Saturday 31 March 2018

शायद तुमने भी रब से दुआ मांगी होगी 
किसी दिलवाले की चाह तुमने भी रखी होगी, 
शायद तेरे लिए ही हम इस जमीं पे आए होंगे, 
मोहब्बत मे तेरी हम खुद को फ़ना कर जाएंगे...

#SwetaBarnwal 
मेरी चाहत को हद मे ना बांधों तुम, 
क्यूंकि हम तुमसे बेहद मोहब्बत करते हैं... 

#SwetaBarnwal 
एक दिन जरूर जाएगी 
तेरी लापरवाही की आदत, 
जिस दिन तुझे ये याद करने वाली 
खुद एक याद बन कर रह जाएगी... 

#SwetaBarnwal 
एक आरज़ू है मेरी 
गर तुम पूरी कर सको, 
मेरी साँसें आख़िरी हो 
और तेरी बाहों का घेरा हो... 

#SwetaBarnwal 
दिल को हर पल 
तेरे आने की आस है, 
तुझसे मिल सकूं 
ऐसी ही कुछ प्यास है, 
सब कुछ तो है 
हासिल मुझे ज़िन्दगी मे, 
बस तेरी कमी है 
शायद इसलिए दिल उदास है...

#SwetaBarnwal 
जानती हूँ 
कि तुम मेरे हाथों की लकीरों में नहीं, 
फ़िर भी एक बार 
किस्मत से लड़ कर तुम मेरे हो जाओ... 

#SwetaBarnwal 
मेरे दिल को 
तेरे इज़हार का था इंतज़ार 
पर तेरी ख़ामोशी 
भी बहुत कुछ कह गई... 

#SwetaBarnwal 
दिल मेरा है 
और उसकी धड़कन तुम हो,
जिस्म मेरा है 
पर उसकी जान तुम हो...

#SwetaBarnwal
क्या कहूँ तुझे 
क्या है तू मेरे लिए 
मोहब्बत कहूं या चाहत कहूं
दीवानगी कहूं या आदत कह दूँ
बस इतना समझ ले यारा,
मेरी साँसों की अब जरूरत है तू...

#SwetaBarnwal
वो व्यस्त हैं 
अपनी ज़िन्दगी के फलसफों मे,
हम आज भी
उनके इंतजार मे खाली बैठे हैं...

#SwetaBarnwal 
यूँ चुप ना बैठो 
दूरियों का अहसास होता है, 
चलो प्यार नहीं तो 
लड़ाई ही कर लिया करो यारा... 

#SwetaBarnwal 
दिल में मेरे तूफ़ान 
और आँखों में तुझसे मिलने की हसरत 
ना डर था बिखरने का 
और ना ही खौफ था कुछ खोने का
ताउम्र साथ की चाहत थी, 
और बेइंतहा मोहब्बत का इरादा था, 
पर अफसोस 
वक़्त ना था उनके पास हमारे लिए
रो भी ना पाएं हम, 
क्यूंकि टूट कर बिखर जाते वो 
बस मुस्कुरा के चल दिए, 
अपनी आँखों में आँसुओं की बरसात लिए... 

#SwetaBarnwal 

Friday 30 March 2018

ना जाने कैसा ये अहसास है,
दूर है वो फ़िर भी बहुत पास है...
ना जाने कैसी ये मिलन की प्यास है,
कोई नहीं वो मेरा फ़िर भी बहुत खास है...

#SwetaBarnwal
कहाँ सुखाउं मैं तेरे यादों का बिस्तर, 
बारिश तो अंदर भी है और बाहर भी... 

#SwetaBarnwal 

आज की ये रात ज्यादा गहरी है,
आँखों में मेरे तेरी याद ठहरी है,
नींद आ जाए मुझे कुछ पलों की,
तुझसे मिलने की दिल में प्यास गहरी है...

#SwetaBarnwal

आज जो छन से तेरी याद चली आई, 
आँखों मे मेरे आँसुओं की बरसात चली आई, 
सोचती हूँ कभी भूल जाऊं तुझे इस कदर, 
मगर अगले ही पल वो पहली मुलाकात की कसक चली आई.... 

#SwetaBarnwal 

Thursday 29 March 2018

आ चल फ़िर मिल बैठते हैं वो दोस्त पुराने, 
जिनके साथ बीते थे वो रंगीन जमाने, 
कुछ औरों की सुन ने कुछ अपनी सुनाने,
आ चल फ़िर मिल बैठते हैं वो दोस्त पुराने...

#SwetaBarnwal 
आज फिर से बीती हुई ज़िन्दगी की 
रवानी याद आती गई, 
जो हुआ करता था कभी अपना हिस्सा 
वो कहानी याद आती गई...

#SwetaBarnwal 

Tuesday 27 March 2018

हवाओं को ना इतनी तकलीफ़ दीजिए,
दिल से याद कर दिल से महसूस कीजिए...

#SwetaBarnwal
बचपन के ख्वाब 
जवानी में नासूर हो गए...
जिस जिस को अपना माना 
वो हमसे दूर हो गए... 

#SwetaBarnwal 

बस यही दुआ है कि
तुम हमेशा हमारे रहो, 
क्यूंकि किसी और के 
हम भी होना नहीं चाहते...

#SwetaBarnwal 
उनकी ख़ामोशी 
हमारी जान ले लेती थी 
आज हम ख़ामोश हुए
तो उन्होंने ख़बर तक ना पूछी...


#SwetaBarnwal 

Monday 26 March 2018



कामयाबी तो बस एक बहाना है,
असल में दोस्तों के दिल में घर बसाना है,
बड़े मंहगे हो गए हैं दिलों के रिश्ते,
मंज़िल के बहाने ही सबको अपना बनाना है...

#SwetaBarnwal 

हसीन रात

सोई नहीं इक पल को आँखें 
रस्ता देख रही थी तेरा, 
हो कर के पल पल बेचैन, 
कब होगा तेरा आना, 
कैसे पूकारूं तुझ को संवरिया,
कैसे दरश मैं पाऊँ तेरे,
मन होए मेरा ये बेचैन,
हैं काली सी ये रात सुहानी, 
नागन बन डस जाए मोहे,
वो बिरहा की रात सजना, 
कैसे दूँ आवाज़ मैं तोहे,
कौन विधि अपनाऊँ मैं, 
अब कैसे तुझे रिझाऊँ मैं,
तेरे बिन कटती ना ये रात है,
तुझ बिन होती आँखों से बरसात है,
अंग अंग कचोटे मुझको,
तेरी छुअन को तरसे है मन,
रातें अब लंबी लगती है, 
तुझ बिन सुनीसुनी लगती है,
अब तो आ जा पिया मोरे,
बस हो जाए दीदार तोरे
ढलने को है ये रात सुहानी, 
बस आके सुना जा तू 
मधुर मिलन की एक कहानी 
यादों ने एक पल भी साथ ना छोड़ा, 
मिलन की आस ने उम्मीद ना तोड़ा, 
मुमकिन ना है सजना भूल बैठुं मैं 
अपने मिलन की वो "हसीन रात"...



#SwetaBarnwal 

वक़्त

मौसम बदले लोग बदले, 
बदल गया ये सारा जहां,
आचार बदले विचार बदले,
गर ना बदला कुछ तो वो वक़्त
जिसने छिना मुझसे सारा संसार....

