मैं एक लड़की हूँ....
मैं एक लड़की हूँ,
मेरे कुछ सपने हैं, मेरी कुछ चाहतें हैं,
मैं भी उड़ना चाहती हूँ,
ख्वाहिशों को पूरा करना चाहती हूँ
उन्मुक्त गगन को छुना चाहती हूँ,
चाहती हूँ कोई ना रोके मुझे
ना ही कोई टोके मुझे
पर कहाँ होता है ये मुमकिन
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...
मैं ये नहीं कर सकती, मैं वो नहीं कर सकती
मैं यहां नहीं जा सकती, मैं वहाँ नहीं जा सकती,
कहाँ थी इतनी देर तक, वक़्त का ख्याल है कि नहीं
मत बांधों मुझे इतने बंधनो में
मत कुचलो मेरे परों को, उड़ने दो मुझे भी
क्यूँ मेरे अरमानों को इस कदर तोड़ा जाता है
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...
जिस भी गली से निकलती हूँ मैं,
गंदी निगाहों के घेरे में रहती हूँ मैं
हर वक़्त आँख दिखाते हुए कोई
जीभ लपलपाते हुए पीछा करता रहता है मेरा
सर से पांव तक अपनी नज़रों से नापता रहता है मुझे
कभी अपने कपड़े ठीक करती हूँ तो कभी दुपट्टे को
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...
अनचाही छुअन हर जगह
परेशान करती रहती है मुझे,
कभी बस, ऑटो तो कभी ट्रेन और मेट्रो मे
कभी गली मोहल्ले में तो कभी घर के अंदर भी
कभी अनजानो के बीच
तो कभी-कभी अपनों के बीच भी
डरी और सहमी हुई सी रहती हूँ मैं
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...
खुदा-ना-खास्ता कोई जो अनहोनी हो जाए,
ज़िन्दगी बस हमारी जहन्नुम हो जाए,
हर एक के नज़र मे कुसूरवार हम हो जाए
जरूर छोटे कपड़े पहने होगे इसने,
लड़कों से दोस्ती रही होगी, इसीने लिफ्ट दी होगी,
देर रात तक घर से बाहर होगी, चरित्रहीन होगी...
बिना किसी गलती के हर पल मेरा चिरहरण करते हो
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...
किसी और के गुनाहों की सज़ा मुझे क्यूँ देते हो,
क्यूँ मेरे आवाज़ उठाने पे मुझे बदतमीज कहते हो,
नियत लडकों की खराब होती है और घूँघट हमे देते हो,
क्यूँ तुम हर वक़्त मेरे कपड़ों पे सवाल उठाते हो
क्या मेरे पूरे कपड़े पहनने पे तुम सुरक्षा का वचन दोगे
क्या फिर मेरे ऊपर गंदी नज़रों को तुम रोक सकोगे,
क्या फिर मैं जी सकूंगी अपनी ज़िन्दगी खुल कर,
क्यूँ हर वक़्त मुझे अपनी पाकिज़गी की परीक्षा देनी होती है
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...
#SwetaBarnwal