Wednesday 31 January 2018

*तेरा-मेरा रिश्ता *

*तेरा-मेरा रिश्ता *


मुड़कर देखती हूँ 
तो अक्सर ये सोचती हूँ, 
कितने अलग हैं 
हमारे किस्से, 
तू साथ है 
तो है ये ज़िंदगी, 
कभी गम आया ही नहीं 
हमारे हिस्से... 

अकेली कहाँ थी मैं
कितनी नादान थी, 
खुद को अक्सर 
तन्हा समझती रही, 
अपने रिश्ते को बस 
नाम देती रही, 
तुझे हर गम भुलाने का 
काम देती रही... 

तू मोहब्बत है
दोस्त है, ख़ुदा है, 
तेरा-मेरा रिश्ता 
सबसे ज़ुदा है, 
मैं तो आई थी 
तुझसे अपनी रिहाई मांगने, 
तूने मुझे रोक लिया
दे दिया सबकुछ बिना मांगे.... 

#SwetaBarnwal 

*अच्छा लगा *

*अच्छा लगा *

ना सोचा था किसी से दिल लगाने की कभी,
पर आपका दिल से दिल मिलाना अच्छा लगा...
झूठे होते हैं ये प्यार के वादे करने वाले,
पर आपका ये निश्छल प्रेम अच्छा लगा...

साथ जीने मरने की कसमें खा कर,
सात कदम भी साथ नहीं चल पाते हैं लोग,
पर यूँ बिन किसी वादे के सारी ज़िंदगी, 
आपका साथ निभाना अच्छा लगा...

बन जाता कोई ना कोई हमसफ़र,
हमारे इस ज़िंदगी के सफर का,
पर एक अनजाने मोड़ पर आपका मिलना,
और यूँ ताउम्र साथ चलना अच्छा लगा...

#SwetaBarnwal
(dedicated to my loving husband) 

"अच्छा लगता है "

"अच्छा लगता है "

तेरी बातें अच्छी लगती है, 
तेरी चाहत सच्ची लगती है
तू यार है मेरा,
ये ख्याल अच्छा लगता है,
मैं तुझको चाहूँ बेइन्तेहाँ
तू भी मुझको ही चाहे, ये सोच के अच्छा लगता है...
तुझसे है मेरा जन्मों का नाता,
तेरा साथ मुझको सबसे अच्छा लगता है...
बहुत खूबसूरत लगने लगी है ये ज़िन्दगी,
तेरी हर बात मुझको सच्ची लगती है...
तेरे साथ चलने को तैयार हूँ मैं फ़लक तक,
तेरा साथ होना मुझे अच्छा लगता है...
तेरे खातिर जान भी दे दूँ मैं अपनी,
पर तेरे संग जीना अच्छा लगता है...
यूँ तो तन्हा भी कट जाती ये ज़िन्दगी,
पर तेरा पास होना अच्छा लगता है...

#SwetaBarnwal 

"हद कर दिया"

"हद कर दिया" 

वाह रे जमाना तूने तो हद कर दिया,
ससुराल के आगे मायके को रद कर दिया...

बड़ी नाज़ों से जिसने पाला-पोसा,
आज एक झलक को उसे मोहताज़ कर दिया,
कल के छोकरे को सर का ताज कर दिया,
पति को परमेश्वर और पिता को पराया कर दिया... 

वाह रे जमाना तूने तो हद कर दिया,
ससुराल के आगे मायके को रद कर दिया...

पिता लाचार बेबस बिस्तर पर पड़ा, 
बेटी को देखने को उसका दिल है अड़ा, 
बड़ी विनती की तब बिटिया ने तुझसे, 
पराया होने का तूने उसे अहसास कराया, 
ससुराल और ससुराल वाले ही अब तेरे अपने हैं, 
उसको ये फरमान सुनाया, 
रोती गिड़गिड़ाती रह गई बेटी तुझको तरस ना आया... 

वाह रे जमाना तूने तो हद कर दिया,
ससुराल के आगे मायके को रद कर दिया...

जिसकी कोख में पली वो, 
पल में उसी से बेगाना कर दिया, 
होली, दशहरा, दिवाली सब मे,
तूने उसको रुसवा कर दिया,
वो यादें अतीत की वो मोहब्बत माँ-बाप की,
सबको तूने उसकी ज़िन्दगी से रद कर दिया...

वाह रे जमाना तूने तो हद कर दिया,
ससुराल के आगे मायके को रद कर दिया...