हम भी बदले तुम भी बदले, 
बदलने को नियती भी बदली, 
बदला  हर हालात 
गर ना बदला कुछ तो वो वक़्त
जिसने छिना मुझसे सारा संसार....

देश भी बदला वेश भी बदला, 
बदला अपना वो परिवेश,
अब तो पहचान भी अपनी बदल गई, 
गर ना बदला कुछ तो वो वक़्त
जिसने छिना मुझसे सारा संसार..... 

अपने बदले गैर भी बदले, 
हर रिश्ता यहां बेनकाब  हुआ, 
जिसने लगा रखे थे पहरे गहरे, 
गर ना बदला कुछ तो वो वक़्त
जिसने छिना मुझसे सारा संसार....

#SwetaBarnwal 


Saturday 24 March 2018

ना बाँध मुझे इन जंजीरों में,
मैं भी तेरा अंश हूं माँ
शिक्षा का दे मुझको भी अधिकार,
साथ मे दे दे थोड़ा सा प्यार...

#SwetaBarnwal
जंजीरें भी रो उठती है नाज़ुक से पैरों को बांध कर,
पर अफसोस यहां इंसानों का दिल नहीं पसीजता...

#SwetaBarnwal

Friday 23 March 2018

आधुनिकता

आधुनिकता 


ऐसी चाल चलें कि 
हम अपनी ही चाल भूल गए, 
आधुनिकता की वो लहर चली, 
कि अपनी पहचान भूल गए...
फ़िर कैसे हम आधुनिक कहलाए... 

कपड़ों से नहीं होती है ये,
ना होती है किसी दिखावे से,
अरे आधुनिकता तो जमी नहीं है
हम सबके विचारों मे...
फ़िर कैसे हम आधुनिक कहलाए... 

सबसे होड़ लगा रखी है हमने 
नापी नहीं चादर अपनी, 
दिखावे की ऐसी लगी बीमारी, 
सादगी खो गई अंधियारों में... 
फ़िर कैसे हम आधुनिक कहलाए... 

जहाँ कोख मे मर जाए बेटी, 
दहेज की बेदी पे जल जाए बेटी,
जहाँ सपनों पे तेरे पाबंदी हो, 
बेड़ियों मे जकड़ी जहां बेटी हो, 
फ़िर कैसे हम आधुनिक कहलाए... 

जहाँ दिन का उजियारा भी हमे डराये
साया भी अपना हो ना पाए,
प्रेम की भाषा कोई समझ ना पाए,
नफरत की आंधी जब फैली हो,
फ़िर कैसे हम आधुनिक कहलाए... 

बुजुर्ग माँ-बाप वृद्धाश्रम में हों, 
बच्चे जहां आया के हाथों पले, 
बूढ़ी आंखें हर पल ताके रस्ता, 
ना जाने कब बच्चों को उनकी सुध आए
फ़िर कैसे हम आधुनिक कहलाए...

हर रिश्ता जहां पे लज्जित हो,
हर आंखें जहां पे शंकित हो,
अविश्वास का घनघोर अंधेरा हो,
बदहाली ने जहां पे डाला डेरा हो 
फ़िर कैसे हम आधुनिक कहलाए...

#SwetaBarnwal 

Wednesday 21 March 2018

अतृप्त मन मे तृप्त पलों को 
जो भर दे अहसास वही है, 
विरक्त जीवन में आसक्त क्षणों को 
जो भर दे अहसास वही है
बंजर भूमि मे खूबसूरत मंजर
जो भर दे अहसास वही है
नफरत के राहों में प्यार के फूल
जो  खिला दे अहसास वही है 



#SwetaPrakash 

Tuesday 20 March 2018

ख़ुद को भी जब सौंप दिया,
फ़िर क्या बाकी रहा देने को,
बस एक हाथ बढ़ा ले प्यार से,
हैं तैयार बहारें आने को..

#SwetaBarnwal 

इंतज़ार भी रख....

रख यकीन अपनी किस्मत पे मगर 
थोड़ा अपनी मेहनत पे ऐतबार भी रख, 
बेइन्तेहाँ उम्मीदें रख आँखों में मगर, 
थोड़ा उन आँखों मे इंतज़ार भी रख... 

मत सौंप दे अपनी ज़िन्दगी तू रब के हाथों, 
बदलते मौसम पे ख़ुद का इख्तियार भी रख, 
यही आँसू कभी शोला है और कभी पानी, 
अपने अंदर की आग को सीने में जला के रख... 

हर बात पे उतावले हो जाते हो तुम तो,
सीने में कभी अपने थोड़ा धैर्य भी रख,
यूँ तो तलवार उठाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं,
पर दिल में कभी अपने थोड़ा प्यार भी रख...

#SwetaBarnwal 
लम्हों से कुछ लम्हे चुराने की इज़ाज़त जो दो तुम,
कुछ लम्हें के लिए अपना बनाने की इज़ाज़त जो दो तुम,
हम तो कई  सदियों से बैठे हैं तेरे इंतज़ार में,
बस एक बार हमे अपने जुस्तजू मे आने की इज़ाज़त जो दो तुम...

#SwetaBarnwal 

Monday 19 March 2018

जाने क्यूँ हम इतने मजबूर हुए


जाने कितनी बार हम
हालातों के आगे मजबूर हुए, 
कभी टूट कर बिखर गए 
तो कभी थक कर चूर हुए...
आँखों के आँसू भी अब तो सूख गए, 
सारे अपने भी हमसे रूठ गए 
जाने क्या क्या हमने सोचा था, 
जाने क्यूँ इस कदर हम बर्बाद हुए... 
जिसको भी हमने माना अपना, 
वो हर शख्स यहां निकला बेगाना, 
मैं भी आज इस कदर बुरा ना होता, 
गर हर चेहरे ने मुझको लुटा ना होता... 
क्या-क्या ना दर्द सहे हमने,
जाने क्यूँ हम इतने मजबूर हुए 
कभी टूट कर बिखर गए, 
कभी थक कर चूर हुए... 



#SwetaBarnwal 
इश्क़ के बाज़ार में बस एक ही कुसूर है सबका, 
इश्क़ किया और मुकम्मल होने की ख्वाहिश भी की...

#SwetaBarnwal

Sunday 18 March 2018

बस एक बार अकेले में मुलाकात कीजिए...

बस एक बार अकेले में मुलाकात कीजिए...



एक मुद्दत से दिल आपके इंतज़ार में है,
बन के सावन एक बार बरस जाइए, 
मेरे बरसों की आप प्यास बुझा जाइए...
बस एक बार अकेले में मुलाकात कीजिए...

होंठ हिल भी ना पाए और बात हो जाए, 
आँखों से आँखों की मुलाकात हो जाए,
दिल थम सा जाए जो आपका दीदार हो जाए, 
बस एक बार अकेले में मुलाकात कीजिए... 

हर रोज देखें आपको सबसे नज़रें चुराए, 
दिल ही दिल में हमने हैं कई ख्वाब सजाए, 
सपनों को हमारे आप पंख दे जाइए, 
बस एक बार अकेले में मुलाकात कीजिए...


