Saturday 30 November 2019

मेरा दामाद लाखों मे एक...

नई नवेली दुल्हन आशा अपने दिल में कई सारे अरमान लिए अपने पति संग ससुराल की दहलीज पे पांव रखी. ससुराल में सास, ससुर, ननद और देवर और खुब प्यार करने वाले पति, बस एक प्यारा सा परिवार. पति पत्नी दोनों ही प्राइवेट फर्म मे काम करते थे. सुबह उठते ही घर के कामों को जल्दी जल्दी निपटा कर सभी के नाश्ते और खाने का प्रबंध कर पति के साथ दफ्तर के लिए निकल जाती. पूरे दिन के भाग दौड़ के बाद आशा काफी थक सी जाती थी. घर आने के बाद किसी और काम की हिम्मत नहीं बचती थी उसमें. बावजूद घर में सबका ख्याल रखती थी. घर के कामों में सिवाय उसके पति राजेश के किसी और ने ना उसकी मदद करनी चाही और ना ही आशा ने किसी से कभी कुछ कहा.
अपने माँ पापा की लाडली और पढ़ाई मे व्यस्त रहने के कारण घर के कामों में कोई खास रुचि नहीं थी उसकी और ना ही कोई भार था उसपे. और यहां ससुराल आते ही घर की सारी जिम्मेवारी उसके सर आ गई. सास को अपने वो फूटी आंख ना सुहाती, वज़ह उनके बेटे राजेश का रसोई और घर के अन्य कामों में आशा का हाथ बटाना. आशा खुद एक working lady होने की वज़ह से कई बार चाहा कि घर में कोई maid रख ले, पर सास ससुर ने इसकी अनुमति नहीं दी. राजेश को भी अपनी माँ की खरी खोटी सुननी पड़ती थी. अपनी माँ का दुलारा बेटा आज नाकारा बेटा साबित हो रहा था. धीरे धीरे घर का माहौल बिगड़ने लगा. आशा के सारे सपनों पे जैसे पानी फिर गया. अचानक घर में एक नई खुशी का आगमन हुआ. आशा माँ बनने वाली थी, सारे बहुत खुश थे. लेकिन इस खुशी के साथ कई परेशानियां भी साथ आ गई. आशा के स्वास्थ्य पे असर पड़ने लगा. सबकी खुशी देख आशा ने एक बार फिर अपनी बात सबके सामने रखी कि घर में एक maid रख ली जाए. मगर इस बार भी वही हुआ, उसकी बात को सास ने मानने से इंकार कर दिया. आशा ने किसी तरह से ये दिन भी गुज़ार लिए.
फिर वो दिन आ गया जिस दिन का सबको बेसब्री से इंतजार था. आशा बहुत जि़द करके अपने मायके चली गई और वहां उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. यहां वो पुरसुकुन से रह रही थी, मगर कितने दिन. आख़िर वो दिन भी आ गया जब उसे ससुराल जाना था. मायके में तो माँ पापा ने उसे सर पर बिठा रखा था. मगर ससुराल जाते ही फिर से वही भाग दौड़ की जिंदगी.
दिन गुज़रते गए और एक दिन उसकी ननद ब्याह कर अपने ससुराल चली गई. सभी बहुत खुश थे. दिन जैसे पंख लगा कर उड़ रहे थे. आशा का बेटा अब 1 साल को होने को था. उसके पहले जन्मदिन पर ननद अपने मायके आई. आशा की सासु माँ की ख़ुशी का ठिकाना ना था. आख़िर ख़ुश क्यूँ ना होती, उनके दामाद ने घर में दो maid रख दिया था, घर के छोटे मोटे कामों में हाथ बंटाते, हर weekend पे outing पे ले जाते, साथ वक्त बिताते, उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते, उनकी बेटी को उसकी सासु माँ ने पलकों पर बिठाया था.
आशा की सासु माँ अपने पड़ोसियों से ये कहते नहीं थक रही थी आज
"मेरा दामाद लाखों मे एक..."
और आशा अपने आंचल से आँखों को पोंछ बेटे के जन्मदिन की तैयारी में लग गई...


