Monday 17 June 2019

भरम...

ये किसकी है आहट
ये दिल के दरवाज़े पर कौन है आया
यूँ लगा जैसे साथी कोई भुला याद आया
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है

आज फ़िर हवा वही पुराना गीत सुना गई
कानों में मेरे तेरे नाम की बंशी बजा गई
यूँ लगा जैसे पुरानी कोई छुअन छु गई
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है

सोई आँखों में ख्वाब तेरे ही होते हैं
जागते लम्हों में भी एहसास तेरा होता है
एक तू नहीं आया पर तेरा ख़्याल आ गया
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है

यूँ अभी अभी नज़रों की तपिश छू गई
जैसे हाथों से किसी ने मेरी तस्वीर छू दी
तेरे हर स्पर्श का खुमार अब भी मुझ पर छाया है
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है

संग-ए-दिल पर हमने क्या क्या ना सहे
कभी रोए तो कभी मुफ़्त में बदनाम हुए
बेबसी का हमारे आलम तो देखो
जिसे चाहा उसके हाथों ही बर्बाद हम हुए
इतने पर भी रास ना आया उसे
तन्हाई में आज फ़िर अपने यादों की कसक छोड़ गया
जीने की कोशिश में थे हम कोई मरना सिखा गया
अब तो एक बार बता दो
ये तुम्हीं हो या मुझे कोई भरम हुआ है...


#SwetaBarnwal

Sunday 16 June 2019

करुण पुकार... 😢😢😢

माँ... क्या अब मैं बड़ी हो गई हूँ 



एक शाम यूँ ही बैठे थे हम अपने घर के छत पर
ना जाने कौन सी बेबसी हावी थी हम पर
समाज में पनप रहे शैतानों से अनजान ना थे हम
हर रोज लूटती बेटियों से लहूलुहान था ये मन
तभी अचानक मेरी नन्ही सी गुड़िया दौड़ी आई
थोड़ी सी सहमी हुई और थोड़ी सकुचाई
बड़ी मासूमियत से कहा माँ एक बात बताओगी
या फिर तुम भी सबकी तरह डांट लगाओगी
मैंने बड़े प्यार से उसे गले लगाया और कहा
किसकी इतनी मज़ाल जो मेरी गुड़िया को डांटे
जो भी है तेरे दिल में बेखौफ कह दे
माँ हूँ मैं तेरी जो तेरा हर दर्द बांटे
लंबी सी सांस लेते हुए उसने कहा
माँ... क्या अब मैं बड़ी हो गई हूँ
तुम सबके लिए मुसीबत की छड़ी हो गई हूँ
बात सुनकर उसकी मैं धक से रह गई
जैसे किसी गर्म तवे पर मैं पांव रख गई
वो अपनी ही लौ मे बहती चली गई
जो कुछ भी सुना था उसने वो कहती चली गई
कल बाबा ने डांटा मुझे
कहा किसी से अब कुछ ना लेना तुम
जो कोई लाड़ लड़ाए तो मुह फेर जाना तुम
रोज आइसक्रीम देने वाले काका भी अब गैर हो गए
क्यूंकि बेटी अब तू बड़ी हो गई है
भाई ने भी बहुत डांट लगाई मुझको
कहा अब बड़ी हो गई हो थोड़ा सलीके से रहा कर
फेंक छोटे कपड़े तन पे दुपट्टा रखा कर
क्यूंकि बहना अब तू बड़ी हो गई है
गई जो स्कूल तो टीचर ने भी चपत लगाई
बहुत हो गई चुहलबाजी अब थोड़ा ढंग से रहा कर
छोड़ शैतानियां बस पढ़ाई में अपने मन लगाया कर
बच्ची नहीं कोई अब तू बड़ी हो गई है
रही सही कसर माँ दादी ने पूरी कर दी
कहा छोड़ स्कूल अब घर में रहा कर
घर के कामों में माँ का अपने हाथ बटाया कर
यूँ लड़कों के साथ दोस्ती तेरी अच्छी नहीं
ओ गुड़िया की तु अब कोई बच्ची नहीं
अब तू ही बता ऐ माँ...!
कल तक की सबकी लाडली सबकी छुटकी
आज यूँ कैसे बड़ी हो गई
सबके नज़रों में मैं जैसे गुनाहों की लड़ी हो गई
क्यूँ पल में सबकी नज़रें यूँ फिर गई
ग़लत ना हो कर भी मैं सबकी नज़रों से गिर गई
मेरी सहेली बता रही थी कोई शैतान आता है
कभी गैरों के रूप में तो कभी अपनों के बीच से
नोच कर वो बोटियां हमारी ले जाता है
ऐसी दरिन्दगी को दुनिया बलात्कार का नाम देता है
ऐ माँ..! अब तुम्ही बताओ ये बलात्कार क्या होता है
क्या इसमे हमारी ग़लती होती है
या कर जाते हैं अनजाने में हम कोई अपराध
अगर नहीं तो फ़िर
किसी और की करनी की सज़ा हमे क्यूँ
नज़रें किसी और की खराब और पर्दे हम पर क्यूँ
भौंके कोई और बेड़ियाँ हमारे पांव में क्यूँ
दरिन्दगी दिखाए कोई और आज़ादी हमारी छीने क्यूँ
क्या किसी से चाकलेट लेना गुनाह हो गया
या फिर हमारा बेटी होना एक कलंक हो गया
वो कहती गई आँसू उसके गाल पर लुढ़कते गए
मैं स्तब्ध सी मुकदर्शक बन सुनती रही
हाँ बस सुनती ही रही उसकी हर बात
कोई जवाब नहीं था मेरे पास शायद
क्या आपके पास है... 😢