#SwetaBarnwal 


यूँ तो हम भी कोई बहुत बड़े खरीदार नहीं,
पर गम अपनों के हों तो बांट लेते हैं हम...

#SwetaBarnwal
यूँ तो मोहब्बत में दस्तूर है बदलना, 
पर जीतना तुम बदले उतना भी नहीं बदला जाता...

#SwetaBarnwal 

बेनाम मोहब्बत...

मुझको भी मोहब्बत है तुमसे, 
तुझको भी मोहब्बत है मुझसे, 
बस एक दरिया है मजबूरी की, 
इस पार खड़ी मैं उस पार है तू,
अब पार उतरना है मुश्किल, 
बस यूँ ही अब धारा बहने दे... 

दिवानों जैसी चाहत है तेरी, 
और अदा मेरी मस्तानी है,
हर लम्हा गुज़र जाएगा यूँ ही, 
बस साथ मेरा तू देता जा, 

तुम भूल ना जाना मुझको,
वरना गिला करूंगी किससे,
अश्क बहेंगे यादों मे तेरी,
हम पल पल मरते जाएंगे...

आज तेरे होठों की रंगत 
मेरे होठों पर सजने दे, 
एक बार फ़िर से मुझको 
उन ख्वाबों को जीने दे,
मैं तो हूँ इस वक़्त की मारी, 
एक बार अपने बाहों मे सोने दे... 

#SwetaBarnwal 
ऐ मेरे हमदम 
बस इतनी सी मोहब्बत निभा जा मुझसे, 
मैं जब भी रूठुं
तू आकर मना जा मुझको... 

#SwetaBarnwal 

विरह वेदना...

आज सोचा कुछ लिखूं, 
पर शब्दों से पहले आँसू बिखर पड़े, 
तेरे बगैर भी बहुत खुश हूँ मैं, 
लिखना ये था, लिख कुछ और गए...

पास आकर कोई अजनबी हो जाए 
तो भी इसका कोई गम नहीं होता, 
पर कोई अपने रवइये से अजनबी हो
तो बहुत तकलीफ़ हो जाती है...

ये कोई वक़्त की नाराज़गी है हमसे 
या फ़िर मेरी किस्मत का लिखा, 
जो भी मिला अब तक मुझको, 
मेरे दिल से खेल कर निकला... 

अब तो डरती हूँ मैं खुद के साये से भी, 
आईना भी मुझसे घबरा जाता है, 
अक्सर रस्ता बदल लेती हैं खुशियाँ, 
मेरे दर तक आते-आते...



#SwetaBarnwal 
खुशी हो या गम 
हम आँसू बहाते रहे, 
छोटी छोटी बातें 
देर तक रुलाती रही, 
कुछ पाया कुछ खोया, 
कुछ तो पा कर खोया, 
बस इस कदर ही 
ज़िन्दगी हमे आजमाते रही...

#SwetaBarnwal 
कुछ ख्वाब सिर्फ़ ख्वाबों मे हसीन होते हैं,
हकीकत से उसका कोई ताना बाना नहीं होता,
जो बंद आँखों में अपना होता है,
खुले आँखों मे अक्सर ही वो सब सपना होता है...

#SwetaBarnwal
कुछ किस्से किताबों में नहीं मिलते, 
दिल के दर्द दिखाए नहीं दिखते,
लाख कर लो कोशिश तुम इश्क़ मे,
प्यार के अहसास छुपाए नहीं छुपते ...

#SwetaBarnwal

चाहत है...

जब से तुझको देखा
हर वक़्त गुनगुनाने की चाहत है,

अपने होठों पे सजा के तुझको 
हर पल प्यार के गीत गाने की चाहत है, 

आँखों से जो तेरे टपके आँसू, 
उसे अपने पलकों पे सजाने की चाहत है 

बहुत याद किया मैंने तुझको, 
अब तेरी यादों में बसने की चाहत है

छाए जो तेरे जीवन में अंधेरा, 
जल कर तुझे रौशन करने की चाहत है

तेरी राहों में यूँ पलकें बिछाए, 
मुझे बस तेरे लौट आने की चाहत है

सज़ा लूँ इस कदर तुझे अपने जिस्म पे, 
बस एक बार तुझमें समाने की चाहत है 

अपने दिल में तेरे इश्क़ का दिया लिए,
एक बार ख़ुद उस लौ में जल जाने की चाहत है...



#SwetaBarnwal 
कुछ इस कदर रह गई हमारे दिल की दास्तां अधूरी, 
ख़ामोशीयों को वो समझे नहीं और शब्दों में ढालना हमें आया नहीं... 

#SwetaBarnwal 
अक्सर खामोशियाँ भी बहुत कुछ कह जाती है, 
बस एक बार सुनने का जज़्बा तो रखो... 

#SwetaBarnwal 
ख़ुदा करे हमारी चाहत में भी वो मुकाम आए,,, 
हम याद करें तुमको और तेरी आँखों मे अश्कों की बरसात आये...

#SwetaBarnwal
इश्क़ मे अक्सर सब कुछ मिल जाता है,
बस वही छुट जाता है, जिससे इश्क़ होता है...

#SwetaBarnwal
कोई नज़र तो है जो इस कदर बेचैन है तेरे लिए,
एक बार नज़र उठा के तो देख, क्या खबर उसे भी चैन आ जाए...

#SwetaBarnwal
अक्सर लोगों का प्यार 
आँखों से शुरू हो दिल तक पहुंचता है,
पर कुछ ऐसे भी हैं जिनका प्यार 
दिल से शुरू हो आँखों तक पहुंचा है...

#SwetaBarnwal 
कुछ रिश्ते बस दिलों में ही बस्ते हैं,
नाम देना चाहो तो अक्सर टूट जाते हैं...

#SwetaBarnwal
रिश्तों की लंबी कतारें तो सबको नसीब होती है, 
पर कोई खास, किसी खास को ही नसीब होती है...

#SwetaBarnwal
ये मोहब्बत भी अक्सर उसी से होती है यारों,
किस्मत में जिसका मिलना लिखा नहीं होता...

#SwetaBarnwal
सवालों मे ही उलझ कर रह गई है ज़िन्दगी,
काश किसी ने हमे जवाब समझा होता...

#SwetaBarnwal
मुक़म्मल होने की ख़्वाहिश में,, 
हम और भी अधूरे हुए जाते हैं..!!
इसलिए तो सच्ची मोहब्बत,
कभी पूरे नहीं किए जाते हैं...!!

#SwetaBarnwal
हमने भी कब चाहा था कि इश्क़ हमारा मुकम्मल हो,
बस वफ़ा की चाहत थी और ताउम्र प्यार का वादा था...

#SwetaBarnwal
ये आंखों की भाषा भी कभी-कभी दगा कर जाती है,
वादे हमसे कर वफा किसी और से कर जाती है...

#SwetaBarnwal

Saturday 17 March 2018

कुछ चीजें इस कदर खरीद ली हमने दुनिया के बाज़ार से, 
कि खरीदार भी ना बदला और हम उसके हक़दार हो बैठे...

#SwetaBarnwal 

Friday 16 March 2018

मेरी धड़कनें बढ़ जाती हैं तेरी बात से अक्सर,
क्या तेरा भी यही हाल होता है मेरी बात सुन कर...