*जिस मापदंड पे दामाद लाखों मे एक हो गया आख़िर उसी मापदंड पे बेटा नाकारा कैसे हो गया. ये दोहरा मापदंड आख़िर क्यूँ... 😢
आख़िर बहु और बेटी मे ऐसा फर्क़ क्यूँ... 🙁
#SwetaBarnwal 

Saturday 23 November 2019

जिंदगी की किताब...

आज पलट कर देखा जो जिंदगी की किताब को,
तेरे साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आ गया,

याद आई तेरी वो बातेँ तुझसे हर मुलाकातें,
दिल से दिल जुड़ा था हमारा,
प्यार जहां से जुदा था हमारा,
मुश्किल था बहुत एक दूजे के बिन जी पाना,
ख्यालों में था हमारा आना जाना,
तेरे ही ख्वाबों मे गुज़रती थी रातें हमारी,

आज पलट कर देखा जो जिंदगी की किताब को,
तेरे साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आ गया,

वो छोटी छोटी बातों मे रूठना मनाना,
वो एक दूसरे के सीने से लग हर ग़म भूल जाना,
हमारी हर चाहत बस एक दूसरे का साथ चाहती थी,
खुशियाँ एक दूसरे का बेपनाह चाहती थी,
एक दूसरे की झलक से दिल को सुकून मिलता था,
बिन कहे दिल के हर जज़्बात समझ लेते थे,

आज पलट कर देखा जो जिंदगी की किताब को,
तेरे साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आ गया...

ना जाने फिर कैसा मोड़ आया जिंदगी में,
जो दिल के सबसे करीब था
वो ही हाथों की लकीरों मे ना था,
किसी को खूबियों से प्यार होगा,
हमें तो खामियों से भी प्यार था,
फिर भी ना जाने क्यूँ क़िस्मत पे ऐतबार ना था,
जो दिल के करीब था वही नजरों से दूर हो गया,

आज पलट कर देखा जो जिंदगी की किताब को,
तेरे साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आ गया...

#SwetaBarnwal
कटा हुआ पेड़ कभी छांव नहीं देता है ,
हद से ज्यादा उम्मीद घाव ही देता है...

#SwetaBarnwal 

Friday 22 November 2019

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

देखते ही देखते मैं इतनी बड़ी हो गई,
छूटा बचपन, घर आंगन और सखियां,
छूटे गली मोहल्ले और खेल खिलौने,
छूटा मां का आंचल और बाबा की घुड़की
छूट गया वो छोटे भाई बहन का प्यार,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

छूटा वो गुड्डे गुड़ियों का ब्याह रचाना,
छूट गई वो हंसी ठिठोली,
वो संगी साथी, वो दोस्तों की टोली,
वो खुल कर हंसना और जोर से रोना,
खो गई वो मस्ती वो बचपन की मासूमियत,
बेवजह रोना और रूठना मनाना

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

खेल कूद और भाग दौड़ को भूल
काम काज में मैं दक्ष हो गई
बेतरतीब और लापरवाह सी लड़की
आज चाल ढाल में परिपूर्ण हो गई,
संस्कारों की जैसे लड़ी हो गई,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

बेरुखी सी गुमसुम और मुरझाई सी,
रिश्तों और जिम्मेवारियों के बोझ तले,
अपने ही सपनों का गला घोंटते,
जीवन पतंग की अनदेखी सी डोर हो गई,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

मैं मिट्टी की मूरत सी एक बेजान सूरत सी,
किसी और के हाथों की कठपुतली सी,
दूसरे के घर की इज्ज़त उनका मान हो गई,
मैं पिंजरे में कैद ख़ुद से ही अनजान हो गई,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

अपनों से दूर अपने आप से ज़ुदा
ना जाने कब मैं सबके लिए पराई हो गई,
चहकना भूल गई, खिलखिलाना भूल गई,
पिंजरे मे कैद एक मैना सी
ना जाने क्यूँ दूर गगन मे उड़ना भूल गई,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

जिंदादिली से जिया करते थे हम भी कभी,
धुंधली सी ख्वाबों की दुनिया थी हमारी भी,
आज तो बस जिंदा है जिंदगी खो गई है,
ना जाने क्यों हमारी हर ख़ुशी खो गई है,

