलते यूँ ही अपनी मस्ती में जीते

लौटा दे कोई मुझको मेरे बचपन का सावन

बाग में झूलुं डाल आम के पेड़ों पे झूले
कहकहे लगाऊँ सुन के कोयल के बोल सुरीले
मइया निढाल हो अपनी ले के बलैय्या
दुआओं से सबके सवारूं अपना जीवन

लौटा दे कोई मुझको मेरे बचपन का सावन

बारिश के पानी में छपा छैय्या करना
नदी की धार के संग दूर जा निकलना
सर्दी लगने पर माँ की डांट के साथ तेल की मालिश
मिटा दे ज़िंदगी की हर दर्द और तपिश
छुप छुप कर मोहल्ले की औरतों की बातें सुनना
अपनी प्रशंसा होने पर खिलखिला कर हंसना

लौटा दे कोई मुझको मेरे बचपन का सावन...

वो झिलमिल सितारों का आँगन
वो रिमझिम बरसता सावन
वो मइया का प्यार भरा आँचल
वो बाबा की प्यार भरी डांट
वो भाई बहनों की अटखेलियाँ
वो जादू की झप्पी वो सखी सहेलियाँ

लौटा दे कोई मुझको मेरे बचपन का सावन...


#SwetaBarnwal



Saturday 20 July 2019

औरत...

बहुत जी लिया अबला बन कर
अब ना कोई अत्याचार सहुंगी
भर कर क्रोध की अग्नि इस सीने में
अब अपनी बातों से मैं अंगार भरूँगी
बंद करो ये कहना कि
महाभारत की वजह द्रौपदी थी
सच तो ये था कि
युधिष्ठिर की अय्याशी ने उसे लाचार किया
पांच पतियों की पत्नी हो कर भी
भरी सभा मे लुट रही थी वो
बहुत डाल लिए सच पर पर्दा
अब मैं सच्चाई की आवाज़ बनूंगी
लूटती आई है सदियों से ये औरतें
लक्ष्मी सरस्वती की इस धरा पर
द्रौपदी का चीरहरण लिखूंगी
बहुत सह लिया जुल्म ओ सितम
अब मेरी कलम हुंकार भरेगी
पुत्र की कामना मे कोख में मार डालते हैं पुत्री को
इस अन्याय के विरुद्ध
अब एक औज़ार बनूंगी
बेटियाँ घर से भाग जाती है तो
बाप की पगड़ी उछल जाती है
और जब बेटा
किसी के घर की इज़्ज़त लूट ले जाता है तो
ख़ामोश रह जाते हैं लोग
ऐसे दोगले समाज और न्याय के ठेकेदारों के लिए
एक सवाल बनूंगी
नही देनी अब कोई अग्नि परीक्षा
ना शतरंज पे बिछी बिसात बनूंगी
नहीं रहूंगी अब चुप ना ही अन्याय सहुंगी
पड़ी जरूरत अगर कभी तो
दुर्गा बन दुष्टों का संहार करूंगी...


#SwetaBarnwal 

Sunday 7 July 2019

अब मैं अपने अंदाज़ में जीने लगी हूँ...

ऐसा नहीं था कि मैं उससे प्यार नहीं करती थी और ऐसा भी नहीं था कि मैं उसके बिना जी नहीं सकती. शादी के २५ सालों के दौरान हमारा रिश्ता ठंढे बस्ते में चला गया था. बीतते वक़्त के साथ हम एक दूसरे की मोहब्बत तो नहीं, हाँ शायद आदत बन कर रह गए थे. हम दोनों को ही एक दूसरे के जज़्बातों की परवाह नहीं रह गई थी. उसने कभी मेरी जिम्मेदारियों का बोझ नहीं उठाया और ना ही मैं कभी उस पर बोझ बन कर रहना चाहती थी. हाँ, उन्हें हमारे बच्चों से बहुत प्यार था, शायद यही एक वजह थी जो हमारे वैवाहिक रिश्ते को इतने सालों तक ढोते रही और हमे एक सूत्र में बांधे रखा.
चरित्र मे उसके कोई खोट ना था पर अपनी पत्नी यानि की मुझपर विश्वास रत्ती भर भी ना था. बहुत चाहा मैंने कि उसका ये मुझ पर अविश्वास ख़त्म हो जाए पर वक़्त के साथ ये परवान चढ़ता गया. उसमें शायद कोई ऐसी बुराई नहीं थी जो हमारे रिश्ते में आ रहे दरार की वजह बनती है पर उसका अविश्वास, अनर्गल आरोप, हर बात पर मेरे चरित्र का हनन इन सब ने मिल कर हमारे रिश्ते को निगल लिया. उसने ख्वाब में भी कभी मेरा ऐतबार नहीं किया. वो अपने स्त्री पुरुष हर तरह के दोस्त और सहकर्मियों का ज़िक्र किया करता था मुझसे. इस तरह वो अपनी ईमानदारी का सबूत दिया करता था. पर कभी भूले से भी मेरे मुह से किसी पुरुष मित्र या सहकर्मी का नाम निकल जाए तो शक़ की घंटी तुरंत उसके दिमाग में बजने लगती थी. वैसे इसमे उसकी कोई गलती नहीं थी. गलती तो इस समाज और उसके घटिया सोच की है जो पहले तो औरतों को घर की दहलीज़ पार करने नहीं देती थी और आज जब औरतों ने दुनिया में अपना मकाम बना लिया है तब भी उसके पैरों मे अनजानी सी बेड़ियाँ हर वक़्त रहती है बंधी. बची खुची कसर उन्हें मिली परवरिश ने पूरी कर दी. उसके माँ बाप ने कभी मुझे बहु का मान नहीं दिया, हर वक़्त अपनी जली कटी और अश्लील शब्दों से मेरे किरदार और चरित्र का हनन करते.
इस रिश्ते में घुटन सी होने लगी थी, पर कुछ था जो शायद अब भी शेष था हमारे बीच और वो था सबकुछ ठीक होने की उम्मीद. मेरी इन झंझावतों से भरी ज़िंदगी में ऐसा नहीं था कि मुझे कोई चाहने वाला ना मिला था, पर मुझे अपनी हदें मालूम थी और ये भी समझती थी कि हर मर्द एक जैसे ही होते हैं. औरत सबके लिए सिर्फ़ मन बहलाने का जरिया मात्र है. पर हाँ इस मतलबी दुनिया में कुछ बहुत अच्छे दोस्त भी मिले थे जिसने मुझे जीना सिखाया, ख़ुद से लड़ना सिखाया, अपने अंदर के तूफानों को दबाना सिखाया. नहीं नहीं इन दोस्तों के बारे में मैंने उसे कभी कुछ नहीं बताया. अतीत में किए गए ईमानदारी के परिणाम देख अब उसे दुहराने की गलती क्यूँ करती भला. मैंने कभी कुछ ना छुपाया, जो भी था अतीत मेरा, भला या बुरा हर किस्सा सुनाया बदले में सिवाय गाली के कुछ ना मिला. हर वक़्त मेरा मोबाइल खंगालना, मैसेज देखना, छोटी छोटी बातों पर हंगामा करना, मेरी इज़्ज़त को तार तार करना, इसलिए निकाल फेंका अपने अंदर के ईमानदारी के किड़े को.
सच कहूँ तो मुझे मेरे अस्तित्व की पहचान मेरे उन्हीं दोस्तों ने कराई. मेरे अंदर मृत पड़े एहसास को उनलोगों ने ही जगाया. मैं अब अपने आप को संवारने लगी, अपने तरीकों और शौख को बदलने लगी अब मैं ख़ुद के लिए भी जीने लगी और वो कहते हैं तुम्हारे तो कई यार हैं, कई चाहने वाले हैं, तुम्हें मेरी क्या जरूरत. तुम्हारी तो हर रात रंगीन होती होगी और मैं मुस्कुरा कर सहमति मे हाँ बोल जाती हूँ सिर्फ़ इसलिए कि अब मैं अपने अंदाज़ में जीने लगी हूँ. कब तक सफ़ाई देती रहूँ अनकहे इल्ज़ामों का कि अब मैं हर ज़हर पीने लगी हूँ...

क्या इस स्त्री ने सही किया, अपना जवाब comment box मे जरुर दें...

(एक स्त्री के वर्चस्व की लड़ाई)

#SwetaBarnwal 

ना जाने क्यूँ...

ना जाने क्यूँ...!
एक ख़ामोशी सी छा गई है हमारे बीच
वजह क्या है शायद नही पता
या फिर यूँ कहो कि सबकुछ पता है
ठीक करना चाहूँ सब कुछ
पर शायद होनी को मंज़ूर कुछ और है
मौन साध रखा है हम दोनों ने ही
या फिर नाराज़गी का कोई आलम है
ना जाने क्यूँ अब वो सुहानी शाम नहीं होती...

तुम पूछने आओ मेरी उदासी का सबब
अब वैसी कोई बात नहीं होती
क्यूँ परेशान हो प्रिये कुछ कह भी दो
खींच लो कभी मुझे अपनी बाहों में
सहला जाओ कभी अपनी प्यारी बातों से
मेरे नासूर हो रहे ज़ख्मों को जो ज़िन्दगी ने दिए
ना जाने क्यूँ अब वैसी मुलाकात नहीं होती...

आज भी जब मैं अकेली होती हूँ
तेरी यादों का लम्हा मेरे साथ होता है
गुदगुदाती है हवाएं भी
यूँ लगता है जैसे एहसास भर लाई हो तुम्हारा
उगते चाँद को देख मुस्कुरा लेती हूँ
तेरे साथ बिताए पल को जी लिया करती हूँ
यादों में तुम मेरे हर पल होते हो
पर ना जाने क्यूँ अब तुम साथ नहीं होते
ना जाने क्यूँ अब वो हसीन रात नहीं होती...

ना जाने क्यूँ अब वो नज़र नहीं होती
जी भर कर देखा करती थी जो मुझे
चेहरे पर ना चाह कर भी उदासी छा जाती है
लाख छुपाऊँ पर ये आँसू दगा दे जाते हैं
हंसना चाहूँ पर हंस भी ना पाऊँ
कभी ना सोचा था ऐसे मोड़ आएंगे
रोना भी जरूरी होगा और आंसू छुपाने भी होंगे
ना जाने क्यूँ अब वो बरसात नहीं होती...

घुट घुट कर जी रही हूँ ज़िंदगी मैं अपनी
और पी रही हूँ अपनी ही उदासी को घूंट घूंट में
आइने में देखूं तो ख़ुद को ख़ुद से बेज़ार पाऊं
बहुत ही घुटन सी महसूस होती है इस सन्नाटे में
अपनी ही सांसों की आवाज़ सुनाई दे जाती है इस वीराने में
दिल को चीर कर रख देती है ये रात की ख़ामोशी
ना जाने क्यूँ अब वो तारों वाली रात नहीं होती...

#SwetaBarnwal 

Saturday 6 July 2019

मत रो...

