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तेरा यूँ हर बात पे तंज करना अच्छा नहीं होता,
पत्नी हूँ मैं तुम्हारी, जन्मों का नाता है मेरा तुमसे
मुझ पर तेरा यूँ शक़ करना अच्छा नहीं होता,
छोटी बड़ी बातेँ मिल कर सुलझा सकते हैं,
मर्द हो तुम इस का अहम अच्छा नहीं होता,
दो घड़ी किसी से हंस बोल क्या लिया
क़यामत आ जाती है,
हर बात पे तेरा ये तल्ख़ मिजाज़ अच्छा नहीं होता,
कामकाजी महिला हूँ मैं कई लोगों से मिलना जुलना होता है,
कुछ स्त्री तो कुछ पुरुषों से भी दोस्ती होती है,
बात कर लूं किसी पुरुष से तो चरित्रहीन बन जाती हूँ,
हर बात पे यूँ सवालिया निशान खड़े करना अच्छा नहीं होता,
हज़ारों काम होते हैं, कई जरूरतें होती है,
स्त्री पुरुष के बीच सिर्फ़ शारीरिक बंधन ही हो ये सोचना अच्छा नहीं होता,
मर्यादाओं का ख्याल मुझे भी होता है,
समाज, रिश्ते-नाते, बंधन की परवाह मुझे भी होती है,
हर रिश्ते को यूँ बदनाम करना अच्छा नहीं होता,
कुछ ऐसे भी होते हैं दुनिया में जिनसे अनजाना सा बंधन होता है,
नाम नहीं होता है उसका फिर भी पाक होता है,
सब के हजारों सवाल से बच निकल जाती हूँ,
पर तेरा एक भी सवाल पूछना अच्छा नहीं होता,
चाहूँ तो जवाब तुम्हें भी दे सकती हूँ,
चाहूँ तो कई सवाल मैं भी खड़े कर सकती हूँ,
पर जिससे जन्मों का रिश्ता है, उन पे उंगली उठाना अच्छा नहीं होता,
जिसके साथ पूरी ज़िंदगी चलना है, उनका यूँ लड़खड़ाना अच्छा नहीं होता...
#SwetaBarnwal