 #SwetaBarnwal 
जिस दिल मे  हम होते हैं वहां गम नहीं हुआ करते हैं, 
तुम जो याद करो दिल से हम साँसों में बस जाया करते हैं...

#SwetaBarnwal 
परछाई पे  हमे कोई ऐतबार नहीं,
क्यूंकि अंधेरे मे उसकी कोई पहचान नहीं
गर साथ देना ही है  तो मेरी धड़कन बन जाओ,
जीते जी बिछड़ पाना आसान नहीं...

#SwetaBarnwal 
हदों मे हम भी बंधे हैं,
सरहदों मे तुम भी बंधे हो
कुछ इश्क़ ऐसे भी होते हैं
जो दायरे में भी खूबसूरत होते हैं...

#SwetaBarnwal 
चलो आज तुम्हारी बात मान जाते हैं,
रिश्तों को थोड़ा थोड़ा दोनों आजमाते हैं,
जीत चाहे किसी की भी हो जाए, 
अहसासों की मौत का मातम मिल कर मनाते हैं...😢😢

#SwetaBarnwal

Thursday 15 March 2018

तक़दीर और तस्वीर मे
बस फ़र्क है इतना 
गर मनचाहे रंगों से बने 
तो तस्वीर कहलाए 
और अनजाने रंगों से रंगे 
तो तक़दीर कहलाए... 

#SwetaBarnwal 

खूबसूरत मुलाक़ात...

आज हम फेसबूकिया दोस्तों की मुलाकात हुई, 
फ़िर क्या बताऊँ यारों क्या क्या बात हुई, 
हर चेहरा अंजाना था, हर शक्स वहां बेगाना था, 
फ़िर भी ना जाने क्यूँ एक अलग ही पहचान हुई... 

थी एक अजनबी दोस्त की शादी का समारोह, 
पहुंचे थे वहां हम सारे online दोस्त 
मन मे थी हमारे मची हलचल चहुँ ओर
जाने वहां मिलेंगे कैसे कैसे लोग... 

यूं तो कई बार बातें हुई थी अपनी online
पर फ़िर भी social media के कई किस्से थे हमने सुने 
कश्मकश के भंवर जाल में फंसा था मन, 
जाने कैसा होगा अनजानों से मिलन... 

सबसे मिल कर फ़िर ख़ुद को ही खो डाला हमने, 
लगा ही नहीं कि ये कोई पहली मुलाकात है अपनी, 
हंसी मज़ाक और नोंक झोंक का दौर चल पड़ा था, 
पर वक़्त जैसे पंख लगा कर उड रहा था... 

बहुत दिनो बाद फ़िर से ज़िंदगी जीने का मौका मिला,
खुद से खुद की मुलाकात हुई, खुशियों की बरसात हुई,
गुम हो गई थी जो हंसी ज़िम्मेदारियों के नीचे
आज फ़िर उसी से कुछ इस कदर पहचान हुई...

बस कुछ पलों का साथ था, 
फ़िर जाने कौन कहाँ होता,
मिलने की शायद उतनी खुशी ना थी 
बिछड़ने का सबको हो रहा था मलाल... 

जाने फ़िर कब कौन कहाँ किसी से मिल पाये 
क्या पता हो ये पहली और आखिरी मुलाकात 
जो पल साथ गुज़ारे थे, उनकी कसक थी अनमोल 
बेगाने भी इतने अपने होंगे ये आज हमने जाना था... 


आज हम फेसबूकिया दोस्तों की मुलाकात हुई, 
फ़िर क्या बताऊँ यारों क्या क्या बात हुई, 
हर चेहरा अंजाना था, हर शक्स वहां बेगाना था, 
फ़िर भी ना जाने क्यूँ एक अलग ही पहचान हुई... 

#SwetaBarnwal 

वो पागल सा लड़का

वो पागल सा लड़का,
हर बात में सबसे उलझता था,
किसी से लड़ता था
तो किसी से भिड़ता था,
कुछ ऐसी ही पहचान थी उसकी,
जाने क्या उसके मन में चलता था,
वो पागल सा लड़का...

एक दिन मिला वो मुझको
अनजाने राहों पे एक अनजानी डगर पे,
चला कुछ पल को साथ मेरे,
खुब हंसा और जी भर के हंसाया
कुछ लम्हों में उम्र भर का रिश्ता बनाया,
वो पागल सा लड़का...

बेबाकपन था बातों मे उसके,
कुछ अलग ही अंदाज़ का वो मालिक था,
मस्तमौला सी छवि थी उसकी,
गुस्से की ना कोई निशानी थी,
बिल्कुल अलग ही उसकी कहानी थी
वो पागल सा लड़का...

गुज़ारे हमने संग कुछ हसीन लम्हें,
कुछ गुदगुदाते, कुछ लड़ते झगड़ते,
बड़ा ही हाज़िर जवाबी था वो,
सच कहूं तो, यारों का भी यार था वो,
बड़ा ही खुशमिज़ाज़ वो मेरा दोस्त है आज
वो पागल सा लड़का...
हर बात में सबसे उलझता था... 

#SwetaBarnwal 

कुछ ख्वाहिशें मेरी 
यूँ अधूरी ही रह गई, 
कल तक उम्र ना थी, 
आज उम्र हो गई है... 

#SwetaBarnwal 

Wednesday 14 March 2018

वो पहली मुलाकात...

वो पहली मुलाकात 


याद रहेगी ताउम्र मुझे हमारी वो पहली मुलाकात... 

वो यादों का ताना बाना, वो मंजर था सुहाना, 
सबकी नज़रों से छुपना, वो मिलना मिलाना, 
तेरा पहली बार हाथों को छुना उसे आहिस्ता दबाना, 
शरारती आँखों से चोरी-चोरी तेरा यूँ मुझको देखना, 

याद रहेगी ताउम्र मुझे हमारी वो पहली मुलाकात... 

कहना था तुझसे बहुत कुछ पर होंठ थमे से थे, 
याद रहेगा मुझे तेरा आँखों से चुप चाप कह जाना
तेरी छुअन से मेरी साँसों का तेज हो जाना, 
अचानक किसी आहट से फ़िर घबरा जाना, 

याद रहेगी ताउम्र मुझे हमारी वो पहली मुलाकात... 

ज़ोर से दिल का धड़कना फ़िर नज़रें चुरा जाना, 
मेरे डर को अपने प्यार और विश्वास से तेरा मिटाना, 
तेरा हल्के से अपनी बाहों में मुझको जकड़ना, 
तेरी आँखों में पाक मोहब्बत की झलक दिख गई, 

याद रहेगी ताउम्र मुझे हमारी वो पहली मुलाकात... 

मेरे शाने पे हौले से वो तेरा झुकना, 
मेरी पेशानी पे तेरा वो प्यारा सा चुंबन, 
तेरे पैरों से मेरे पैरों की अनचाही छुअन, 
ख़ास बन गया तेरे साथ गुज़रा वो हर एक लम्हा, 

याद रहेगी ताउम्र मुझे हमारी वो पहली मुलाकात... 

#SwetaBarnwal 

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अजनबी से मुलाकात...