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

दिल करता है तोड़ के सारे बंधन
गिरा दूँ सारे रस्मों रिवाज की दीवार
खिलखिला कर हंसुं, उड़ुं आसमान में,
अपने अरमानों की दुनिया मैं फिर से सजाउं,
फिर से बन जाऊँ मैं बेपरवाह, मदमस्त सी,
फिर से जी लूँ अपनी मर्जी की जिंदगी,
काश! कोई लौटा दे मुझे मेरे हिस्से की ख़ुशी,
ना जाने क्यों मैं इतनी बड़ी हो गई....

ना जाने कब मैं इतनी बड़ी हो गई...

#SwetaBarnwal

Wednesday 20 November 2019

लड़ाई...

आखिर किस बात की है लड़ाई,
किसी को कोई खबर नहीं,
फिर भी लड़ सभी रहे हैं यहां,
कोई ख़ुद से लड़ रहा है,
कोई ख़ुद के लिए लड़ रहा है,
कोई अपने लिए कोई अपनों के लिए
और कोई अपने आप से लड़ रहा है,
कोई अपने वजूद के लिए लड़ रहा है,
कोई अपने रोग से लड़ रहा है,
कोई अपनी सोच से लड़ रहा है,
कोई बंदिशों से लड़ रहा है,
कोई कुत्सित विचारों से लड़ रहा है,
कोई देश के लिए लड़ रहा है,
कोई देश के अंदर लड़ रहा है
कोई सरहद पर लड़ रहा है,
कोई पहचान बनाने के लिए लड़ रहा है,
कोई हाथ से लड़ रहा है,
तो कोई हथियार से लड़ रहा है,
कोई अपनी ज़िन्दगी से लड़ रहा है,
तो कोई मौत से लड़ रहा है,
किसी को कोई खबर नहीं,
फिर भी लड़ सभी रहे हैं यहां,


#SwetaBarnwal


Tuesday 19 November 2019

अधूरी कविता...

वो अक़्सर हमसे कहते हैं
बड़ा दर्द झलकता है
तुम्हारी कविता में,
लगता है बड़ा अधूरा सा,
कुछ खाली खाली सा,
कुछ सूना सूना सा
कुछ दबा दबा सा,
कुछ अनकहा अनसुना सा,

सच ही तो कहा है
झलकता है उसमे मेरा वजूद,
कुछ अधूरी सी मुस्कुराहट,
कुछ खोखली सी हंसी,
कई अधूरे से ख्वाब,
कहीं टूटे हुए जज़्बात,
तकिए में गुम हुए आंसुओं की धार
चादर में लिपटी हुई ख़ामोश सिसकियां,
कुछ अनकहे एहसासों के पुलिंदे
कुछ बिखरे बिखरे से हालात,

गर ज़िन्दगी कहानियों सी खूबसरत होती,
तो शायद ही काविताओं में किसी की रुचि होती...

#SwetaBarnwal


Monday 18 November 2019

मेरे अधूरे सपने...

इन आंखों ने भी सजाए थे कई सपने,
कुछ पूरे हुए तो कुछ टूट गए
कुछ बेवजह ही मुझसे रूठ गए,
कुछ जीने नहीं देते और कुछ मरने नहीं देते,
मेरे अधूरे सपने...
कुछ अश्कों में बह कर चले गए,
कुछ भोर होते ही निकल लिए,
कुछ सांसों के साथ जुड़े बैठे हैं,
कुछ से जंग अभी भी जारी है,
मेरे अधूरे सपने...
अधूरे सपनों पे मैंने अपनी इमारत खड़ी की है,
भाग दौड़ की ज़िन्दगी में वक़्त से रेस लगाई है,
हार हमने भी मानी नहीं, ज़िद हमने छोड़ी नहीं,
जब तक सांस है आस की डोर हमने तोड़ी नहीं
मेरे अधूरे सपने...
कुछ बालपन में देखे थे,
कुछ जीवन पग पे सजाए थे,
कुछ याद हमेशा आते हैं,
कुछ भूले नहीं भुलाए जाते हैं,
मेरे अधूरे सपने...
कुछ अधूरे ख्वाब मन में ऐसे बैठ गए
जाने कब ये बोझ बन कर रह गए,
ज़िन्दगी की पटरी और अधूरे ख्वाबों की गठरी,
सताते हैं मुझे और बताते हैं इंसान की मजबूरियां,
मेरे अधूरे सपने...