ऐ मन मत रो
ना कर आँसुओं को बर्बाद इस कदर
मान ले नियति जो भी मिला
मत कर कोई शिकवा गिला
ये वक़्त का दरिया है
बह जाएगा
कौन जाने कब कहां
जो छिना वो मिल जाएगा
या फिर कभी कहीं
कुछ मिल कर भी छिन जाएगा
ये वक़्त तो चलता जाएगा
तु हँसता जा या रोता जा
जीवन की बस यही रित है
कुछ मिल जाए
कभी छिन जाए
तु इसको हंस कर जीता जा
यही है राहें इस जग की
तु इसको गले लगाता जा
कब तक रोओगे रे पगले
कब तक अश्क बहाओगे
कब तक दुख का रोना रोकर
दिल को यूँ बहलाओगे
जो हुआ उसे तु भूल भी जा
बस आगे की सुध लेता जा
माना जीवन राहें वीरान थी तेरी
पर कब तक इसका शोक मनाएगा
तोड़ के सारे गम के बादल
ख़ुद को अंगार बनाता जा
कुछ भी नया नहीं तेरे लिए अब
इससे तू अब जूझ जरा, जूझ जरा
भर कर दिल में हौसला अपने
नई उम्मीदों के किरण संग चल
हो सकता है मिल जाए तुझे कोई नया जहां
तप कर और तपा ख़ुद को
बन कर फौलाद सह जा हर ताप
मत सोच जो आज ना मिला तुझे
वो कल भी ना मिलेगा तुझको
खोने पाने की आस में
ख़ुद को ना बर्बाद कर
जो है बस आज है
कल को किसने देखा है
जी ले तु इस पल को
ये पल ना लौट के आएगा कल
ना छोड़ कभी तु सुख की आस
ना जाने कब बुझ जाएगी
यूँ ही जीवन की शमा
कभी तो मिलेगा तुझको
एक खूबसूरत सा जहां
ऐ मन मत रो
ना कर आँसुओं को बर्बाद इस कदर...

#SwetaBarnwal





वहम...

ये तुम थे या फिर मुझे कोई वहम हुआ
यूँ लगा जैसे आज फ़िर तूने मुझे छुआ...

आज फ़िर लगा जैसे इन सर्द हवाओं के साथ
कोई छू कर गुज़रा हो मुझे अभी अभी
ये एहसास लगा कुछ जाना पहचाना सा
यादों में रहता था जिसका आना जाना

ये तुम थे या फिर मुझे कोई वहम हुआ

ये हवा कोई खूबसूरत धुन सुना गई ऐसे
मधुर मिश्री सी घोल गई कानों में जैसे
मुद्दतों बाद आज फ़िर से वही मदहोशी छाई
लगता है जैसे फ़िर से खुशियाँ लौट आई

ये तुम थे या फिर मुझे कोई वहम हुआ
यूँ लगा जैसे आज फ़िर तूने मुझे छुआ...

मेरे दिल में कोई जादू सा जगा गया
तेरे होने का जैसे वो एहसास करा गया
कह दो अपने ख्यालों से यूँ ना मुझे तड़पाये
तेरी तरह वो भी मुझसे दूर चला जाए
अरसा हो गया तुम लौट कर कभी आए नही
और ये हवा हर बार तेरा ख़्याल ले आती है
आज भी खोई थी मैं अपनी ही उलझनों में
और ये हवा एकबार फिर वही प्यार के धुन सुना गई

ये तुम थे या फिर मुझे कोई वहम हुआ
यूँ लगा जैसे आज फ़िर तूने मुझे छुआ...

#SwetaBarnwal



Wednesday 3 July 2019

याद आता है... बचपन...

याद आता है बहुत अपना वो प्यारा सा बचपन

वो माँ की गोद वो पिता का दुलार
वो भाई बहन से लड़ना झगड़ना
वो हंसी ठिठोली वो रूठना मनाना
दोस्तों की टोली मिलकर धूम मचाना

याद आता है बहुत अपना वो प्यारा सा बचपन

वो गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर जाना
रात को राजा रानी और पारियों की कहानी
माँ की मार से बच दादी की गोद में छुपना
भूत प्रेत के डर से राम नाम जपना

याद आता है बहुत अपना वो प्यारा सा बचपन

खेल खेल में ज़िंदगी के गुर सीख लेते थे
खुब गिरते थे फ़िर भी कभी ना रुकते थे
माँ की साड़ी पहन दुल्हन बन जाना
ख़ुद को आईने मे सौ बार निहारना

याद आता है बहुत अपना वो प्यारा सा बचपन

कू कू कर कोयल को चिढ़ाते थे
थक जाते थे पर हार ना मानते थे
आम के पेड़ों पर वो झूला झूलना
गर्मी की दुपहरी में भी दौड़ लगाना

याद आता है बहुत अपना वो प्यारा सा बचपन

रात को खुले आसमां के नीचे सब एक साथ सोते थे
कभी टूटते तारे को देखते थे तो कभी मुराद मांगते थे
उड़ते हवाई जहाज की रोशनी के साथ सपनों मे खोना
कभी जुगनूओं के पीछे भागना कभी उसे मुट्ठी में बांधना

याद आता है बहुत अपना वो प्यारा सा बचपन

याद आती है बहुत वो गुड्डे गुड़िया की शादी
वो पल वो ज़िंदगी वो आसमान में उड़ने की आज़ादी
वो गिल्ली डंडा वो चूड़ी, कंचे, गोटी की तीज़ोरी
सीख लेते थे लूडो से ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव
वो चढ़ना गिरना फ़िर गिर के संभलना

याद आता है बहुत अपना वो प्यारा सा बचपन

#SwetaBarnwal 

Monday 17 June 2019

भरम...

ये किसकी है आहट
ये दिल के दरवाज़े पर कौन है आया
यूँ लगा जैसे साथी कोई भुला याद आया
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है

आज फ़िर हवा वही पुराना गीत सुना गई
कानों में मेरे तेरे नाम की बंशी बजा गई
यूँ लगा जैसे पुरानी कोई छुअन छु गई
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है

सोई आँखों में ख्वाब तेरे ही होते हैं
जागते लम्हों में भी एहसास तेरा होता है
एक तू नहीं आया पर तेरा ख़्याल आ गया
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है

यूँ अभी अभी नज़रों की तपिश छू गई
जैसे हाथों से किसी ने मेरी तस्वीर छू दी
तेरे हर स्पर्श का खुमार अब भी मुझ पर छाया है
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है

संग-ए-दिल पर हमने क्या क्या ना सहे
कभी रोए तो कभी मुफ़्त में बदनाम हुए
बेबसी का हमारे आलम तो देखो
जिसे चाहा उसके हाथों ही बर्बाद हम हुए
इतने पर भी रास ना आया उसे
तन्हाई में आज फ़िर अपने यादों की कसक छोड़ गया
जीने की कोशिश में थे हम कोई मरना सिखा गया
अब तो एक बार बता दो
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है...


#SwetaBarnwal

Sunday 16 June 2019

करुण पुकार... 😢😢😢

माँ... क्या अब मैं बड़ी हो गई हूँ 



एक शाम यूँ ही बैठे थे हम अपने घर के छत पर
ना जाने कौन सी बेबसी हावी थी हम पर
समाज में पनप रहे शैतानों से अनजान ना थे हम
हर रोज लूटती बेटियों से लहूलुहान था ये मन
तभी अचानक मेरी नन्ही सी गुड़िया दौड़ी आई
थोड़ी सी सहमी हुई और थोड़ी सकुचाई
बड़ी मासूमियत से कहा माँ एक बात बताओगी
या फिर तुम भी सबकी तरह डांट लगाओगी
मैंने बड़े प्यार से उसे गले लगाया और कहा
किसकी इतनी मज़ाल जो मेरी गुड़िया को डांटे
जो भी है तेरे दिल में बेखौफ कह दे
माँ हूँ मैं तेरी जो तेरा हर दर्द बांटे
लंबी सी सांस लेते हुए उसने कहा
माँ... क्या अब मैं बड़ी हो गई हूँ
तुम सबके लिए मुसीबत की छड़ी हो गई हूँ
बात सुनकर उसकी मैं धक से रह गई
जैसे किसी गर्म तवे पर मैं पांव रख गई
वो अपनी ही लौ मे बहती चली गई
जो कुछ भी सुना था उसने वो कहती चली गई
कल बाबा ने डांटा मुझे
कहा किसी से अब कुछ ना लेना तुम
जो कोई लाड़ लड़ाए तो मुह फेर जाना तुम
रोज आइसक्रीम देने वाले काका भी अब गैर हो गए
क्यूंकि बेटी अब तू बड़ी हो गई है
भाई ने भी बहुत डांट लगाई मुझको
कहा अब बड़ी हो गई हो थोड़ा सलीके से रहा कर
फेंक छोटे कपड़े तन पे दुपट्टा रखा कर
क्यूंकि बहना अब तू बड़ी हो गई है
गई जो स्कूल तो टीचर ने भी चपत लगाई
बहुत हो गई चुहलबाजी अब थोड़ा ढंग से रहा कर
छोड़ शैतानियां बस पढ़ाई में अपने मन लगाया कर
बच्ची नहीं कोई अब तू बड़ी हो गई है
रही सही कसर माँ दादी ने पूरी कर दी
कहा छोड़ स्कूल अब घर में रहा कर
घर के कामों में माँ का अपने हाथ बटाया कर
यूँ लड़कों के साथ दोस्ती तेरी अच्छी नहीं
ओ गुड़िया की तु अब कोई बच्ची नहीं
अब तू ही बता ऐ माँ...!
कल तक की सबकी लाडली सबकी छुटकी
आज यूँ कैसे बड़ी हो गई
सबके नज़रों में मैं जैसे गुनाहों की लड़ी हो गई
क्यूँ पल में सबकी नज़रें यूँ फिर गई
ग़लत ना हो कर भी मैं सबकी नज़रों से गिर गई
मेरी सहेली बता रही थी कोई शैतान आता है
कभी गैरों के रूप में तो कभी अपनों के बीच से
नोच कर वो बोटियां हमारी ले जाता है
ऐसी दरिन्दगी को दुनिया बलात्कार का नाम देता है
ऐ माँ..! अब तुम्ही बताओ ये बलात्कार क्या होता है
क्या इसमे हमारी ग़लती होती है
या कर जाते हैं अनजाने में हम कोई अपराध
अगर नहीं तो फ़िर
किसी और की करनी की सज़ा हमे क्यूँ
नज़रें किसी और की खराब और पर्दे हम पर क्यूँ
भौंके कोई और बेड़ियाँ हमारे पांव में क्यूँ
दरिन्दगी दिखाए कोई और आज़ादी हमारी छीने क्यूँ
क्या किसी से चाकलेट लेना गुनाह हो गया
या फिर हमारा बेटी होना एक कलंक हो गया
वो कहती गई आँसू उसके गाल पर लुढ़कते गए
मैं स्तब्ध सी मुकदर्शक बन सुनती रही
हाँ बस सुनती ही रही उसकी हर बात
कोई जवाब नहीं था मेरे पास शायद
क्या आपके पास है... 😢

#SwetaBarnwal



क्यूँ अक्सर अपनों के हाथों ही छले जाते हैं हम
क्यूँ हर बार बेटी होने की सज़ा पाते हैं हम... 😢

#SwetaBarnwal

Wednesday 12 June 2019

सुन ले बेटियाँ...