#SwetaBarnwal



क्यूँ अक्सर अपनों के हाथों ही छले जाते हैं हम
क्यूँ हर बार बेटी होने की सज़ा पाते हैं हम... 😢

#SwetaBarnwal

Wednesday 12 June 2019

सुन ले बेटियाँ...

ओ बेटी सुन लो मेरी बात आज
नही लेना किसी से कुछ भी
चाहे दे कोई चॉकलेट या खिलौना
हो कोई दूर का या फिर अपना
भले ही तू उम्र में छोटी है
पर सीख ले करना फ़र्क
अपनों मे और अपनेपन मे
हर कोई आएगा तेरा अपना बन के
और छिन जाएगा तुझसे हर ख़ुशी
गर कभी हो घर में अकेले
मत खोलना दरवाज़ा किसी के लिए
ना जाने किस वेश में आ जाए शैतान
बिना चाकू लिए कहीं मत जाना
जरूरत पड़े तो उसे चलाना तु
जालिमों की कमी नहीं है संसार में
जाने कब किस मोड़ पर मिल जाए
गलती तेरी हो या किसी और की
कलंक तुझ पर ही लगाएंगे
अनचाहे सवालों से तुझको
दुबारा उसी दर्द का अहसास कराएंगे
क्यूँ घर से अकेली निकली थी
आधी रात कहाँ मुह काला कर रही थी
छोटे कपड़े पहनोगी तो ऐसा होगा ही
लड़कों के साथ दोस्ती थी इसकी
क्या संस्कार दिए थे माँ बाप ने
ऐसी लड़कियों के साथ ऐसा ही होता है
कहाँ से लाओगी जवाब इनका
बेकसूर होते हुए भी गुनाहगार कहलाओगी
आख़िर किस किस को समझाओगी
तुम कितनी बार अग्नि परीक्षा दोगी
सीता माता तो धरती की गोद में समा गई थी
तेरे लिए तो धरती का सीना भी नहीं फटेगा
अब तुझे नहीं डरना होगा अब तुझे नहीं रुकना होगा
अपने स्वाभिमान के लिए दुनिया से लड़ना होगा
अकेले ही तुझको चलना होगा सबको समझाना होगा
बंद करो बेटियों पर पाबंदी लगाना
अब बेटों पर भी लगाम लगाना होगा
आख़िर कब तलक लुटती रहेंगी बेटियाँ
और ये समाज पर्दे डालता रहेगा बेटों के अपराधों पर
अब तो सबको जागना होगा
इस कुरीति को दूर भगाना होगा
कहीं ऐसा ना हो जन्म लेने से इंकार कर दे बेटियाँ
या इंकार कर दे अपनी कोख में रखने से बेटों को...