छुप छुप के तेरा यूँ देखना, गज़ब ढ़ा गया,
नज़रें मिलते ही तेरा नज़र चुराना, गज़ब ढ़ा गया,
तेरी शोखियाँ, वो मस्तीयां, तेरी हंसी गज़ब ढ़ा गयी, 
तेरा बेबाकपन, तेरी चुहलबाजीयां गज़ब ढ़ा गई, 
वो तेरा अंदाज़-ए-बयां भी गज़ब ढ़ा गया,
एक अजनबी से ऐसी मुलाकात गज़ब ढ़ा गई... 

#SwetaBarnwal 

Saturday 10 March 2018

एक सीख

धम्म 

(एक लघु कथा) 


धम्म...! 
कड़ाके की सर्दी थी, अचानक आधी रात को अपार्टमेंट में सो रहे लोगों की नींद इस आवाज़ से खुली। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर ये आवाज़ कैसी थी, पर किसी अनिष्ट की आशंका से सभी सहमे से थे। सब बेहवास से दौड़े, कोई बालकनी की तरफ़ तो कोई अपार्टमेंट के नीचे की ओर भागा। कोई आँखें मीच रहा था तो कोई अपने कपड़े को ठीक कर रहा था।
अपार्टमेंट के नीचे अचानक अफरातफरी मच गई, चौकीदार ने सबको आवाज़ लगाई। पांचवें माले के शर्मा जी के बेटे शान्तनु ने छत से छलांग मार दी। काफ़ी लोग जमा हो चुके थे, सब के चेहरे पर भाव आ जा रहे थे। सवाल कई थे, पर जवाब किसी के पास नहीं था। शांतनु के माता-पिता दोनों को काटो तो खून नहीं। उनकी गोद में अब उनके बेटे की जगह खून से लथपथ मांस का लोथड़ा शेष था। शांतनु के प्राण पखेरू उड़ चुके थे। माता-पिता ने अपनी इकलोती संतान खो दी थी।
जैसे तैसे कर सबको संभाला गया। पुलिस और ambulance आ चुकी थी। शान्तनु के पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम के लिए ले जाना था। पुलिस शर्मा जी से शान्तनु के आत्महत्या से संबंधित कुछ सवाल करने लगी और इस के बाद जो सच्चाई सामने आई वो यकीनन दिल दहला देने वाली थी।
शान्तनु एक औसत विद्यार्थी था। जैसे-जैसे उस के बोर्ड की परीक्षा का समय नज़दीक आ रहा था उसपर उसकी माँ का दबाव बढ़ रहा था। शान्तनु को sports मे रुचि थी, जबकि उसकी माँ उसे फाइटर पायलट बनाना चाहती थी। इसके लिए माँ ने कई ट्यूशन लगवा दिए थे, घर में भी पूरा वक़्त पढ़ाई का दबाव था। उसके बाहर आने-जाने, दोस्तों से मिलने, खेलने, दूरदर्शन, दूरभाष आदि सब पर पाबंदी थी। दिन प्रतिदिन शान्तनु मुरझाता जा रहा था। शायद आज उस के सब्र का बांध टूट गया था। पुलिस ने ध्यान दिया तो पाया कि शान्तनु के हाथ में एक कागज का टुकड़ा था जो पूरी तरह से खून से सन चुका था। पुलिस ने उसे निकाल कर पढ़ा तो सब स्तब्ध रह गए। उसमे लिखा था ;
I am sorry माँ, 
मैं आपका लायक बेटा नहीं हूँ। 
मुझमे आपके सपनों को पूरा करने की काबिलियत नहीं है। 
मुझे माफ़ कर देना। 
I love you so much माँ-पापा...
सबकी आँखें छलछला उठी थी। शान्तनु की माँ तो जैसे निर्जीव हो चुकी थी। वो ज़िंदा तो थी, पर शायद ज़िन्दगी शेष ना थी।


#SwetaBarnwal 



ऐ माँ...

ऐ माँ 


ऐ माँ आज फ़िर से तू मुझे लोरी सुना दे,
बहुत थक चुका हूँ अपनी गोद में सुला दे...
एक बार फिर मुझे तू मेरा बचपन दिला दे, 
हंसना भूल चुका हूँ, तू मुझे हंसना सीखा दे... 
ऐ माँ फ़िर से मुझे तू अपने आँचल मे छुपा ले 
बड़ी जालिम है ये दुनिया, तू मुझको बचा ले... 
तेरा साया रहे मुझपे रहती दुनिया तलक, 
मैं हूँ एक छोटा सा तारा तू है मेरा फ़लक... 
हर नैया हो पार, चाहे तूफ़ान हो कितने भीष्ण 
तेरी गोद को तरसे हैं ख़ुद राम और कृष्ण... 
ऐ माँ आज फ़िर से तू मुझे लोरी सुना दे,
बहुत थक चुका हूँ अपनी गोद में सुला दे...



#SwetaBarnwal

पिता का अंतिम पत्र...

पिता का अंतिम पत्र... अपनी प्यारी पुत्री के नाम 


मेरी प्यारी बेटी, 
कल तुम जब आंखें खोलेगी, 
शायद तब तक मैं तुम सबसे 
कोसों दूर जा चुका होऊंगा, 
अपनी बाकी बची जिम्मेदारी 
तेरे ही नाम किए मैं जाऊंगा
नहीं है अब मुझमे हिम्मत,
ना जीने की कोई आस बची है,
बहुत दिनों से रोग ग्रसित रहा
बिस्तर पर मृत जैसा पड़ा रहा,
माँ बहन भाई इन सबको
बस तेरे हवाले किए जा रहा,
जानता हूँ तू है अभी बहुत छोटी,
पर तु है सबसे हिम्मत वाली, 
बेटी नहीं तू बेटा है मेरा, 
इसका रहा सदा अभिमान मुझे, 
तेरे हाथों की मेहंदी भी छूटी नहीं, 
जानता हूँ सब, पर क्या करूँ 
कुछ पल का ही मैं मेहमान हूँ, 
गिनती के ही लम्हें है पास मेरे, 
पर कहना है बहुत कुछ तुझसे, 
बहनों का घर संसार बसाना, 
सपनों का राजकुमार ढूंढ लाना, 
कभी ना उनकी आँखों में आँसू आए, 
हर हाल में तू ये फर्ज़ निभाना, 
तेरा भाई अभी बहुत छोटा है, 
इन हालातों के झंझावात से अंजान है, 
उसके परों को उड़ना सिखलाना 
दुनिया में उसे एक पहचान दिलाना,
तेरी माँ है बड़ी ही भोली,
बहुत खेले हैं हमने आँख मिचौली,
मधुर साथ रहा बरसों का अपना,
अब उसे भी  छोड़ मुझे जाना होगा
तुझे बेटी होने का फर्ज़ निभाना होगा
जा रहा हूँ मैं कई अरमां दिल में ही लिए,
चाहता था एक बार मैं नाना बन जाऊँ,
बच्चों के साथ खेलूं कभी घोड़ा बन जाऊँ,
एक बार गोद में तेरे मुन्ने को लेता
काश फिर से मैं तेरा बचपन जी पाता
बाहों का उसको मैं झूला झूलाता
कभी लोरी सुना मैं उसे सुलाता
घोड़ा बन उसे मैं दुनिया की सैर कराता, 
कांधे पर बिठा उसे आसमाँ तक ले जाता, 
एक बार फिर से मैं भी बच्चा बन जाता...
चाहता था हर बेटी का कन्यादान करूँ, 
अपने ही हाथों से उनको भी विदा करूं, 
मन्नतों के बाद मिला था पुत्र का सुख, 
पर हाए री अपनी किस्मत, 
ये खुशी भी रह गई मेरी अधूरी 
कर ना सका मैं कुछ भी उसके लिए, 
दे ना पाया उसे भी खुला आकाश 
मेरी प्यारी बेटी, है नाज़ मुझे तुझ पर, 
करोगी तुम ही पूरे ख्वाब मेरे सारे... 
बस अब और नहीं कुछ लिख पाऊंगा, 
आँखें बोझिल सी हो रही है 
साँसों का ताना टूट रहा है 
तन का पंछी हो रहा बेकाबू, 
सब छोड़ अब उड़ने को तैयार है 
ख़ुश रहना तुम सब, मिल कर रहना साथ 
भले ही तन से दूर हो रहा मैं, 
मन से रहूंगा सदा तुम सबके पास... 