ओ बेटी सुन लो मेरी बात आज
नही लेना किसी से कुछ भी
चाहे दे कोई चॉकलेट या खिलौना
हो कोई दूर का या फिर अपना
भले ही तू उम्र में छोटी है
पर सीख ले करना फ़र्क
अपनों मे और अपनेपन मे
हर कोई आएगा तेरा अपना बन के
और छिन जाएगा तुझसे हर ख़ुशी
गर कभी हो घर में अकेले
मत खोलना दरवाज़ा किसी के लिए
ना जाने किस वेश में आ जाए शैतान
बिना चाकू लिए कहीं मत जाना
जरूरत पड़े तो उसे चलाना तु
जालिमों की कमी नहीं है संसार में
जाने कब किस मोड़ पर मिल जाए
गलती तेरी हो या किसी और की
कलंक तुझ पर ही लगाएंगे
अनचाहे सवालों से तुझको
दुबारा उसी दर्द का अहसास कराएंगे
क्यूँ घर से अकेली निकली थी
आधी रात कहाँ मुह काला कर रही थी
छोटे कपड़े पहनोगी तो ऐसा होगा ही
लड़कों के साथ दोस्ती थी इसकी
क्या संस्कार दिए थे माँ बाप ने
ऐसी लड़कियों के साथ ऐसा ही होता है
कहाँ से लाओगी जवाब इनका
बेकसूर होते हुए भी गुनाहगार कहलाओगी
आख़िर किस किस को समझाओगी
तुम कितनी बार अग्नि परीक्षा दोगी
सीता माता तो धरती की गोद में समा गई थी
तेरे लिए तो धरती का सीना भी नहीं फटेगा
अब तुझे नहीं डरना होगा अब तुझे नहीं रुकना होगा
अपने स्वाभिमान के लिए दुनिया से लड़ना होगा
अकेले ही तुझको चलना होगा सबको समझाना होगा
बंद करो बेटियों पर पाबंदी लगाना
अब बेटों पर भी लगाम लगाना होगा
आख़िर कब तलक लुटती रहेंगी बेटियाँ
और ये समाज पर्दे डालता रहेगा बेटों के अपराधों पर
अब तो सबको जागना होगा
इस कुरीति को दूर भगाना होगा
कहीं ऐसा ना हो जन्म लेने से इंकार कर दे बेटियाँ
या इंकार कर दे अपनी कोख में रखने से बेटों को...


#SwetaBarnwal








नन्ही सी कली...

अपने बाबुल के बगिया की नन्ही सी कली थी वो
माँ बाबा के दिल का टुकड़ा बड़े ही नाज़ों से पली थी वो
उसकी मासूम सी हंसी देख पत्थर भी पिघल जाता था
देख कर उसकी प्यारी सी अटखेलियाँ
घर वालों का दिन संवर जाता था
अचानक आया एक दिन तूफ़ान कुछ ऐसा
ना बची कोई ख़ुशी ना रहा कुछ पहले जैसा
ना जाने कहाँ से उनके जीवन में आया एक शैतान
उड़ा ले गया वो हर बाप के दिल का सुकून
देख कर जिसकी भोली सूरत प्यार आता था सबको
उसी मासूम पे किसी ने अपनी हैवानियत उतारी
कितना रोई होगी वो किस दर्द से गुज़री होगी
देख कर जिसको इंसानियत भी सकुचाई होगी
सोचो एक बार जरा उसकी माँ कैसे सोई होगी
रूह तक कांप उठती है जब चेहरा उसका सामने आता है
ऐ जालिमों उस नन्ही सी बच्ची मे तुम्हें क्या नज़र आता है
छोटे कपड़ों में देख उसे काम वासना मचलती है जिसकी
तुम्हीं बता दो एक नन्हीं सी जान को माँ साड़ी पहनाती कैसे
क्यूँ नहीं तुम अपनी नज़रों पे एक पर्दा डाल लेते हो
छुप जाएगी जिस दिन तुम्हारी वहसी नज़रें
मुस्कुरा कर जी उठेंगी ये नन्ही सी कली
एक नारी की ही कोख से जन्म लेकर
नारी की अस्मिता को कलंकित करने वाले
अगर अब भी तुम ना सुधरे तो एक दिन ऐसा आएगा
धरा पर मर्द को जन्म देने से पहले भगवान भी घबराएगा.
😢😢😢

#SwetaBarnwal

Sunday 9 June 2019

माँ की सिख...अपनी बेटी के लिए...

मैं अपने माँ होने का पूरा फर्ज़ निभाउंगी
अपनी प्यारी बेटी को मैं फौलाद बनाऊँगी
पड़ी जरूरत अगर कभी तो आंधी से लड़ जाएगी
लक्ष्मी बाई बन कर वो भारत की लाज़ बचाएगी
नहीं बांधुंगी कभी कोई बेड़ी उसके पांव में
एक अलग ही जोश होगा उसके हर ताव मे
करे ना जो सम्मान उसका उसको आँख दिखाएगी
अपनी फूल सी बच्ची को मैं अन्याय से लड़ना सिखाउंगी
कोई जो उसपर हाथ उठाए उसको मरोड़ना सिखाउंगी
अपने और पराये मे उसको फ़र्क करना सिखाउंगी
दहेज के लिए आग में जलते उसे नहीं देख पाऊँगी
पति बस पति है उसे परमेश्वर नहीं बताऊँगी
जीवन के हर मोड़ पर उसका साथ निभाउंगी
किया जो कन्यादान तो उसे भूल नहीं मैं जाऊँगी
करे जो अत्याचार जीवन साथी तो विरोध वो जताएगी
सही को सही और गलत को ग़लत कहना सिखाउंगी
पड़ी जरूरत कभी जो उसे हथियार उठाना सिखाउंगी
सहनशीलता के नाम पर उसे अत्याचार सहना ना सिखाउंगी
नारी है तु ये कहकर उसके अरमानों को ना रौंदुंगी
हर ख्वाब को उसके परवाज़ मैं दूंगी
जिस घर में उसे मान ना मिले ऐसे घर उसे ना ब्याहुंगी
औरत के स्वाभिमान के लिए लड़ना उसे सिखाउंगी
नारी है तु कमजोर नहीं ये बात उसे बतलाऊँगी
उठी नज़र जो नारी की स्मिता पे उसे कुचलना सिखाउंगी
जानती हूँ मैं हो सकता है कुछ ऐसा भी
दुनिया वालों की नज़रों में मैं एक बुरी माँ कहलाउंगी
फ़िर भी हर दुःख दर्द मे मैं उसका साथ निभाउंगी...

#SwetaBarnwal 

Friday 7 June 2019

जल है तो कल है... 💦

जल है तो जीवन का अर्थ है
वर्ना सब कुछ व्यर्थ है
जल से ही सृष्टि है
जल से ही होती वृष्टि है
नहीं बचाया जल को तो
ख़ुद भी हम जल जाएंगे
एक बूंद जल के ख़ातिर
अपनों का लहू बहाएंगे
भीषण नरसंहार होगा
चारों ओर मौत का मंजर होगा
रिश्ते नाते झूठे होंगे
होगी जल की मारामारी
लाखों मे जल बिकेगा
दबंगों की होगी उसपे पहरेदारी
नदी नाले सब सूख रहे
उजड़ रहे हैं वृक्ष और जंगल
मत करो तुम जल की बर्बादी
शून्य हो जाएगी धरा की आबादी
आने वाली पीढ़ी अपनी
प्यासी ही मर जायेगी
कब तक इसकी बर्बादी का
तुम यूँ ही जश्न मनाओगे
लुप्त हो गया एक बार धरा से
फ़िर कभी नहीं ला पाओगे
जल संकट गहराया जो
तुम प्यासे ही मर जाओगे
पड़ी जरूरत उस वक़्त तो
बोलो कहाँ से लाओगे
तेरी लापरवाही से एक दिन
इस दुनिया से जल मिट जाएगा
आने वाला कल भी
बस आज मे सिमट जाएगा
जल के बिना इस दुनिया में
जीवन सबका मुश्किल है
इंसान ही नहीं पशु पौधे और पंछी
सब का जीवन इसमे शामिल है
मान भी जाओ आज मेरी बात
वर्ना हो जाएगा सब कुछ बरबाद
जल है तो कल है
वर्ना सब मुश्किल है...

#SwetaBarnwal







#SwetaBarnwal 

Tuesday 4 June 2019

नानी...

माँ की माँ होती है नानी
बड़ी ही प्यारी बड़ी सयानी
सीने से लगाती है नानी
खुब लाड़ लड़ाती है नानी
माँ की मार से बचाती है
कहानी रोज सुनाती है नानी
दूध मलाई खुब खिलाती है
मीठी लोरी हमे सुनाती है
चेहरे पर इनके रौनक रहती
मुँह में अमृत वाणी है
हर गुण उनमे भरा हुआ
मेरे हिस्से आई वो जैसे
ख़ुदा की कोई मेहरबानी है
जब भी जाते हैं हम घर उनके
जहाँ का प्यार लुटाती वो
बना कर स्वादिष्ट व्यंजन
जी भर कर हमे खिलाती है
संयम, हिम्मत, प्यार और विश्वास
ये सब हमें सिखाती है
अपनी खट्टी मीठी बातों से
हम सबको खुब हंसाती है
हर बात की है समझ उनको
देश दुनिया का है ज्ञान उन्हें
नानी माँ के किस्से और नुस्खे
दुनिया भर में धूम मचाये
घर की वैध,
जड़ी-बूटी की जानकार है नानी
संस्कारों की खान है नानी
हरकतें उनकी है बचकानी
माँ की माँ होती है नानी
बड़ी ही प्यारी बड़ी सयानी


#SwetaBarnwal

Saturday 1 June 2019

जो रिश्ते बारिश की पहली बूंद मे ही धुल जाए
ज़िन्दगी भर ढोने से बेहतर है हम उन्हें भूल जाए...

#SwetaBarnwal 

Friday 31 May 2019

एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी
देश रक्षा के ख़ातिर गद्दारों पे वार करेगी

वीरों का जयनाद करेगी जीत पर अभिमान करेगी
दुश्मनों का अंत करेगी फ़िर जाकर आराम करेगी
जयचन्दों का वध करेगी काली बन संहार करेगी
मिट्टी से अपने प्रेम करेगी क्रांति का उद्घोष करेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

नारी का सम्मान करेगी निर्बल का संबल बनेगी
शोषित की आवाज़ बनेगी शोषण का प्रतिकार करेगी
घर में भेदी छुपे हुए जो उनका वो संहार करेगी
चले कभी जो कलम मेरी तो धरती और आकाश हिले
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

शेरों का हुंकार बनेगी आज़ादी की तलवार बनेगी
युद्ध का शंखनाद बनेगी लहू बन नस नस में दौड़ेगी
दुर्बल को ये बल देगी सबको ऐसा वो कल देगी
अपने वतन से सबको प्रेम करना वो सिखा देगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

निर्धन को ये धन देगी शासक को ये सद्गुण देगी
सुख और शांति से भरा बच्चों को आने वाला कल देगी
दुष्टों का ये नाश करेगी अग्नि का ऐसा प्रहार करेगी
शत्रु थर थर काँपे डर से विष की ऐसी फूंकार भरेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...

हिंद भी सिंहनाद करेगा भारत माँ का जयनाद करेगा
लहर दौड़ा दे जो शांत सिंध पे ऐसा वो ज्वार बनेगा
अधर्मी पर ये वार करेगा धर्म का  प्रचार करेगी
चीर निद्रा को ये भंग करेगा युवाओं को तैयार करेगी
एक दिन कलम मेरी तलवार बनेगी...


#SwetaBarnwal



कलम... ✍️

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

करेगी वीरों की जयकार
लिखूंगी आज कुछ ऐसा
जगा दे जोश रग रग में
बहा दे देश प्रेम की गंगा

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

सच को सच लिखूंगी आज
कहूँगी झूठ को मैं झूठ
घोर अंधेरों में उम्मीदों की
आशाएँ नई मैं खोलूंगी

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

मेरी कलम नहीं छोड़ेगी
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
मेरी कलम आज लिखेगी
मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा
देशभक्तों की ढाल बनेगी
और गद्दारों पर वार करेगी

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

देश रक्षा की ख़ातिर मैं
यलगार लिखा करती हूँ
ऐसी हालत देख देश की
सारी रात जगा करती हूँ

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

नींद नहीं आती है मुझको
मैं दिन रात ये सोचा करती हूँ
पड़ी जरूरत देश को तो मैं
कलम छोड़ तलवार उठा सकती हूँ

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

भगा सकूँ दुख दर्द देश का
मैं बातों में ललकार भरा करती हूँ
शब्दों से कोई छेड़छाड़ नहीं
मैं उसमें आग भरा करती हूँ

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

अपनी बातों से फूल नहीं
मैं बम और गोले दागा करती हूँ
कलम की ताकत से इस देश की
मैं तख्तो ताज़ पलट सकती हूँ

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

सेंक रहे जो राजनीति की रोटियां
उन्हें सिखा दे सबक कुछ ऐसा
भुला कर हर भेद दिल से
करे वो सच्चा प्रेम देश से

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

बड़ी गज़ब की ताकत है
इस कलम मे
ये रंक को राजा और
राजा को रंक बना सकती है
इसी कलम की ताकत से
गीता और पुराण हैं
इसी कलम ने दिया जहां मे
ज्ञान और विज्ञान है
इसी कलम से आज मैं
अंतर्मन का द्वंद लिखूंगी
वीरों की हुंकार लिखूंगी
तलवारों की झंकार लिखूंगी
गीत ग़ज़ल नव छन्द लिखूंगी
मातृभूमि का प्यार लिखूंगी
शहीदों का बलिदान लिखूंगी

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...