#SwetaBarnwal








नन्ही सी कली...

अपने बाबुल के बगिया की नन्ही सी कली थी वो
माँ बाबा के दिल का टुकड़ा बड़े ही नाज़ों से पली थी वो
उसकी मासूम सी हंसी देख पत्थर भी पिघल जाता था
देख कर उसकी प्यारी सी अटखेलियाँ
घर वालों का दिन संवर जाता था
अचानक आया एक दिन तूफ़ान कुछ ऐसा
ना बची कोई ख़ुशी ना रहा कुछ पहले जैसा
ना जाने कहाँ से उनके जीवन में आया एक शैतान
उड़ा ले गया वो हर बाप के दिल का सुकून
देख कर जिसकी भोली सूरत प्यार आता था सबको
उसी मासूम पे किसी ने अपनी हैवानियत उतारी
कितना रोई होगी वो किस दर्द से गुज़री होगी
देख कर जिसको इंसानियत भी सकुचाई होगी
सोचो एक बार जरा उसकी माँ कैसे सोई होगी
रूह तक कांप उठती है जब चेहरा उसका सामने आता है
ऐ जालिमों उस नन्ही सी बच्ची मे तुम्हें क्या नज़र आता है
छोटे कपड़ों में देख उसे काम वासना मचलती है जिसकी
तुम्हीं बता दो एक नन्हीं सी जान को माँ साड़ी पहनाती कैसे
क्यूँ नहीं तुम अपनी नज़रों पे एक पर्दा डाल लेते हो
छुप जाएगी जिस दिन तुम्हारी वहसी नज़रें
मुस्कुरा कर जी उठेंगी ये नन्ही सी कली
एक नारी की ही कोख से जन्म लेकर
नारी की अस्मिता को कलंकित करने वाले
अगर अब भी तुम ना सुधरे तो एक दिन ऐसा आएगा
धरा पर मर्द को जन्म देने से पहले भगवान भी घबराएगा.
😢😢😢

#SwetaBarnwal

Sunday 9 June 2019

माँ की सिख...अपनी बेटी के लिए...

मैं अपने माँ होने का पूरा फर्ज़ निभाउंगी
अपनी प्यारी बेटी को मैं फौलाद बनाऊँगी
पड़ी जरूरत अगर कभी तो आंधी से लड़ जाएगी
लक्ष्मी बाई बन कर वो भारत की लाज़ बचाएगी
नहीं बांधुंगी कभी कोई बेड़ी उसके पांव में
एक अलग ही जोश होगा उसके हर ताव मे
करे ना जो सम्मान उसका उसको आँख दिखाएगी
अपनी फूल सी बच्ची को मैं अन्याय से लड़ना सिखाउंगी
कोई जो उसपर हाथ उठाए उसको मरोड़ना सिखाउंगी
अपने और पराये मे उसको फ़र्क करना सिखाउंगी
दहेज के लिए आग में जलते उसे नहीं देख पाऊँगी
पति बस पति है उसे परमेश्वर नहीं बताऊँगी
जीवन के हर मोड़ पर उसका साथ निभाउंगी
किया जो कन्यादान तो उसे भूल नहीं मैं जाऊँगी
करे जो अत्याचार जीवन साथी तो विरोध वो जताएगी
सही को सही और गलत को ग़लत कहना सिखाउंगी
पड़ी जरूरत कभी जो उसे हथियार उठाना सिखाउंगी
सहनशीलता के नाम पर उसे अत्याचार सहना ना सिखाउंगी
नारी है तु ये कहकर उसके अरमानों को ना रौंदुंगी
हर ख्वाब को उसके परवाज़ मैं दूंगी
जिस घर में उसे मान ना मिले ऐसे घर उसे ना ब्याहुंगी
औरत के स्वाभिमान के लिए लड़ना उसे सिखाउंगी
नारी है तु कमजोर नहीं ये बात उसे बतलाऊँगी
उठी नज़र जो नारी की स्मिता पे उसे कुचलना सिखाउंगी
जानती हूँ मैं हो सकता है कुछ ऐसा भी
दुनिया वालों की नज़रों में मैं एक बुरी माँ कहलाउंगी
फ़िर भी हर दुःख दर्द मे मैं उसका साथ निभाउंगी...