#SwetaBarnwal


आखिरी पड़ाव...

आखिरी पड़ाव 



मैं हो गया ७० का और तू हो गई ६५ की प्रिये,
फिर भी ना जाने क्यूँ मन बावरा है तेरे लिए,

छोड़ दुनिया की सारी फिकर, 
आ अब हम तुम फ़िर साथ चल पड़े, 
ना अब कोई बंदिश, ना ही कोई आशा, 
ना ही मन में है कोई ख्वाब शेष प्रिये... 

ना रहे हमारे अब जन्मदाता, 
ना ही बच्चों को कोई फिकर हमारी, 
ना दुनिया वालो को खबर हमारी, 
बस हम तुम हैं अब  संग-संग प्रिये... 

ना अब ज्यादा सांसें बची है,
ना ही ज़िन्दगी के ज्यादा लम्हें है पास,
तेरे साथ की बस अब ख्वाहिश है, 
ना ज़िन्दगी में अब कोई आज़माइश प्रिये... 

जो अब तक ना कह सका तुझसे, 
आज कहना चाहूं हर बात तुझे, 
कुछ अपनी कह डालो कुछ मेरी सुन लो, 
जाने कब हो जाए आख़िरी शाम प्रिये... 


अहम और वहम मे कट गई सारी जिंदगी,
बस रह गई कुछ धुंधली यादें हैं
इससे पहले कि तन का पंछी उड़ जाए,
भर लूँ बाहों में तुझको एक बार प्रिये... 

बहुत हुई शिकवे शिकायत, 
बहुत हो गई  तु तु - मैं मैं, 
रह गए कुछ शब्द कहे - अनकहे,
छोड़ो शब्दों को, आज समझ लें जज़्बात प्रिये...


मैं हो गया ७० का और तू हो गई ६५ की प्रिये,
फिर भी ना जाने क्यूँ मन बावरा है तेरे लिए,
आ जीलें एक बार फिर से ये ज़िन्दगी एक साथ, 
तू बन जा १८ की और मैं हो जाऊँ २१ का प्रिये...

#SwetaBarnwal 



Friday 9 March 2018

एक अनोखी प्रेम कहानी...

७० साल का बुड्ढा और ६५ साल की बुढ़िया 

(एक अनोखी प्रेम कहानी) 




७० वर्षीय खन्ना साहब अपनी गाड़ी से मंदिर से लौट रहे थे कि रास्ते मे एक पेड़ के नीचे एक औरत अकेली बैठी दिखी। गाड़ी रोक वो उनके पास गए पूछा क्या बात है आप थोड़ी परेशान लग रही हैं, मैं कुछ मदद कर सकता हूँ। वो फुट-फुट कर रोने लगी। उन्होंने अपना नाम सुशीला बताया साथ ही ये भी बताया कि उनके एकलौते बेटे बहु ने उनकी सारी संपत्ति अपने नाम कर उन्हें घर से बाहर कर दिया था। खन्ना साहब ने उन्हें ढांढस बंधाया और उन्हें अपने साथ अपने घर ले गए जहां वे खुद भी अकेले रहते थे। 

खन्ना साहब काफी सुलझे हुए और तजुर्बेकार इंसान थे। उनके कुछ दिनों की मेहनत और समझाने के बाद सुशीला देवी ने अपने बेटे बहु के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज़ कराया। उनके बेटे बहु को इसकी तनिक भी उम्मीद ना थी। खन्ना साहब का साथ और सुशीला देवी की हिम्मत रंग लाई और वो मुकदमा जीत गई। उन्हें उनका घर, बेटे से मासिक भत्ता और मुआवजे की कुछ राशि मिली जो उनके शेष ज़िंदगी के लिए पर्याप्त था।

बातों बातों में सुशीला देवी जान गई थी कि खन्ना साहब भी अपने बच्चों के हाथों सताए हुए हैं। खन्ना साहब ने एक वृद्धाश्रम भी खोल रखा था जिसमें वो हर मजबूर, बेबस और अपनों के सताए हुए बुजुर्गों को पनाह देते थे और उनकी हर संभव मदद करते थे। खन्ना साहब और सुशीला देवी दोनों  ही तन्हाई के साथी थे। दोनों एक दूसरे की काफ़ी कद्र करते थे। 

एक दिन खन्ना साहब ने कहा कि क्या आप मुझसे शादी करेंगी। सुशीला देवी को पहले तो ये एक मज़ाक लगा पर फ़िर खन्ना साहब के भाव भंगिमा को देख वो झेंप गई। उन्होंने कहा कि इस उम्र में शादी, लोग, दुनिया, समाज ये सब क्या कहेंगे? खन्ना साहब ने कहा जब हम अपनों के जुल्मों का शिकार हुए थे, तब कहाँ थे ये सब। जब उस वक़्त सारे चुप थे तो फ़िर आज हम क्यूँ सुने उनकी? और वैसे भी एक ७० साल का बुड्ढा और एक ६५ साल की बुढ़िया क्या कर रहे हैं, इससे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता। ये सुन कर सुशीला देवी शर्मा उठी और अपनी स्वीकृति दे दी और दोनों ही एक नई दुनिया की सैर पे निकल पड़े।


#SwetaBarnwal 

Thursday 8 March 2018

महिला दिवस

चाहे मत दो हमे महिला दिवस की बधाइयाँ, 
मत खिलाओ हमे शब्दों की इतनी मिठाइयाँ, 
आदत नहीं है हमे ऐसे सम्मान की, 
सहते आ रहे हैं हम सदियों से अपमान,
चाहे मत दो हमे महिला दिवस की बधाइयाँ... 
आज खुब बधाई दोगे हमे,
कल जी भर फ़िर नोचोगे,
हम पर फब्तियां कसोगे,
हमारे कपड़ों में झांकोगे
हमारे अंगों को नापोगे
हम पर तुम कीचड़ भी उछालोगे
चाहे मत दो हमे महिला दिवस की बधाइयाँ... 
कल फ़िर किसी की अस्मिता को लूटोगे
कल फ़िर किसी कली को मसलोगे,
कल फ़िर तेरी कामुकता जागेगी,
कल फिर कोई नारी तेरी हवस मे मिट जायेगी
तब कोई नहीं रोकेगा तुझको, 
कोई नहीं टोकेगा तुझको
चाहे मत दो हमे महिला दिवस की बधाइयाँ...
कल फ़िर कोई बहु जला दी  जाएगी,
कल फ़िर कोई बेटी कोख में मार दी जाएगी,
किसी लड़की की अस्वीकृति पे तेज़ाब तुम उड़ेलोगे,
शराब के नशे में अपनी बीवी को पीटोगे 
रास्ते पर लड़कियों का चलना दुश्वार करोगे, 
क्या जीवन भर ऐसे ही तुम प्यार करोगे, 
चाहे मत दो हमे महिला दिवस की बधाइयाँ...
गर देना चाहो तो हर दिन का सम्मान दो, 
नहीं किसी एक दिन का ये मोहताज़ हो, 
कोई अपनी हो या हो नार पराई
कोई भेद ना समझो तुम, सबमे देवी समाई
जो कर सको तुम इतना सा काम
धरती हो जाए ख़ुद प्रभु का धाम
बस तभी देना हमे महिला दिवस की बधाईयां... 