माँ सरस्वती की संतान
मातृभूमि की सेवक मैं
अपना तन मन और सर्वस्व
इस मिट्टी पे कर दूँ अर्पण
मेरी कविता का हर शब्द
कण कण मे क्रांति घोल रहा
देश का बच्चा बच्चा आज
जय हिंद जय हिंद बोल रहा

जो मेरी कलम उठेगी
आज़ादी की हुंकार भरेगी...


#SwetaBarnwal




Thursday 30 May 2019

भगवा, हिन्दुत्व की पहचान... 🚩

जिस दिन भारत के घर घर में फ़िर से भगवा लहराएगा
उस दिन अपना देश फ़िर से हिंदुस्तान कहलाएगा
जिस दिन सुभाष और आज़ाद के सपनों को परवान मिलेगा
उस दिन अपना भारत फ़िर से विश्वगुरु बन जाएगा
हिंदू धर्म में जन्म लेकर जिसे हिन्दुत्व से प्यार नहीं
उसको हिंदुस्तान की सरजमीं पर रहने का अधिकार नहीं
हिंदू घर में जन्म लेकर जो करता भगवा से प्यार नहीं
ऐसे गद्दारों को यहाँ जीने का भी अधिकार नहीं
राम और कृष्ण की भूमि पर जिसे गीता का ज्ञान नहीं
राणा प्रताप का वंशज होकर जिसे भगवा की पहचान नहीं
हिंदू कुल मे जन्म लेकर जो करता भगवा का सम्मान नहीं
ऐसे देशद्रोहियों को भारत में रहने का अधिकार नहीं
ओ गांधी जो तूने अपने तन पर भगवा को सजाया होता
छोड़ कर गंदी राजनीति जो भगत सिंह को बचाया होता
नेहरू का पक्षपात ना करता पटेल का राजतिलक होता
भारत के ना टुकड़े होते ना ट्रेनों में लाशें भर कर आते
गैरों को खुश करने मे तूने देश को ना बांटा होता
गर भगवा को तूने समझा होता
गोडसे ने तुमको ना ठोंका होता
ऐ गांधी तब तु कुछ और साल जिया होता
भगवा बस एक रंग नही है ये किस्सा है कुर्बानी का
जिसने इसको समझ लिया वो लाल है माँ भवानी का
गोल मोल ये बात छोड़ कर मैं सच कहने की आदि हूँ
भारत माँ की वीर सपूत मैं कट्टर हिन्दूवादी हूँ


#SwetaBarnwal 

भगवा... 🚩🙏🏼

भारत माँ की शान है भगवा
हिन्दुत्व की पहचान है भगवा
सूरज की पहली किरण है भगवा
संझा की लाली है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

इस धरती की मिट्टी है भगवा
सिक्खों का ताज है भगवा
ऋषि मुनि का तप है भगवा
साधु संतों का शृंगार है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

माँ भारती का आँचल भगवा
वीर शहीदों का लहू है भगवा
अग्नि का तेज है भगवा
सनातन धर्म का आधार है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

राणा प्रताप का तेज़ है भगवा
वीर शिवा की जान है भगवा
लक्ष्मी बाई का अभिमान है भगवा
जौहर का ये रंग है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

हर हिंदू की पहचान है भगवा
गीता और पुराण है भगवा
त्याग और तप की गाथा है भगवा
गंगा जल सा पावन है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

देश पे कुर्बान होने का जुनून है भगवा
रगों में देश प्रेम बन दौड़ने वाला लहू है भगवा
बच्चों की किलकार है भगवा
माता का दुलार है भगवा
कुछ भी कह लो इस को तुम
पर कभी भगवा आतंकवाद ना कहना

#SwetaBarnwal




नमो नमो... 🙏🏼

तेरे जयनाद से
जीत के उद्घोष से
हिल उठी धरा
गूंज उठा गगन
तेरा ही जय हो
तेरा विजय हो
हिन्दुत्व की तु आस है
धर्म का तु प्रकाश है
सिंह की दहाड़ तु
मिट्टी की पुकार तु
जीत की मशाल तु
हिंद की आवाज़ तु
आग की धधक है तु
फ़ूलों की महक है तु
भुजाओं का बल है तु
हिंदुस्तान का कल है तु
रुके ना तु झुके ना तु
थके ना तु थमे ना तु
मुड़े ना तु गिरे ना तु
सदा चले बिना थके
हिंद का ख्वाब है तु
दुश्मनों का जवाब तु
जीत का तिलक है तु
गद्दारों की मौत तु

#SwetaBarnwal

ये कदम कभी ना रुकेगा...

चाहे लाख मुसीबत आए
चहूं ओर गम की बदरी छाए
पैर के नीचे कांटे हो
या फिर चारों ओर अंधेरा हो
ये कदम कभी ना रुकेगा

महफ़िल में वीराने में
अपनों मे बेगानों मे
खुशियाँ हो या ग़म हो
आंधी आए या फ़िर तूफ़ान
ये कदम कभी ना रुकेगा

दर्द मे चाहे पलना हो
या अग्नि में मुझे जलना हो
चाहे छोड़ के देश निकलना हो
ये शीश कभी ना झुकेगा
ये कदम कभी ना रुकेगा

उजियारे में या अंधियारे में
सूखे मे या सागर में
घोर घृणा में या निश्छल प्यार मे
क्षणिक जीत या हार मे
ये कदम कभी ना रुकेगा

पुष्प और कांटो से सज्जित
सुख दुख से भरा ये जीवन
अपमनो मे सम्मानो मे
जीवन के हर राह पर
ये कदम कभी ना रुकेगा

#SwetaBarnwal

वतन पे कुर्बान होने की आरज़ू...

इस देश की मिट्टी से मोहब्बत हम भी करते हैं
कुछ कर गुज़रने की हसरत हम भी रखते हैं
पड़े जो जरूरत मर मिटने की हिम्मत हम भी रखते हैं
सर दुश्मन के कलम कर दे वो ताकत हम भी रखते हैं
आए जो मुसीबत तो हंस हंस के सहेंगे हम
जज़्बा-ए-जुनून इस दिल में हम भी रखते हैं
ठोकरों में अपने गर्दिश-ए-जमाने को हम भी रखते हैं
अपने वतन की आज़ादी की हसरत हम भी रखते हैं
नज़रें उठी जो किसी की हमारे हिंद पे कभी
उन नज़रों को फोड़ने की चाहत हम भी रखते हैं
दुश्मन हो कोई चाहे सरहद के इस पार या उस पार
उनसे नफ़रत का सैलाब अपने दिल में हम भी रखते हैं
बांध सर पे कफ़न अपने हम सुबह-ओ-शाम चलते हैं
कि वतन पे कुर्बान होने की आरज़ू हम भी रखते हैं...

#SwetaBarnwal 

ख्वाबों की दुनिया...

तेरे लिए सपनों की एक हसीं दुनिया बनाई है मैंने
दो पल के लिए ही मेरी इस दुनिया में आओ तो तुम
ना जाने क्यूँ अब तक दूर खड़े हो मुझसे
छोड़ कर सबकुछ मेरी बाहों में समा जाओ तो तुम
मैं तो हर पल तेरे ही ख्यालों में खोई रहती हूँ
कुछ पल के लिए मेरे ख्यालों में खो जाओ तो तुम
मैंने तो अपना सर्वस्व मान लिया है तुझको
बस एक बार मेरे हो जाओ तो तुम
शुरु करते हैं मोहब्बत की एक नई दास्तां
कुछ पल का ही सही साथ निभा जाओ तो तुम
जिस कदर पहली बार हाथ थामा था मेरा
एक बार फिर से मेरी ओर हाथ बढ़ाओ तो तुम
पहली मुलाकात में जैसे इशारों में बात हुई थी
फ़िर उसी तरह हमसे नज़रें मिलाओ तो तुम
जिस जगह हम पहली बार मिले थे
उसी जगह एक बार फिर हमसे मिलने आओ तो तुम
मेरा वज़ूद बस तुझमें सिमट कर रह गया है
एक बार ख़ुद आकर मुझमे समाओ तो तुम
हर जतन कर लिया हमने इस दूरी को मिटाने की
बस एक कदम मेरी ओर बढ़ाओ तो तुम
ख़ुद की नज़र से रोज़ देखती हूँ ख़ुद को
एक बार अपनी नज़र से मुझको देख जाओ तो तुम
जानते हैं ये जमाना है प्यार का दुश्मन
बस एक बार जमाने को भूल जाओ तो तुम
जो कभी किसी ने भी ना किया हो
इश्क़ मे एक बार कुछ ऐसा कर जाओ तो तुम...


#SwetaBarnwal 

Wednesday 29 May 2019

जुदाई...

यूँ अचानक तेरे चले जाने से
रंग जीवन का जैसे यूँ उड़ गया
बह गए आँख से सारे सपने
खो गई जहाँ की सारी ख़ुशी

रह गया अपना ये खोखला तन
उड़ गया कहीं मेरा मन
रूठ कर मुझसे मेरा वो अपना
खो गया ना जाने कैसे कहाँ

दिन के उजाले में भी जैसे
घनघोर अंधियारा छा गया
ऐ ज़िन्दगी अब तु ही बता
ये क्या से क्या हो गया

है ये कोई पल दो पल की सज़ा
या जीवन मेरा मुरझा सा गया
आख़िर क्यूँ मोहब्बत के नसीब मे
होती है जुदाई की ऐसी सज़ा

#SwetaBarnwal




माँ की दुआ...

यकीनन मेरे सर पे मेरी माँ की दुआओं का साया है
जो किस्मत आज मुझे इस मुकाम पर ले कर आया है

लौट आया हूँ आज फ़िर से तेरी आगोश में मैं माँ
इस ज़ालिम दुनिया ने मुझे जी भर कर सताया है

तेरी कुर्बानियों की अब क्या मिसाल दे कोई
मुसीबत आई जो मुझपर तूने ख़ुद को जलाया है

मेरी खुशहाली के लिए कितने सज़दे किए हैं तूने
हर चौखट पर तूने मेरे कामयाबी के लिए दिए जलाए हैं

उठे जो मेरे लिए दोनों हाथ दुआओं मे तेरे
ख़ुदा ने भी तेरी ज़िद के आगे अपना सर झुकाया है

समेट ले एक बार फिर से अपने आँचल में मुझे
तेरे ही चरणों में मैंने मेरा स्वर्ग पाया है माँ...

#SwetaBarnwal


कोई तो होगा...!