#SwetaBarnwal

I am a girl...

Because I am a girl...

I want to live on my principles,
Wanna fly in the open air,
Where there is no wall of ritual-customs,
Whatever I do, there is no restrictions,
Is it possible,
May be not,

Because I am a girl...

Everyone's eyes on me,
This people- society keeps an eye on my every move,
I wish too
Touch the height of sky,
Dives in the ocean of dream,
But My dreams, my desirs all die inside of me
I just have to stay with in a limit,

Because I am a girl...

My mother often tells me,
You are a girl, you have a boundary,
Never do such a thing which will embarrassed us.
She never says such lines to my brother

Because I am a girl...

I have to accept everything from mother,
I just have to live in the dignity of our society,
I can't go away from this

Because I am a girl...

#SwetaBarnwal

Sunday 17 November 2019

ये ज़िन्दगी...

ना जाने किस ओर जा रही है ये ज़िन्दगी,
हमारी हो कर हमसे ही मुंह मोड़ रही है ये ज़िन्दगी,
ना जाने कितने ही सपने सजाए थे इन आंखों ने,
आंखों से बस लहु बहा रही है ये ज़िन्दगी,
चाहूं मैं कुछ और रुख कोई और ले रही है ज़िन्दगी,
ना जाने कैसे कैसे खेल खेल रही है ये ज़िन्दगी,
कभी रो रही है कभी रुला रही है ये ज़िन्दगी,
बेबस कर हमें मुस्कुरा रही है ये ज़िन्दगी,
एक हल्की सी मुस्कान के लिए तरसा रही है ये ज़िन्दगी,
अजीब सी कश्मकश में उलझी हुई है ये ज़िन्दगी,
गमों के मझधार में अटकी पड़ी है ये ज़िन्दगी,
भुला कर मेरा वजूद मुंह मोड़ रही है ये ज़िन्दगी,
ख़ुद से ही बेज़ार हो रही है ये ज़िन्दगी,
वक़्त के हाथों से फिसलकर ये लम्हें छूट रहे हैं,
अश्रु की ये धारा हर उम्मीद धो रहे हैं,
दिल के एहसासों को झुलसा रही है ये ज़िन्दगी,
मोहब्बत के धागों को ना जाने क्यूं उलझा रही है ये ज़िन्दगी,
वक़्त के आगे खिलौना बन कर रह गई है ये ज़िन्दगी,
जो कभी मेरी थी आज अनजान बन कर रह गई ये ज़िन्दगी,
आज फिर से एक बार सहम सी गई है ये ज़िन्दगी,
ना जाने अब तक किस वहम में गुजर रही थी ये ज़िन्दगी,
टूट कर रह गया है हर डोर विश्वास का,
ना जाने किस के सहारे गुज़र रही है ये ज़िन्दगी,
मेरी हो कर मुझसे ही दगा कर रही है ये ज़िन्दगी,
बस कुरुक्षेत्र बन कर रह गई है ये ज़िन्दगी,
हर मोड़ पर दम तोड़ रही है ये ज़िन्दगी...


#SwetaBarnwal


हे प्रभु..! 
तूने ये कैसी रित बनाई है
बेटी हो या बहू, 
हर रूप में लड़कियां पराई है...

#SwetaBarnwal

वो शख्स...

मेरी हंसी के पीछे के हर दर्द को
वो पहचान जाता है,
वो शख्स मुझे कितना समझता है
जो हर मर्म को जान जाता है
कहते नहीं है कुछ भी लब मेरे
और एक वो है जो बिन कहे भी
सबकुछ जान जाता है
जो छुपा रखा है ख़ुद से भी मैंने
उन बातों को भी वो जान जाता है
मेरे मुस्कान के पीछे छुपे
आंसुओं को पहचान जाता है
वो शख्स हर हाल में
मेरी उदासी के सबब को जान जाता है
दिल की आरज़ू है वो मेरी
या फिर है वो मेरा हम साया
हर बार मुझसे पहले ही वो
मेरे जज़्बातों को थाम लेता है...