#SwetaBarnwal 

भोलवा...

(एक कथा) 


भोलवा अरे भोलवा कहाँ मर गया तू...! 
भोलवा, जब से होश संभाला था सब इसी नाम से बुलाते थे उसे। कौन था वो, कहाँ से आया था, उसके मां-बाप कौन थे, कोई नहीं जानता था। भोलवा ने भी इस गाँव को ही अपना घर और यहां के लोगों को अपना परिवार मान लिया था। जब जिसे काम होता वो भोलवा को आवाज़ लगाता और वो भी बड़े अपनाइयत से सबके काम कर देता। बदले में उसे सबसे मेहनताने के तौर पर कुछ ना कुछ मिल जाता था, जिससे उसके अकेले की ज़िन्दगी मजे मे गुज़र रही थी।

वो भी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था, उसके अरमानों को भी पंख लग रहे थे। बड़ी ख्वाहिश थी उसकी कि, उसका भी कोई अपना हो, घर हो, परिवार हो। पर अगले ही पल वो अपने ख्यालों को झटक देता। उसे लगता था कि उसे सपने देखने का कोई हक़ नहीं। अब तक की ज़िन्दगी उसकी गाँव के चौपाल पर ही कटी थी। एक दिन उसने गाँव के बाहर खाली पड़ी एक ज़मीन पर अपनी छोटी सी झोपड़ी बना ली। शायद ये उसके सपनों की पहली उड़ान थी, जिसमे उसने रंग भरने शुरू कर दिए थे। 

एक दिन गाँव के बच्चों को विद्यालय, जो कि गाँव से दूर था, पहुंचा कर लौट रहा था। अचानक उसने देखा कि एक पागल सी लड़की को कुछ लड़के अपने उन्माद और शराब के नशे में छेड़ रहे थे। उस लड़की के अंगवस्त्र फटे हुए थे। वो साधारण सी दिखने वाली एक पागल लड़की मे पता नहीं उन लड़कों को क्या नज़र आया कि वे अपनी हवस की भूख मिटाने उसे नोचने लगे। भोलवा ने एक क्षण भी गंवाए बिना उन लड़कों की जम के धुलाई की। लड़की बिलकुल सहम सी गई थी। भोलवा को देखते ही वो उसे लिपट कर फुट-फुट कर रोने लगी। शायद ज़िन्दगी में पहली बार कोई फरिश्ता मिला उसे, वरना इससे पहले सबने उस पर गंदी नज़र ही डाली थी।

भोलवा उसे अपने साथ अपनी झोपड़ी ले आया। उसका ख़्याल रखा, उसे संभाला, दिलासा दिलाया उसकी सुरक्षा का। धीरे-धीरे वो सामान्य होने लगी। उसे अपना नाम और परिवार तो याद नहीं था पर लोग उसे फुलवा नाम से बुलाते थे। फुलवा भी एक अनाथ थी उसे भोलवा के रुप मे एक सच्चा रहबर मिला। पर ये जालिम दुनिया जो एक जवान लड़के और लड़की के साथ को ग़लत नज़र से देखती है। ऐसा ही कुछ भोलवा के साथ हुआ। गाँव वाले उस पर दबाव बनाने लगे कि उस लड़की को घर से बाहर निकालो। ना जाने किस किस घाट का पानी पिया होगा उसने। हमारी बेटियों पर ग़लत प्रभाव पड़ सकता है इसका। भोलवा समझ नहीं पाते रहा था कि आख़िर इसमे फुलवा की क्या गलती जो लोग उसके साथ अभद्रता कर रहे हैं।

पूरी रात भोलवा यूँ ही बैठा, सोंचता रहा। फुलवा से उसकी परेशानी देखी नहीं गई। वो उसके पास आई और कहने लगी, तुमने मेरी बड़ी मदद की, तुम एक नेक दिल इंसान हो, मेरी वजह से अपनी ज़िन्दगी मत बर्बाद करो। मैं रात के अंधेरे में ग़ायब हो जाती हूँ। कल से सब ठीक हो जाएगा। ये कह वो जाने लगी। भोलवा ने उसका हाथ पकड़ा और बोला गर तुम मुझे ग़लत ना समझो तो एक बात पूछूं। फुलवा ने स्वीकृति मे सर हिलाया।
"क्या तुम मेरी जीवनसंगनी बनोगी" और भोल्वा ने उसके सामने हाथ जोड़ लिए। इसे तुम मेरी हमदर्दी या कोई मजबूरी ना समझना। बस तुम्हारी मासूमियत मेरे दिल को छू गई। फुलवा को तो जैसे बिन मांगे मुराद मिल गई।
वो लिपट कर भोलवा से आज खुब रोना चाहती थी। उसने आज एक खुलासा किया कि वो कोई पागल नहीं है बल्कि इस जालिम दुनिया से ख़ुद को और अपनी अस्मिता को बचाए रखने की एक कोशिश थी।

अगले दिन दोनों ने मंदिर में जा कर साधारण तरीके से शादी कर ली। अब तो गाँव वालों को भी कोई दिक्कत नहीं थी। अपितु सबने भोलवा की शादी में खुब मजे किए और सबने वर-वधु को ढेर सारी शुभकामनाएं दीं। सारे गाँव वालों ने मिलकर घर के आवश्यक सामनों को भी इकट्ठा किया और एक नव दंपत्ति की पूरे जोश के साथ स्वागत किया। इस तरह से एक प्यारा रिश्ता अपने अंज़ाम को पहुंचता है....



#SwetaBarnwal 

ग़ज़ल 



मैं चलता रहा मंज़िल की तलाश में, 
मंज़िल मिली भी तो कब, मेरे आख़री प्रयास में... 

चाहता तो रुक सकता था मैं भी, 
पर मंज़िल की प्यास कब रुकने देती मुझे... 

अनवरत अथक चलती रही अनजाने पथ पे,
जो मंज़िल मिली तो सुकून मिल गया मुझे...

मंज़िल पाने की ऐसी तलब लगी मुझको, 
ना दिन का चैन देखा ना रातों को होश आया... 

ऐ साकी...! गर हो कुछ पाने की ख्वाहिश दिल में,
रख इरादे मज़बूत और दिल मे कुछ कर गुज़रने का अरमान...