#SwetaBarnwal 

Friday 7 June 2019

जल है तो कल है... 💦

जल है तो जीवन का अर्थ है
वर्ना सब कुछ व्यर्थ है
जल से ही सृष्टि है
जल से ही होती वृष्टि है
नहीं बचाया जल को तो
ख़ुद भी हम जल जाएंगे
एक बूंद जल के ख़ातिर
अपनों का लहू बहाएंगे
भीषण नरसंहार होगा
चारों ओर मौत का मंजर होगा
रिश्ते नाते झूठे होंगे
होगी जल की मारामारी
लाखों मे जल बिकेगा
दबंगों की होगी उसपे पहरेदारी
नदी नाले सब सूख रहे
उजड़ रहे हैं वृक्ष और जंगल
मत करो तुम जल की बर्बादी
शून्य हो जाएगी धरा की आबादी
आने वाली पीढ़ी अपनी
प्यासी ही मर जायेगी
कब तक इसकी बर्बादी का
तुम यूँ ही जश्न मनाओगे
लुप्त हो गया एक बार धरा से
फ़िर कभी नहीं ला पाओगे
जल संकट गहराया जो
तुम प्यासे ही मर जाओगे
पड़ी जरूरत उस वक़्त तो
बोलो कहाँ से लाओगे
तेरी लापरवाही से एक दिन
इस दुनिया से जल मिट जाएगा
आने वाला कल भी
बस आज मे सिमट जाएगा
जल के बिना इस दुनिया में
जीवन सबका मुश्किल है
इंसान ही नहीं पशु पौधे और पंछी
सब का जीवन इसमे शामिल है
मान भी जाओ आज मेरी बात
वर्ना हो जाएगा सब कुछ बरबाद
जल है तो कल है
वर्ना सब मुश्किल है...

#SwetaBarnwal







#SwetaBarnwal 

Tuesday 4 June 2019

नानी...

माँ की माँ होती है नानी
बड़ी ही प्यारी बड़ी सयानी
सीने से लगाती है नानी
खुब लाड़ लड़ाती है नानी
माँ की मार से बचाती है
कहानी रोज सुनाती है नानी
दूध मलाई खुब खिलाती है
मीठी लोरी हमे सुनाती है
चेहरे पर इनके रौनक रहती
मुँह में अमृत वाणी है
हर गुण उनमे भरा हुआ
मेरे हिस्से आई वो जैसे
ख़ुदा की कोई मेहरबानी है
जब भी जाते हैं हम घर उनके
जहाँ का प्यार लुटाती वो
बना कर स्वादिष्ट व्यंजन
जी भर कर हमे खिलाती है
संयम, हिम्मत, प्यार और विश्वास
ये सब हमें सिखाती है
अपनी खट्टी मीठी बातों से
हम सबको खुब हंसाती है
हर बात की है समझ उनको
देश दुनिया का है ज्ञान उन्हें
नानी माँ के किस्से और नुस्खे
दुनिया भर में धूम मचाये
घर की वैध,
जड़ी-बूटी की जानकार है नानी
संस्कारों की खान है नानी
हरकतें उनकी है बचकानी
माँ की माँ होती है नानी
बड़ी ही प्यारी बड़ी सयानी


#SwetaBarnwal

Saturday 1 June 2019

जो रिश्ते बारिश की पहली बूंद मे ही धुल जाए
ज़िन्दगी भर ढोने से बेहतर है हम उन्हें भूल जाए...

#SwetaBarnwal 

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...