#SwetaBarnwal

Saturday 16 November 2019

मोहब्बत अगर चूड़ी है तो उसे टूट जाने दो,
एक बार हाथों में उसे खनक जाने दो...
दो पल के लिए सही भर जाने दो रंग जीवन में,
फ़िर चाहे तो इसे टूट कर बिखर जाने दो...

#SwetaBarnwal

Friday 15 November 2019

आत्महत्या...

बड़ी आसानी से जिस ज़िन्दगी को तुम एक पल में गंवा बैठते हो,
कभी सोचा है उस जीवन को लाने में एक मां को नौ महीने लगते हैं,
अपने खून को जलाती है अपने दूध से वो सिंचती है,
ना जाने किस दर्द से वो गुजरती है तब जाकर उसमे वो जान भरती है,
बड़ी ही जतन से एक पिता ने पाला था जिसे उसे एक पल में गंवा देते हो,
ना जाने किस बात का मलाल रहा होगा दिल में,
ना जाने कैसे कैसे सवाल दिए होंगे उसको ज़िन्दगी ने,
ऐसे भी क्या हालात थे, ना जाने कैसे कैसे जज़्बात थे,
क्यूं ऐसा कदम उठा गया वो, क्यूं अपनों को भुला गया वो,
क्यूं एक बार भी उसका नहीं सोचा जिसने उसके लिए अपना सब कुछ गंवाया,
ऐसी भी क्या मजबूरी थी, क्यूं आत्महत्या इतनी जरूरी थी,
क्यूं वो अपना दर्द किसी से कह ना पाया, क्यूं जीवन को दांव पर लगा बैठा,
माना ऊंची नीची राह है ज़िन्दगी की,आसान नहीं था पार उतरना,
पर क्या मौत इतनी आसान लगी जो याद आया ना कोई चेहरा,
एक बार जरा तुम रुक जाते कुछ अपनी कहते कुछ औरो की सुनते,
कोई मुश्किल इतनी बड़ी नहीं जिसका मिलता कोई समाधान नहीं,
बस एक बार हाथ तुम बढ़ा जाते ज़िन्दगी को गले से लगा जाते,
#आत्महत्या का फ़िर ख़्याल ना आता जीवन से मोह जगा जाता...
बस एक बार अगर जो सोचा होता क्या होगा तेरे जाने से,
क्या गुजरेगी तेरे मां बाप पर, क्या होगा तेरे सगे संबंधों का,
प्रियजनों को रोते छोड़ गया तू सब से रिश्ते तोड़ गया तू,
नादान कहूं तुझे या फिर शैतान कहूं, पर जो भी था किसी की संतान था तू,


#SwetaBarnwal
Char char betiyan jis ghar me hansi khel kar aadhi zindgi bita gai,

Usi ghar me bahu ek din ke liye bhi sukun ki ek sans le na saki....

Bitter but true...😧😢

Tuesday 12 November 2019

कविता...,

Bahut kuchh kah jati hai ye kavita,
Hal is dil ka suna jati hai ye kavita,
Kah na sako jo koi bat tum kisi se
Vo darda bhi bayan kar jati h kavita,
Shabdon se mile jo shabda ban jati hai ye kavita,
Apna ho ya paraya sabke dil ko chhu jati hai ye kavita,
Kabhi khushiyon ke pal to kabhi gam ke aansu piroti h kavita,
Man ke har halat ko sanjo jati hai ye kavita,
Padhe jo koi to har dil ko lubha jati hai ye kavita,
Padhne valon ke dil me kai sawal jagati hai ye kavita,
Gar jo koi puche hal-e-dil to kah do ki hai bas ye ek kavita...

#SwetaBarnwal
जीने की एक वजह मिलती नहीं,
कि ज़िन्दगी हज़ारों गम दे जाती है..।

#SwetaBarnwal

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...