कोई तो ऐसी जगह होगी इस धरा पर
जहाँ इंसानियत होती होगी पहले दरज़े पर

कोई तो होगा ऐसा जो ईन्सान से प्यार करता होगा
करता होगा ख़ुदा की बन्दगी उसके कहर से डरता होगा

कोई तो होगा ऐसा जो भाईचारे का व्यापार करता होगा
बुझा कर आग नफ़रत की दिलों में प्यार भरता होगा

कोई तो होगा ऐसा जो छुपा कर अश्क आँखों में
खुशी से गले लगाकर सबको बीमार करता होगा

इस रंग बदलती दुनिया में कोई तो होगा ऐसा जो
मिटा कर भेद रंगों का सबको एक रंग में रंगता होगा 

ज़िन्दगी के बचे लम्हें बस इस आस में जिए जा रहा हूँ 
कोई तो होगा जो जमीं को सरहदों से आज़ाद करता होगा... 

#SwetaBarnwal 

ऐ प्रभु...!

ऐ प्रभु...! बस इतनी सी मेरी अरज़ सुन ले
तुझे भूल कर ना जिऊं कभी इतनी सी मेहर कर दे

इतनी ख़ुशी भी ना देना कि किसी के ग़म पर हंसी आ जाए
इतने ग़म भी ना देना कि हम टूट बिखर जाएं
ना देना इतनी ऊँचाई कि जमी पर पांव ना थमे
ना इतना नीचे गिराना कि ख़ुद से भी ना नज़रें मिले
ऐ प्रभु...!

नहीं चाहिए ऐसा ज्ञान मुझको जो अभिमान हो जाए
ना इतना अज्ञानी बनाना जो तुझसे भी अनजान कर जाए
नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका निर्बल पर उपयोग करूं
नहीं चाहिए ऐसी चतुराई जो सबको छलने ही लगूँ
ऐ प्रभु...!

ना देना इतनी प्रसिद्धि प्रभु अपने भी पराए लगने लगे
भला ऐसी माया किस काम की जो बुद्धि भ्रष्ट करने लगे
नही चाहिए ऐसा जीवन जहां मित्र भी शत्रु बन बैठे
जहाँ जीवन लगे भारी और मौत अट्टहास करने लगे
ऐ प्रभु...!

#SwetaBarnwal

माँ... 🙏🏼

माँ बस एक शब्द नहीं है
दुनिया का ये सार है
इसके आँचल मे छुपा
ये सारा संसार है

इस जहाँ या उस जहांँ
अंतहीन विस्तार है माँ
उसकी लोरी मे छुपा
जहां का असीमित प्यार है

बच्चे को हर तकलीफ़ से
बचा ले वो दीवार है माँ
ऐसा कोई है ना होगा
कोमल मधुर एहसास है माँ,

जितना छोटा शब्द है माँ,
उतना ही विस्तृत प्यार है माँ,
रख नौ महीने कोख में सन्तान को,
लहू से अपने सिंचती है माँ,
अपने सन्तान के जीवन के ख़ातिर,
विधाता से भी लड़ जाए माँ,
हर रिश्ते से अनोखा जग में,
ब्रह्मा का अनुपम वरदान है माँ,


माँ के होठों पर कभी बद्दुआ नहीं होती,
क्यूंकि माँ कभी ख़फ़ा नहीं होती,
उसकी दुआओं में है कुदरत की मेहर,
जो पा ले उसपे टूटे ना कोई कहर,

जब कभी गुस्सा होती है माँ,
आसुओं में अपने दर्द पिरोती है माँ,
भूल कर अपनी सारे ग़म ओ ख़ुशी,
संतान के लिए सुनहरे भविष्य संजोती है माँ,

माँ बस एक लफ्ज़ नहीं
जननी है वो इस जगत की
कूदरत भी तरसे पाने को जिसकी गोद,
ऐसा वो असीमित संसार है माँ,

बंशी की मीठी तान है माँ
लहरों की झंकार है माँ
काली भी है शेरावाली भी है
स्वयं दुर्गा का अवतार है माँ,

ममता और दया की मूर्ति है
विधाता का अनोखा वरदान है माँ,
उसके बिना सृष्टि का आधार नहीं,
धरा पर उस विधाता का अवतार है माँ,

ब्रह्मा भी वो और विष्णु भी वो
स्वयं महाकाल का स्वरुप है माँ,
पड़े जो विपदा संतान पर कभी
स्वयं काल से भी लड़ जाये माँ...

#SwetaBarnwal 

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी, बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

जब से जन्म लिया मैंने
पराया धन होने का दंश मिला
नही बढ़ा सकती मैं कुल को
इसका ही बस तंज मिला

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

इसको ही मान कर अपनी किस्मत
सबके हर फैसले के सामने सर झुकाया मैंने
हाथों की लकीरों को बस
यूँ ही हर पल झुठलाया मैंने

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

ना शिक्षा का अधिकार मिला
ना ही बेटों जैसा प्यार मिला
ना जीने का अधिकार मिला
ना ही मेरे सपनों को परवान मिला

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

ना तेरी कोख में मैं सुरक्षित हूँ
ना तेरे आँचल की मुझको छाँव मिली
ना दुनिया ने ही मुझको अपनाया
ना जालिम नज़रों से मैं बच पाई

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

उठी जो एक दिन डोली मेरी
उठी अर्थी अरमानों की
हर पल रंग बदलती दुनिया में
किस किस से ख़ुद को बचाऊँ मैं

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

कब तक अश्क बहाऊं मैं
आख़र किस ग़लती की सज़ा पाऊं मैं
इन मतलबी रिश्तों का हाथ थामे
आख़िर कितनी दूर जाऊं मैं

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

चूर हो गए हैं सारे ख्वाब मेरे
आख़िर किसको ये बतलाऊं मैं
ओछी नज़रों से देखते हैं जो मुझको
कैसे ख़ुद को उनसे अब बचाऊँ मैं

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

आँखें बन्द कर देखते हैं सब मेरे जज़्बातों को
कहाँ से उनमें इंसानियत लाऊं मैं
जो सिर्फ़ नारी देह समझते हैं मुझको
कहाँ से उनके दिल में प्यार जगाउं मैं

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

इन पथराई हुई आँखों से
देखती रहती हूँ मैं हर पल चहूं ओर
कोई तो ऐसा होगा इस जहाँ में
जो बढ़ाएगा प्यार से हाथ हमारी ओर

माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...

पराई थी पराई हूँ मैं
इस बात को ख़ुद से कैसे छुपाऊँ मैं
माँ..! बेटी हूँ मैं तेरी
बेटी होने की कब तक सज़ा पाऊँ मैं...


#SwetaBarnwal



पापा...

यूँ तो ज़िन्दगी ने हमें कई रिश्ते हैं दिए
कुछ साथ चले तो कुछ पल भर में ही छूट गए
कुछ बनते बनते टूट गए कुछ बेवजह ही रूठ गए
पर जो रिश्ता आजीवन साथ रहा वो थे पापा

बातों मे सख्त पर दिल के बड़े ही नर्म होते हैं
हर मुसीबत में अपने बच्चो का ये साथ निभाते हैं
यूँ तो हर कोई अपने कही बात से मुकर जाता है
पर जो बिन कहे सारे अरमां पूरे कर जाते वो थे पापा

जो हर मुश्किल राह में अपने बच्चों का हौसला बढ़ाते हैं
हर पग पर दुनियादारी की समझ कराते हैं
जो ख़ुद ना कभी झुकते हैं और ना बच्चों को रुकने देते हैं
जो ख़ुद जल कर मार्ग प्रशस्त करते हैं वो थे पापा

कम आमदनी मे भी हमारी हर ख्वाहिश करते हैं पूरी
हर ख्वाब हमारे जादूगर के जैसे चुटकी में वो कर जाते हैं पूरे
ना कभी दिन देखा उन्होंने और ना ही देखी कभी रात
हमारे सपनों के लिए ख़ुद को भी नीलाम किया वो थे पापा

दुख की कड़ी धूप हर बार ख़ुद अकेले ही झेली है
सुख की ठंढ़ी छाँव में सदा हमे है सुलाया
अपनी सख्त आवाज के पीछे अपना प्यार छुपाते हैं
हमारी जरूरतों के लिए ख़ुद को बेच देते हैं वो थे पापा...

Thursday 23 May 2019

2109 चुनावी परिणाम...

लो एक बार फिर से मोदी सरकार है आई
दिन रात की मेहनत से ये सफलता है कमाई
यूँ ही शौखिया विदेशी दौरे पर नहीं जाते थे
बड़ी ही दुरुस्त विदेशी नीति इन्होने बनाई
जातिवाद और वंशवाद से कहीं ऊपर उठकर
2019 मे फ़िर से भाजपा की सरकार आई
ना धर्म की लड़ाई लड़ी और ना आरक्षण की
बस विकास का मंज़र देशवासियों को दिखाया
ना देश को झुकने दिया ना फौज़ीयों को मरने दिया
पाकिस्तान को उसके ही घर में औकात दिखाई
बड़ी ही जतन से उन्होने ये इज़्ज़त है पाई
नही कोई खैरात मे ये जीत उनके हिस्से है आई
ना सरकारी खर्चे पर अपने परिवार को दुनिया घुमाया
ना ही भारत की राजनीति को अपनी वसीयत बनाई
मोदी हटाओ अभियान में सारे कुत्ते बिल्ली एक हो गए
इस पर भी हर जगह मोदी लहर ही है छाई
विपक्ष की काली करतूतों ने उसका पत्ता साफ किया
जनता ने एक बार फिर मोदी जी की सरकार बनाई
इनके लिए पूरा हिंदुस्तान ही इनका परिवार है
मोदी बस एक नाम नहीं अपितु एक सोच है
जो बदल सकता है भारत का आने वाला कल
रख सकता है वो एक नए हिंदुस्तान की नींव
मोदी एक आवाज़ है बर्षों से सोई हुई आवाम की
मोदी एक पहचान है नए भारत वर्ष की
यूँ ही नहीं उन्होने ये प्रचंड कामयाबी है पाई
बड़ी मुसीबतों का सामना कर जनता के दिल में जगह बनाई
सालों के बाद भारत में ऐसी कोई सरकार है आई
जिसने जनता के वोट पे ही नहीं दिलों में भी जगह बनाई...

#SwetaBarnwal 

Tuesday 21 May 2019

एक बार फिर मोदी सरकार...

आओ मिलकर एक भारत नया बनाएंगे
हम फ़िर से मोदी जी को ही लाएंगे
टूट जाने दो अब सारी ज़ंजिर
बन रही है भारत की नई तस्वीर
नया दौर है नया है भारत
लिखेंगे मिल कर हम नई तकदीर
बदल रहा है देखो आज भारत अपना
पूरे होने को है अब अपना हर सपना
आओ मिलकर एक भारत नया बनाएंगे
हम फ़िर से मोदी जी को ही लाएंगे
विश्व शक्ति के रूप में एक बार फ़िर से
भारत को पहचान दिलायी
पाकिस्तान को उनके ही घर में जाकर
उनको उनकी औकात दिखाई
अमेरिका और रूस को अपना दोस्त बनाया
इस्लामिक देशों को अपने आगे झुकाया
हिंदुस्तान ही नहीं पूरे विश्व में
हिन्दुत्व की पुनर्स्थापना कराई
ऐसे सेवक को हम फ़िर से लाएंगे
आओ मिलकर एक भारत नया बनाएंगे
हम फ़िर से मोदी जी को ही लाएंगे
ना कभी खाया ना किसी को खाने दिया
रात भर जागा और देश के लिए किया
आतंकवादियों को जड़ से उखाड़ा
घोटालों और भ्रष्टाचार पे लगाई लगाम
ऐसे चौकीदार को हम फ़िर से लाएंगे
आओ मिलकर एक भारत नया बनाएंगे
हम फ़िर से मोदी जी को ही लाएंगे

#SwetaBarnwal



Thursday 9 May 2019

मस्तमौला...