#SwetaBarnwal 

वैधव्‍य...! क्या एक अभिशाप


अभी रागिनी के हाथों की मेहंदी और पैरों के महवार भी नहीं छूटे थे कि सरहद से एक दिल दहलाने वाली खबर आई। उनके पति सरहद की जंग में शहीद हो गए। जिन आँखों ने अभी सुरमई सपने देखने शुरू ही किए थे उन आँखों के आगे अंधेरा सा छा गया। वो गिर कर बिखरने ही वाली थी कि रागिनी के देवर ने उसे संभाल लिया. पूरा परिवार शोक मे डूब चुका था।
जैसे तैसे कुछ दिन बीत गए। घर में लोगों की गहमागहमी कम हुई।पति के काम क्रिया समाप्त होने तक  रागिनी तो जैसे सूख कर काँटा हो गई थी। पति के जाने के बाद वो हंसना गुनगुनाना भी जैसे भूल चुकी थी। एक चंचल सी शोख लड़की गुमनामी के अंधेरे में जैसे खो सी गई थी। 
छोटे जगह मे लोगों की संकुचित सोंच का रागिनी को अक्सर सामना करना पड़ रहा था। आए दिन लोगों के ताने से उसने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। रागिनी का देवर अभिनव बहुत ही समझदार और सुलझा हुआ इंसान था। वो इस कदर अपनी भाभी को घुट घुट कर रोज मरते देख रहा था। अभिनव बहुत कोशिश करता कि उसकी भाभी ख़ुश रह सके। उसने अपने परिवार वालों के साथ अपनी एक राय रखी जिससे परिवार वालों को तो कोई ऐतराज़ नहीं थी पर गाँव में पंचों की राय बहुत जरूरी थी। 
उम्मीद के अनुसार पंचों में खलबलि सी मच गई। विधवा पुनर्विवाह...! आख़िर कैसे था ये मुमकिन एक पुरुष प्रधान समाज में, जिसमें एक पुरुष एक पत्नी के होते हुए दूसरी शादी की इज़ाज़त देता है वहीं औरतों को ताउम्र वैधव्य के साथ जीने को मजबूर कर देता है। अभिनव ने पुरजोर पंचों का विरोध किया, उन्हें समझाया कि ये रीति रिवाज, ये रस्में और ये दुनिया समाज सब हम इंसानों के लिए है, हमारी खुशियों के लिए है ना कि हम इंसान इनके लिए हैं।
आख़िर कुछ मशक्कत के बाद सब ने अभिनव की बातों का समर्थन किया और इस रिश्ते को स्वीकृति दे दी। आज अभिनव और रागिनी एक साथ खुशहाल ज़िन्दगी जी रहे हैं। सच मे हम कितने मतलबी और स्वार्थी हो गए हैं। रस्मो-रिवाज़ों को हमने इंसानियत से ऊपर तवज्जोह दे डाली है। हमारी ही छोटी सोच ने हमे ये सोचने पे मजबूर कर दिया कि "वैधव्य...! क्या एक अभिशाप" ।



#SwetaBarnwal


वो बाजीगर 


कल की कोई सुध नहीं, 
हमने बरसों की मन में ठानी है, 
क्या-क्या राज़ छुपे हैं, 
जाने क्या कल की कहानी है, 
कुछ खुशियाँ हैं कुछ ग़म के 
बीती रात पुरानी है, 
सपनों के ताने बाने हैं, 
कई खट्टे मीठे अफसाने हैं, 
कुछ टूट गए कुछ छूट गए, 
रह गए यादों के फसाने हैं, 
जितनी भी तू कोशिश कर ले,
दामन में तारे भरने की,
होगा वो ही जो वो चाहेगा,
जाने वो क्या मन में ठाने है,
ऊपर बैठा है वो बाजीगर, 
ना जाने क्या करतब दिखाने हैं,
अगले पल की भी खबर नहीं, 
फ़िर क्यूँ पापों की गठरी बांधे हैं... 

#SwetaBarnwal 
ऐ ज़िन्दगी..! 
हर वक़्त मुझे 
यूँ आजमाया ना कर... 
दे कर हर घड़ी 
नए नए जख्म 
यूँ हर बार तड़पया ना कर... 
ले ले एक ही बार में 
सारे इम्तेहान तू 
कि इस कदर तू रुलाया ना कर... 
कभी तो आ दो पल बैठ 
हंस कर मिल मुझसे 
कभी तो मुझे तू हंसाया भी कर... 

#SwetaBarnwal 

बस एक दिन मे ना बांधों तुम,
नारी के सम्मान को,
गर दे सकते हो तो दे दो पंख,
उनके स्वाभिमान को...

#SwetaBarnwal

महिला दिवस...

आओ..महिला दिवस मनाएँ
कुरेद कुरेद कर उनके ज़ख्मों को
भर भर कर उसमे नमक लगाएँ
कल तक जिसके हुस्न, अंग 
और बलात्कार पर लिखते थे
आज उसे माँ और देवी बताकर
उसकी महानता का गुणगान गाते हैं...

फिर कल से शुरू हो जाएगी
अपनी वही दिनचर्या,
फब्तियां कसना, सरे बाज़ार
उनपर kichad उछालना,
अपनी गंदी नज़रों से उनको ताड़ना,
अनचाहे छुअन से शर्मसार करना,
हाए, कैसी है ये रित दुनिया की,
क्यूँ ऐसे दिन दिखलाए, 
एक दिन के लिए है जो वन्दनीय
फ़िर ३६४ दिन क्यूँ रहे निन्दनीय...

#SwetaBarnwal

Wednesday 7 March 2018

गर हौसला हो सीने में,
फिर क्या मुश्किल हो जीने मे...

#SwetaBarnwal 
दिल से बड़ा कोई श्मशान नहीं,
यहां दफन हैं हज़ारों अरमान और ख्वाहिशें....

#SwetaBarnwal 

मेरा मायका मेरा घर

मेरा मायका मेरा घर 



मेरा मायका मेरा घर 
जिसमे कभी जान थी, 
अब हो गया वो बेजान, 
रह गया बन कर सिर्फ़ मकान, 
पापा तुम क्या गए, 
हो गया सब कुछ विरान, 
अब घर घर नहीं लगता, 
बन के रह गया एक बियावान, 
जहाँ बस्ती है आपकी यादें, 
साथ बिताए हर पल हर खुशी, 
याद आती है आपकी हँसी,
आपके बिना हो गया सुनसान,
बन कर रह गया वो एक श्मशान,
बिता था उसमे अपना बचपन,
वो मस्ती, वो अटखेलियां, वो अल्हड़पन, 
मोहब्बत की झिलमिलाती रौशनी में
बिता था अपना आधा जीवन,
आप जो चले गए छोड़,
दिवाली होली हो गई सब रंगहीन...
पापा तुम क्या गए, 
हो गया सब कुछ विरान, 
अब घर घर नहीं लगता, 
बन के रह गया एक बियावान...

#SwetaBarnwal 

Thursday 1 March 2018

सपनों के पौधों मे अरमानों की बारिश हो,
जो साथ हो दोस्तों की तो फ़िर क्या ख्वाइश हो...

#SwetaBarnwal

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...