नज़रों से दूर मग़र दिल के करीब था वो,
मिल कर जो बिछड़ा मेरा नसीब था वो,
चाहत थी ताउम्र साथ निभाने की जिसकी,
चार कदम भी मेरे साथ चल ना पाया वो,
ना पाने की आरज़ू ना बिछड़ने का कोई गम,
प्यारा सा रिश्ता अपना बड़ा अजीब था वो,
कभी मेरी बातों में कभी यादों में मौजूद था,
कभी मेरे आँसुओं मे कभी मुस्कान मे था वो,
मेरी साँसों में था कभी मेरी रूह में समाया था,
ना था तो बस किस्मत की लकीरों मे ना था वो,
बेइंतहा चाहत थी पाने की कोई आरज़ू नही,
अनजान थे रास्ते दिल मे कोई जुस्तजू नहीं,
नज़रों से दूर मग़र दिल के करीब था वो,
मिल कर जो बिछड़ा मेरा नसीब था वो...
#SwetaBarnwal
मिल कर जो बिछड़ा मेरा नसीब था वो,
चाहत थी ताउम्र साथ निभाने की जिसकी,
चार कदम भी मेरे साथ चल ना पाया वो,
ना पाने की आरज़ू ना बिछड़ने का कोई गम,
प्यारा सा रिश्ता अपना बड़ा अजीब था वो,
कभी मेरी बातों में कभी यादों में मौजूद था,
कभी मेरे आँसुओं मे कभी मुस्कान मे था वो,
मेरी साँसों में था कभी मेरी रूह में समाया था,
ना था तो बस किस्मत की लकीरों मे ना था वो,
बेइंतहा चाहत थी पाने की कोई आरज़ू नही,
अनजान थे रास्ते दिल मे कोई जुस्तजू नहीं,
नज़रों से दूर मग़र दिल के करीब था वो,
मिल कर जो बिछड़ा मेरा नसीब था वो...
#SwetaBarnwal