चलती रही मैं अपनी धुन में
कभी पलट कर नहीं देखा
जो भी किया दिल से किया
कभी अपना फायदा नहीं देखा
ठोकरों में रखा जमाने को अपने
कभी दुनियादारी नही देखा
अपने मन की चली हर चाल
कभी दुनिया का कायदा नहीं देखा

#SwetaBarnwal

Tuesday 7 May 2019

समय...

अब तक की ज़िंदगी में आपने
बहुत कुछ पाया होगा
तो बहुत कुछ खोया होगा
किसी को ठुकराया होगा
तो किसी को गले लगाया होगा
किसी को कभी सताया होगा
तो किसी को मनाया भी होगा
किसी के आँसुओं की वजह बने होगे
तो किसी को कभी हंसाया भी होगा
कभी खुशी तो कभी दर्द हिस्से में आया होगा
किए होंगे मन चाहे काम कई बार
तो कभी प्रभु इक्षा को ही अपनाया होगा
कभी जीत का परचम लहराया होगा
नए अनुभवओं से गलतियों को सहलाया होगा
शायद छीन ली हो किस्मत ने
आपसे आपकी प्यारी चीज कोई
पर कहीं किसी मोड़ पर
नई अनमोल चीज से जरूर मिलाया होगा
आप भले ही ना बदले हों ज़िंदगी की दौड़ में
पर आपका कोई ना कोई अंदाज़ तो बदला होगा
अपनी खुशियों को सबके साथ बांटा होगा
हर गम को अकेले ही गले लगाया होगा
कभी ना कभी तो सपनो पे कला साया मंडराया होगा
भीड़ में रहकर भी तन्हाई का दामन थामा होगा
गुज़र रहा है ये वक़्त वो सारे बीते पल समेट कर
जिस पर आपने कभी अपना हक़ जताया होगा
जी भर कर जी लो ये जो #आज जा रहा है
लाख कर लो जतन ये #समय लौट कर नहीं आएगा, 
समेट लो हर इक लम्हें को, ना फिर ये दौर आएगा, 
यादों के पंख लगा ये वक़्त कहीं उड़ जाएगा... 


#SwetaBarnwal



कोई पूछे...

कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं
तो कह देना कोई खास नहीं
एक साथी है कच्चा पक्का सा
एक झूठ है आधा सच्चा सा
कोई पूछे तुमसे...
जज़्बात के मन पे पर्दा सा
बस एक बहाना जो है अच्छा सा
जो पास होकर भी पास नहीं
पर उसका छुपा कोई राज़ नहीं
कोई पूछे तुमसे...
एक ख्वाब है वो अनजाना सा
सच भी उसका बेमाना सा
एहसास है उसका मीठा सा
पर प्यार है उसका झूठा सा
कोई पूछे तुमसे...
चंदा की किरणों सा है शीतल
कोई सोना नहीं वो है पीतल
कोई भी उसके साथ नहीं
और सच की उसको आस नहीं
कोई पूछे तुमसे...

#SwetaBarnwal 

Monday 6 May 2019

आँसू...

यारों बड़ी ही अजीब होती है ये आँसू
खुशी हो या ग़म सबमें एक सी बहती है ये
कभी अपनों के लिए बहती है ये आँसू
तो कभी अपनों की वजह से बहती है यारों
कभी दिलबर की चाहत में बहती है ये
तो कभी दिलबर की बेवफ़ाई का सबब बनती है
कभी मोहब्बत मे निकल पड़ती है ये
तो कभी नफरत मे भी निकल पड़ते हैं आँसू
कभी सच का एक मात्र गवाह है ये
तो कभी झूठ की बुनियाद है ये आँसू
कभी अकेले में निकल पड़ते हैं ये
तो कभी महफ़िल में अकेला कर जाते हैं आँसू
कभी यादों के साथ लिपट कर आ जाते हैं
कभी बेवजह आँखो से लुढ़क जाते हैं ये


#SwetaBarnwal

मुस्कुराहट...

वक़्त कट ही जाएगा
यूँ मुस्कुरा कर जीने मे,
कोई रोक सके
हमारे बढ़ते कदम को
कहाँ इतना दम है
गर्दिश-ए-ज़माने मे,
आँधियों से लड़ने का
शौख है दिल में
कोई हमे झुका सके
कहाँ इतना दम है
गम के तूफानों में,
चाहे आएं कैसे भी
दौर इस जीवन में
हम तो वक़्त के
मुसाफ़िर हैं
हर बला को तोड़ कर
आगे बढ़ जाते हैं
आँधियों मे बनाए हैं
हमने घर अपने
सर पर कफ़न बांध
राहों में चले हैं अपने
मुट्ठी में है कैद
सारा जहां अपने
देख ले जो एक बार
मुस्कुरा कर किसी को
जमाना भी झुक जाए
वहां सज़दे मे अपने
है मन मे जोश-ए-जुनून
और दिल मे मोहब्बत भरी
एक पल मे सबको अपना बना ले
ऐसी है कुछ आदत अपनी
हल हो जाए हर मुश्किल
यूँ ही चुटकियों में अपने
मुस्कुरा कर जो देखा
हमने ज़िंदगी को अपने...

#SwetaBarnwal



Friday 3 May 2019

स्त्री हैं हम...

स्त्री हैं हम, हमे तुम नादान ना समझना
अब तक जो किया सो किया अब हमे लाचार ना समझना
तुम्हारी हर बात हर शर्त मंज़ूर है हमे
पर हमारे अस्तित्व के साथ कभी खिलवाड़ ना करना
पुत्र से पिता तक का सफ़र तुम्हें हमने कराया
इस बात का हमेशा तुम मान रखना
हमारे विश्वास के साथ कभी ना विश्वासघात करना
माँ, बहन, बीवी, पत्नी, पुत्री, सखी या हो कोई अनजान
हर रूप में इसका तुम सम्मान करना
तुम्हारे सृजन का कारक तुम्हारी जननी है हम
कभी हमे तुम कमजोर  ना समझना
अपनी हर इक्षाओं को तुम हमपे ना थोपना
कभी पैरों तले हमारे अरमानों को ना रौंदना
जीवन है हममे भी ये बात याद रखना
ख़ुद को हमारा भगवान मत समझना
एक नारी की कोख से जन्म लेकर
किसी नारी का कभी अपमान मत करना
ज़िन्दगी है उसमे भी उसे सामान मत समझना
औरत की जिस्म का सौदा करने वाले
नपुंसक हो तुम, ख़ुद को कभी मर्द मत समझना
लूट कर जिस्म औरतों का महान तुम बन ना पाओगे
रुला कर हमे तुम भी चैन से जी ना पाओगे
समुन्दर से भी गहरी है चाहतें हमारी
अपने शौर्य बल से इसे हासिल ना कर पाओगे
जब जब चाहा तुमने हम पर अत्याचार किया
हर बार हमारे वज़ूद पर वज्र सा प्रहार किया
कभी सिता बन अग्नि में चली
तो कभी राधा बन विरह की अग्नि में जली
कभी द्रौपदी बन भरी सभा में लुटी गई
तो कभी अहिल्या बन पत्थर की मूरत बनी
कभी तीन तलाक के ज़हर से मारा हमे
कभी हलाला का ज़हर हमारी ज़िंदगी में उडे़ला
जब चाहा तुम गरज़े हम पर जब चाहा तुम बरसे
चुपचाप तुम्हारी दी हर यातना हम सहते गए
आँखें रोती रही पर लफ़्ज़ों से हम कुछ ना कहे
हम ख़ामोश सहते गए और तुम गुनाह करते गए
है गुरूर इतना ख़ुद पर तो कभी स्त्री बन कर जीना
स्त्री बन जीना यूँ पुरुष होने सा आसान ना समझना
स्त्री हैं हम, हमे तुम नादान ना समझना
अब तक जो किया सो किया अब हमे लाचार ना समझना
तुम्हारी हर बात हर शर्त मंज़ूर है हमे
पर हमारे अस्तित्व के साथ कभी खिलवाड़ ना करना ...


#SwetaBarnwal


ना जाने क्यूँ....!

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

ना किसी रिश्ते मे प्यार और विश्वास ज़िंदा है
और ना ही अपनेपन का अहसास बाकी है
कभी बुजुर्गों के आशीर्वाद मे बरकत हुआ करती थी
अब तो माँ बाप भी बोझ बन कर रह गए हैं
कभी यारों से बता दिया करते थे हर बात दिल की
ना जाने क्यूँ अब यारों की यारी मे वो बात नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

बिंदास मस्त मौला सी हुआ करती थी ज़िन्दगी अपनी
चेहरे के उपर किसी के कोई दूसरा चेहरा नहीं होता था
खुली किताब हुआ करती थी अपनी ज़िन्दगी
पड़ोसियों के भी खुशी और गम में शरीक हुआ करते थे
आज इंटरनेट के जरिए पूरी दुनिया से जुड़ गए हैं हम
पर जरूरत पड़ने पर कोई भी अपने साथ नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

बहन भाई मे दुलार बहुत होता था
माँ बाप के चरणों में स्वर्ग हुआ करता था
होठ हिले बिना हाल बयां हुआ करता था
पल मे हर समस्या का समाधान हुआ करता था
ना जाने क्यूँ अब वो एहसास नहीं है
ना जाने क्यूँ साथ हो कर भी हम पास नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

भावनायें दफ़न हो चुकी है दिलों में
इंसान बहुत ज्यादा व्यवहारिक हो गया है
धमनियों में लहू की जगह पानी बहने लगा है
सारे रिश्ते अब बेमानी हो चुके हैं
मशीन बन गए हैं हम सारे खो गई है इंसानियत
ना जाने क्यूँ अब हर रिश्ते में वो प्यार नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...

संयुक्त परिवार का दमन हो चुका है
एकल परिवार ने लोगों को स्वार्थी बना दिया है
घर में बुजुर्गों की जगह आया ने ले ली है
और पश्चिमी सभ्यता ने वृद्धाश्रम को पनपाया है
दादी नानी की कहानियां बस कहानी बन कर रह गई
ना जाने क्यूँ अब रिश्तों में वो मिठास नहीं है

ना जाने क्यूँ अब
ज़िन्दगी मे वो बात नहीं है...



मैं नारी हूँ...

मैं नारी हूँ...
कूदरत की सबसे
अनमोल किर्ति हूँ
मैं नारी हूँ...

कभी सराही जाती हूँ
तो कहीं पे छली जाती हूँ
कहीं पूजी जाती हूँ
तो कभी लूटी जाती हूँ
जीवन के हर मोड़ पे मैं
अपने औरत होने की सज़ा पाऊं

मैं नारी हूँ...

किसी को चाहूँ तो
आकाश की बुलंदी तक पहुंचा दूं
और जो गिरूं तो
किसी को भी गर्त में पहुंचा दूं
अच्छे अच्छों को धूल चटा दूं
मेरे आगे कोई टिक ना पाए
सबके दिलों में चाहूँ
एक छोटी सी जगह बनाना

मैं नारी हूँ...

अपने प्यार और चाहत से
घर को स्वर्ग बना दूं
हर एक की ज़िंदगी को
खुशियों से भर दूं
अपना सर्वस्व दूसरों पे
समर्पण कर दूं
ख़ुद से पहले हर बार
दूसरों का सोचूं
फ़िर क्यूँ हैं हम
इतने लाचार

मैं नारी हूँ...

घर परिवार की
ज़िम्मेदारी मैं संभालूं
बच्चों की परवरिश
पूरी लगन से करूं
फ़िर भी मेरा कोई
घर नहीं है
जिसने जन्म दिया
उनके लिए पराया धन
और जो ब्याह कर लाए
उनके लिए सगी हुई नहीं
जरूरत पड़ने पर
सबका सहारा भी बनती हूँ
फ़िर भी क्यूँ हूँ मैं बेसहारा

मैं नारी हूँ...

इस सृष्टि के सृजन का
आधार हूँ मैं
मर्द की कामयाबी के पीछे का
सार हूँ मैं
सबका साथ देती हूँ मैं
फ़िर भी चाहती हूँ मैं
तेरे मजबूत कंधों का सहारा

मैं नारी हूँ...

हमारी ना मे भी ना हो सकती है
समझदार हैं हम नादान ना समझो
हमारी कोख से जन्म लेकर
हमे ही शर्मसार करते हो
हमारे ऊपर अत्याचार करते हो
हमारी इज़्ज़त को तुम
तार तार करते हो
उसके लिए भी
हमे ही कुसूरवार समझते हो
ख़ुद को तुम
हमारा भगवान समझते हो
इतने पे भी
मैं अब तक ख़ामोश हूँ
मैं नारी हूँ...

#SwetaBarnwal



तन्हाई...

यूँ तो बहुत कुछ था पास मेरे
अब तन्हाई के सिवा कुछ नहीं
किसी ने हमे अपना बनाया
तो किसी ने नज़रें फेर ली
बहुत कुछ संभाल रखा है
इन आँखों में हमने तेरे लिए
जो देख लो तुम एक बार
तो किस्मत हमारी
और जो ना देख पाओ
तो कोई शिकायत नहीं
किस कदर बना लूँ तुझे 
शरीक-ए-ज़िंदगी मैं अपनी
थक चुकी हूँ बहुत
अकेले तन्हा चलते चलते
कि ख़ुद अपना भार
उठा सकती नहीं मैं
ग़म-ए-ज़िन्दगी मे 
डूब जाने दो मुझे अब 
कि शम्म-ए-ज़िन्दगी की लौ
मैं जला सकती नहीं अब... 

#SwetaBarnwal 


Wednesday 1 May 2019

इंतज़ार...

शून्य में झांकती मेरी निगाहें
तेरे दीदार को तरसती है ये आँखें
कब आओगे तुम पिया मोरे
सूनी पड़ी है मेरे दिल की राहें,
तेरे इंतज़ार में मैंने सदियाँ गुज़ारी
फीके पड़ गए सोलह श्रृंगार सारे
थकने लगा है मेरा मन
सूना पड़ा है घर का आँगन
कितने ही मौसम बित गए
फ़िर से आ गई सावन की बरखा
सजन मिलन को दिल तरसे
हर पल हर क्षण नैना बरसे
ना उम्मीद से हो बैठे हैं हम
मौत के कितने करीब हो बैठे हैं हम
एक वक़्त था जो हवा की तरह उड़ रहा था
और एक वक़्त है जो यादों की बोझ से रुक सा गया है
बस एक बार आ जाओ तुम मेरा नाम लेकर
कि इंतज़ार में ख़ामोशी बहुत शोर करती है ..

#SwetaBarnwal

Saturday 27 April 2019

क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

जिस आंगन में बचपन बीता
उसे छोड़ एकपल में तेरे घर को अपना लिया
जो अपना था वो अब अपना रहा नहीं
और बेगाने अब हमारी तकदीर हो गए
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

अपने माँ बाबा की लाडली थी मैं जान
मेरी हर गलती को हंस कर नज़रअंदाज़ कर देते थे
आज छोटी सी गलती हो जाए तो
मेरे पूरे खानदान को गाली दे दी जाती है
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

मांग मे सिंदूर क्या पड़ गए
एक पल मे ही सारे रिश्ते बदल गए
मैं बेटी से बहु बन गई
जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गई
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

तुम मुझे अपने कमरे में भेज घंटों
अपने परिवार वालों के साथ वक़्त बिताते हो
मैं नहीं कहती कि तुम सब मेरी शिकायतें करते हो
पर क्या उन लम्हों में मैं शामिल नहीं हो सकती थी
अब मैं भी तो तुम्हारे परिवार का हिस्सा थी जान
फ़िर क्यूँ मुझसे ऐसा परायापन
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

तुम्हारा घर, तुम्हारा परिवार, तुम्हारे दोस्त तुम्हारी ज़िंदगी
जैसे कल चल रही थी आज भी वैसी ही है
पर मेरा क्या, मुझसे तो मेरी पहचान भी छीन गई
और जो कभी मैं अपनी माँ से थोड़ी देर बात कर लूँ
तो ऐसा लगता है जैसे कोई गुनाह हो गया हो
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

आज तक मेरे माँ बाबा ने मुझ पर उंगली नहीं उठाई
ना ही कभी अभद्र शब्दों के बाण चलाए मुझ पर
लाखों मे एक थी उनकी बेटी, गुणों की खान
पर ससुराल आते ही ऐसा क्या बदल गया मुझमे
कि रोज हर बात के लिए आलोचनाएं मिलने लगी
मेरे चरित्र पर किचड़ उछाले जाने लगे
मेरे कोमल मन को बारबार लहूलुहान किया जाने लगा
और तुम उस वक़्त भी मुकदर्शक बन खड़े रहे
यही फर्ज़ है होता है एक पति का अपनी पत्नी के लिए
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

हर कदम साथ निभाने का वादा किया था तुमने
पर जब भी जरूरत पड़ी ख़ुद को तन्हा ही पाया
तेरे हर मुश्किलों मे तेरा हौसला बढ़ाया हमने
ख़ुद से भी ज्यादा ऐतबार किया था हमने तुम पर
पर तुम से वो साथ और भरोसा कभी ना पा सकी
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

अपनी ही शर्तों पे ज़िन्दगी जीने की आदत थी मुझे
मस्त बिंदास और बच्चों जैसी हरकतें थी मेरी
फ़िर भी तेरे लिए ख़ुद को पल में बदल डाला
तेरी ख़ुशी मे ही ख़ुद की ख़ुशी तलाशने लगी थी
बावज़ूद इसके तेरे संग दो पल को मैं तरसती रही
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

बेटी नहीं बेटा बना कर पाला था मेरे बाबा ने मुझे
तुम अगर अपने बीमार माँ बाप की सेवा करो तो फर्ज़
और जो मैं करना चाहूं तो मेरे पैरों में बेड़ियाँ
तुम्हारी बहन मायके में महीनों बिताए तो उसका हक
और जो मैं कुछ दिनों के लिए मायके चली जाऊँ
अपने जरूरतमंद माँ बाप की सेवा करने या मन बहलाने
तो जमाने भर के ताने और मेरे संस्कारों को गालियाँ
क्या इस दर्द को समझ सकता है कोई....

#SwetaBarnwal


Thursday 25 April 2019

तो क्या बात हो...

किताबों के पन्नो को पलट कर सोचती हूँ
यूँ ही पलट जाए ज़िंदगी तो क्या बात हो
हाथों में मेरे रख दे जो वो हाथ मेरे
तो क्या बात हो
दो कदम चल ले जो वो साथ मेरे
तो क्या बात हो
प्यार से जो वो रख दे सर पे हाथ मेरे
तो क्या बात हो
रोते चेहरे पर जो ला दे कोई हंसी
तो क्या बात हो
जब से चाहा तुझे कुछ और ना चाहा कभी
ज़िन्दगी में जो कभी तू मिल जाए
तो क्या बात हो
यूँ ही चुटकी मे सुलझ जाए हर मुश्किल
तो क्या बात हो
लड़ने से किसी को कुछ ना हासिल हुआ कभी
यूँ बातों ही बातों में उलझने सुलझ जाए
तो क्या बात हो...

#SwetaBarnwal 

Thursday 7 March 2019

कब तक खुद को रोक पाएंगे वो
बिना हमारे एक पल भी जी ना पाएंगे वो
बस जाएँगे यादों मे उनके कुछ इस तरह से हम
फिर खुद को भी याद करना भूल जाएंगे वो...

#SwetaBarnwal

भारत देश


नहीं होगा अब कोई भी समझौता
ना होगी अब कोई वार्तालाप
नज़र जो कोई उठी अब भारत की ओर
बस मस्तक अब वो कटेगा
कई मुसीबतों और कुर्बानियों से
मिली हमे ये आज़ादी है
अपने प्राणों से भी प्रिये हमे है
अपने मुल्क की आज़ादी है
इसे मिटाने की साजिश रचने वाले
अब हमने भी चुप्पी तोड़ी है
देश धर्म की रक्षा के ख़ातिर
आतंकवाद की गर्दन मरोडी है
बंद करो अब ये नरसंहार
अब ना सहेंगे तेरा कोई भी वार
धमकी और आतंकवाद से
भारत का भाल झुका लोगे
यह मत समझो
गद्दारों की टोली लेकर
कश्मीर कभी हथिया लोगे
यह मत समझो
जब तक धरती अंबर होंगे
सूरज मे जब तक तेज रहेगा
जब तक गंगा की धार रहेगी
भारत का वर्चस्व बना रहेगा

#SwetaBarnwal 

निःस्वार्थ चाहत

बेहद बेइंतहा बेपनाह चाहते हैं हम तुम्हें
तुम्हें चाहने की कोई वजह नहीं
तुझको चाहूँ तुझको ही पुजूं
तुझे दिल में बसाने की कोई वजह नहीं
कई हसरतें हैं दिल में तुझको लेकर
मुकम्मल हो जाए, ऐसा मुमकिन नहीं
तुझसे मोहब्बत है कह दूँ जमाने से
मगर कुछ और खोने की अब हसरत नहीं
मिल जाए गर साथ तेरा ज़िंदगी रौनक हो जाए
वर्ना तो इसमे रंग अब कोई बाकि नहीं...

#SwetaBarnwal 

Saturday 2 March 2019

भारत की सेना के आगे
हर तूफ़ान ने बाजी हारी है
फौलादी हैं सीने इनके
और चट्टानी इरादे हैं
भारत माँ की रक्षा ख़ातिर
हर बाजी इसने मारी है...

#SwetaBarnwal 

अभिनंदन...

वंदन है अभिनंदन तेरा
तु मातृभूमि का नंदन है
काल है तू दुश्मनों का
तु स्वयं महाकाल का अवतारी है
धूल चटा आया दुश्मनों को तु
मौत भी तुझसे हारी है...

#SwetaBarnwal

Wednesday 27 February 2019

पुलवामा...

भारत देश के कोने कोने में अब भगवा लहराएगा,
कश्मीर तो छोड़ो पूरा पाकिस्तान भी अपना हो जाएगा

हिमालय की चोटी से अब चहूं ओर बहेगी गंगा
लाहौर की सरजमी पे अब फहराएगा अपना झंडा
अब युगों युगों तक नेहरू जिन्ना जैसा शैतान नहीं होगा
भारत माता की गोद में अब कोई आतंकवाद नहीं होगा
Loc के आर पार अब पूरा भारत एक होगा
चाणक्य के अखण्ड भारत का अब ख्वाब पूरा होगा

भारत देश के कोने कोने में अब भगवा लहराएगा,
कश्मीर तो छोड़ो पूरा पाकिस्तान भी अपना हो जाएगा

ज़हर पिला कर मज़हब का इन कश्मीरी लोगों से
भय और लालच दे कर इनको पत्थर बरसा रहे वीरों पे
बहुत हो गई बातचीत अब कोई समझौता ना होगा
भारत माँ के वीर सपूतों का बलिदान व्यर्थ ना होगा
आ गया वक़्त पाकिस्तान को अब ये बतलाना होगा
उसकी असली औकात अब उसे दिखलानी होगी
अहिंसा हमारी कमजोरी नहीं दरियादिली है
अपने ताकत का उसको थोड़ा एहसास कराना होगा

हिंदुस्तान के कोने कोने में अब भगवा लहराएगा,
कश्मीर तो छोड़ो पूरा पाकिस्तान भी अपना हो जाएगा

लाल कर दिया लहू से तूने पुलवामा की घाटी को
सिसकने को मजबूर कर दिया आज इस देश की माटी को
इन निहत्थे सैनिकों का अब बलिदान ना खाली जाएगा
४० के बदले ४०० को मौत की नींद सुलाया जाएगा
इतने पे भी जो तुझे अकल ना आई
तो अंजाम तुझे भुगतना होगा
बहुत हो चुकी मक्कारी अब बहुत हो चुका आतंकवाद
संभल जा अब भी वर्ना उबल पड़ेगा सारा हिंदुस्तान

भारत देश के कोने कोने में अब भगवा लहराएगा,
कश्मीर तो छोड़ो पूरा पाकिस्तान भी अपना हो जाएगा

Tuesday 26 February 2019

मौन नहीं रहना हमको...

देश झुलस रहा है आज हमारा आतंकी हमलों से
और सिपाही कुचले जा रहे हैं पत्थर की फौज़ों से
नही लिखना है आज हमे हास्य प्रेम या करुण पुकार
ऐसी वाणी भरनी है जो हर बच्चा बन जाए महाकाल
वीर शहीदों की छवि बसी है इन नैनन की ज्योति मे
देश की रक्षा की खातिर जिसने अपना सर्वस्व बलिदान दिया
अब तो सबक सिखाना होगा पाक को ये बतलाना होगा
छुप कर जिसने वार किया इंसानियत को शर्मसार किया
अब इनको इनकी असली औकात दिखानी होगी
भारत की असली शक्ति अब इनको बतलानी होगी
दे दो खुली छूट हमारी सेना को अब मौन नहीं रहना हमको
मिटा डालो पाक को नक्शे से कि अब और नहीं सहना हमको


#SwetaBarnwal 

Monday 25 February 2019

मेरे हमसफ़र....

मेरे ज़िंदगी के सफर के ओ मेरे हमसफ़र
चलना साथ मेरे तुम यूँ ही उम्र भर

चाहे हो राहों में कितने भी कांटे
या हो फिर गमों की अंधियारी रातें
ना छोड़ना कभी तुम दामन मेरा
मिल जाएगी मंज़िल साथ हो तुम अगर

मेरे ज़िंदगी के सफर के ओ मेरे हमसफ़र
चलना साथ मेरे तुम यूँ ही उम्र भर

धुंध मे जो खो जाए ये रस्ता कभी
रूठ कर जो हो जाए तुमसे खफा कभी
कस कर समेट लेना मुझको बाहों में तुम
जल उठेंगे सौ दिए हर तम को चीर कर

मेरे ज़िंदगी के सफर के ओ मेरे हमसफ़र
चलना साथ मेरे तुम यूँ ही उम्र भर

छोटा सा बसाएंगे हम अपना आशियाँ
होगा वहीं पे अपने सपनों का जहां
मिले इस कदर कि बिछड़े ना कभी
खुशियाँ हो हर पल ना हो गमों का बसर

मेरे ज़िंदगी के सफर के ओ मेरे हमसफ़र
चलना साथ मेरे तुम यूँ ही उम्र भर

#SwetaBarnwal

Tuesday 12 February 2019

चला जा रहा था मैं ज़िंदगी को जीते...

ज़िन्दगी की अनजान राहों पर
मन में यूँ ही कई सवाल लिए
अपने और परायों के बीच से गुज़रते
चला जा रहा था मैं ज़िंदगी को जीते,

कहाँ था जाना और क्या था पाना
ना ही रास्ते की थी कोई पहचान
और ना ही मंज़िल का था ठिकाना
आश और निराश मे लगाते हुए गोते
चला जा रहा था मैं ज़िंदगी को जीते,

अपने ही ख्यालों में मैं चला जा रहा था
ज़िन्दगी को बेपरवाह जिए जा रहा था
वक़्त को अपनी मुट्ठी में कैद किए
अपने ही अरमानों की आहुति देते
चला जा रहा था मैं ज़िंदगी को जीते,

कभी हारता तो कभी खुद से जितता
ज़िन्दगी से हर घड़ी कुछ सीखता रहा
ठोकरों से गिरता कभी गिर के संभलता
हर चोट पे अपने ख़ुद से मरहम लगाते
चला जा रहा था मैं ज़िंदगी को जीते,

#SwetaBarnwal 
दिल के राज़ किसी के सामने तो खोलो,
जो है दिल में तेरे उसे होठों से तो बोलो,
कट जायेगा ये जीवन का सफ़र प्यार से,
एक बार तुम किसी के हो कर तो देखो...

#SwetaBarnwal

Monday 11 February 2019

बसंत...

आयो रे आयो
देखो बसंत आयो रे
महकी हर कली
भँवरा मंडरायो रे
नैनो मे सपने सजे
हर अंग अंग खिले
कल कल छल छल
ये नदी लहराए रे
आयो रे आयो
देखो बसंत आयो रे
मन मोरा हर्शाये
नैनों में सपने सजाए
रोम रोम ले अंगडाइयाँ
ओ मोरे सजनवा
आयो रे आयो
देखो बसंत आयो रे
धरती दुल्हन बन शर्माई
खेतों में देखो
पीली सरसों है लहराई
सूखी पड़ी धरा
आज फ़िर से लहलहाई
आयो रे आयो
देखो बसंत आयो रे
माता सरस्वती का
आगमन हुआ देखो
प्रकृति आज एकबार
फ़िर से खिलखिलाई
खिली हर डाली
वसुंधरा प्रेम के गीत गाए
आयो रे आयो
देखो बसंत आयो रे
मन में उमंगे जगे
हर दिल में प्यार खिले
होली के रंगों में
रंग गई दुनिया सारी
अमृत रस घोल रही
कोयलिया बोल रही
खेल रही गौरेया
नया नया रंग लिए
आयो रे आयो
देखो बसंत आयो रे...


#SwetaBarnwal 

Tuesday 15 January 2019

ये ज़िंदगानी...

बस चार दिन की है ये ज़िंदगानी,
इतनी सी है यारों अपनी कहानी
जो है बस आज है इस पल में है
कल क्या होगा किसी ने ना जानी

कभी खुशियों की लड़ी है ये
कभी आँसुओं मे डूबी दर्द की घड़ी है ये
कभी हौसलों से निखरती है ये
कभी ठोकरों से टूट कर बिखरती है ये ज़िंदगानी

बस कुछ लम्हों की है ये ज़िंदगानी
मरने से पहले संवार ले ये ज़िंदगानी
किसी का साथ ले ले या किसी का सहारा बन जा
प्यार से बस संवर जाएगी ये ज़िंदगानी

कुछ ऐसा कर गुज़र जा इस ज़िंदगानी
यादों में सबके इस कदर बसा जा ये ज़िंदगानी
मलाल ना रह जाए फिर जाने का
चंद लम्हों में ही जी जा फिर ये ज़िंदगानी

ना कोई शिकवा ना शिकायत किसी से
जहाँ के गम बटोर लुटा जा खुशियाँ इस ज़िंदगानी
सिखा जा जीने का सलीका इस जहाँ को
इक नई दास्तां लिख जा ये ज़िंदगानी


#SwetaBarnwal 

ये ज़िन्दगी...

कभी धूप तो कभी छाँव है ये ज़िंदगी
कभी जुआ तो कभी दाँव है ये ज़िंदगी
कभी अबूझ सी पहेली है ये ज़िंदगी
बूझो तो अपनी सहेली सी है ये ज़िंदगी

कभी आशा कभी विश्वास है ये ज़िंदगी
मिली है सबको बस चार दिन के लिए
फ़िर भी यारों बड़ी खास है ये ज़िंदगी
कभी हंसी तो कभी उदास है ये ज़िंदगी

कभी सरताज़ तो कभी हमराज़ है ज़िंदगी
कहने को तो खुली किताब है ये ज़िंदगी
हर पल हर क्षण नए मोड़ लेती है ये ज़िंदगी
बनते बिगड़ते लम्हों का हिसाब है ये ज़िंदगी

कभी राजा तो कभी रंक है ये ज़िंदगी
चंद सासों की मोहताज़ है ये ज़िंदगी
वक़्त की ठोकरों में बैठी है ये ज़िंदगी
हम सबके लिए एक राज़ है ये ज़िंदगी

#SwetaBarnwal

Friday 11 January 2019

ये कैसी चाहत

करीब आने की चाहत भी उनकी थी
दिल लगाने की हसरत भी उनकी थी
मिलना हमारा नसीब था, पर
मिलकर बिछड़ना ये ख्वाहिश भी उनकी थी
साथ चलने का वादा भी उनका था
साथ छोड़ कर जाने का इरादा भी उनका था
रास्ते भी उनके थे मंज़िल भी उनकी ही थी
हम तो थे ही तन्हा मुह मोड़ने का फैसला भी उनका था
वक़्त भी उनका था, शर्तें भी उनकी ही थी
निभाने की आरज़ू थी मेरी पर तोड़ने की आरज़ू उनकी थी
पूरी शिद्दत से चाहा था जिनको मैंने
मेरी मोहब्बत को ठुकराने का इरादा भी उनका था
हर चाहत उनकी थी और उसपे कुर्बान हमारी हर आरज़ू थी ..

#SwetaBarnwal 

दिल रो रहा है...

आ जाओ आज एक बार फिर से
कि ये दिल रो रहा है
छेड़ जाओ वो दिल के तार फिर से
कि ये दिल रो रहा है
बहुत चाहते थे जो हमे कभी
आज गुमनाम हो बैठे हैं
भर दो जीवन में वही रंग फिर से
कि ये दिल रो रहा है
तुम्हें पा कर खो दिया
या फिर तुम्हें कभी पाया ही ना था
इसी कश्मकश मे उलझी पड़ी है
ज़िन्दगी हमारी
आ जाओ आज एक बार फिर से
कि ये दिल रो रहा है...

#SwetaBarnwal 

ज़िन्दगी जी कर तो देखो...

एक बार फिर से ज़िन्दगी को जी कर तो देखो
बेवजह यूँ ही कभी मुस्कुरा कर तो देखो
खिलखिला उठेगी ये ज़िंदगी तुम्हारी
बस एक बार सबको प्यार करके तो देखो

बीते लम्हों को एक बार भुला कर तो देखो
आने वाले पल को एक बार समेट कर तो देखो
अपने अंदर के डर को मिटा कर तो देखो
जीत का जुनून अपने अंदर जगा कर तो देखो

एक बार फिर से ज़िन्दगी को जी कर तो देखो
बेवजह यूँ ही कभी मुस्कुरा कर तो देखो

जो खो गया हो उसे तुम भुला कर तो देखो
किसी रोते को अपनी मुस्कुराहट दे कर तो देखो
अपने अंदाज़ से सबको अपना बना कर तो देखो
रूठों को बस एकबार मना कर तो देखो

एक बार फिर से ज़िन्दगी को जी कर तो देखो
बेवजह यूँ ही कभी मुस्कुरा कर तो देखो

अपने मन पर पड़े मैल को मिटा कर तो देखो
रिश्तों पर जमीं धूल को उड़ा कर तो देखो
जो सोए हुए हैं उनको तुम जगा कर तो देखो
अहम और वहम दोनों को मिटा कर तो देखो

एक बार फिर से ज़िन्दगी को जी कर तो देखो
बेवजह यूँ ही कभी मुस्कुरा कर तो देखो

सारे झगड़े झंझट को मिटा कर तो देखो
एक बार दोस्ती का हाथ बढ़ा कर तो देखो
सबकी गलतियां और खामियां भुला कर तो देखो
एक बार तुम सबको गले लगा कर तो देखो

एक बार फिर से ज़िन्दगी को जी कर तो देखो
बेवजह यूँ ही कभी मुस्कुरा कर तो देखो
खिलखिला उठेगी ये ज़िंदगी तुम्हारी
बस एक बार सबको प्यार करके तो देखो...

#SwetaBarnwal 

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...