#SwetaBarnwal 
चेहरे पर लगे कई चेहरे हैं यहाँ,
हर चेहरे पे सौ-सौ पहरे हैं यहाँ...
दिल पे लगे घाव गहरे हैं यहाँ,
फिर भी सबके बीच मुस्कुरा के हम ठहरे हैं यहाँ... 

#SwetaBarnwal

Saturday 27 January 2018

कैसी है ये मोहब्बत,
कैसी है ये उल्फत, 
दिलबर साथ हो तो,
जुदाई का डर सताए,
और दूर हो जाए तो,
बेवफ़ाई का गम सताए...

#SwetaBarnwal 
इस कदर वो रूठे एक रोज, 
कि फिर हमसे मनाया ना गया,
आज ख़ुद चल कर आए हैं वो पास
फिर भी उनसे दिल लगाया ना गया...

#SwetaBarnwal 
नाहक ही कोसते हैं लोग मैखाने को, 
बेगानापन तो अक्सर महफिल मे मिला करता है... 

#SwetaBarnwal 

Friday 26 January 2018

समझदार सिर्फ जिम्मेवारीयां उठाते मिले,
ज़िन्दगी का मज़ा तो नादानों ने लिया...

#SwetaBarnwal 

Wednesday 24 January 2018

मैं एक लड़की हूँ....

मैं एक लड़की हूँ....

मैं एक लड़की हूँ,
मेरे कुछ सपने हैं, मेरी कुछ चाहतें हैं,
मैं भी उड़ना चाहती हूँ,
ख्वाहिशों को पूरा करना चाहती हूँ 
उन्मुक्त गगन को छुना चाहती हूँ,
चाहती हूँ कोई ना रोके मुझे
ना ही कोई टोके मुझे
पर कहाँ होता है ये मुमकिन 
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...

मैं ये नहीं कर सकती, मैं वो नहीं कर सकती
मैं यहां नहीं जा सकती, मैं वहाँ नहीं जा सकती,
कहाँ थी इतनी देर तक, वक़्त का ख्याल है कि नहीं 
मत बांधों मुझे इतने बंधनो में
मत कुचलो मेरे परों को, उड़ने दो मुझे भी 
क्यूँ मेरे अरमानों को इस कदर तोड़ा जाता है 
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...

जिस भी गली से निकलती हूँ मैं, 
गंदी निगाहों के घेरे में रहती हूँ मैं 
हर वक़्त आँख दिखाते हुए कोई 
जीभ लपलपाते हुए पीछा करता रहता है मेरा 
सर से पांव तक अपनी नज़रों से नापता रहता है मुझे
कभी अपने कपड़े ठीक करती हूँ तो कभी दुपट्टे को 
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...

अनचाही छुअन हर जगह 
परेशान करती रहती है मुझे,
कभी बस, ऑटो तो कभी ट्रेन और मेट्रो मे 
कभी गली मोहल्ले में तो कभी घर के अंदर भी 
कभी अनजानो के बीच
तो कभी-कभी अपनों के बीच भी
डरी और सहमी हुई सी रहती हूँ मैं
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...

खुदा-ना-खास्ता कोई जो अनहोनी हो जाए,
ज़िन्दगी बस हमारी जहन्नुम हो जाए,
हर एक के नज़र मे कुसूरवार हम हो जाए
जरूर छोटे कपड़े पहने होगे इसने,
लड़कों से दोस्ती रही होगी, इसीने लिफ्ट दी होगी,
देर रात तक घर से बाहर होगी, चरित्रहीन होगी...
बिना किसी गलती के हर पल मेरा चिरहरण करते हो
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...

किसी और के गुनाहों की सज़ा मुझे क्यूँ देते हो, 
क्यूँ मेरे आवाज़ उठाने पे मुझे बदतमीज कहते हो, 
नियत लडकों की खराब होती है और घूँघट हमे देते हो, 
क्यूँ तुम हर वक़्त मेरे कपड़ों पे सवाल उठाते हो 
क्या मेरे पूरे कपड़े पहनने पे तुम सुरक्षा का वचन दोगे 
क्या फिर मेरे ऊपर गंदी नज़रों को तुम रोक सकोगे, 
क्या फिर मैं जी सकूंगी अपनी ज़िन्दगी खुल कर, 
क्यूँ हर वक़्त मुझे अपनी पाकिज़गी की परीक्षा देनी होती है 
सिर्फ इसलिए कि "मैं एक लड़की हूँ"...

#SwetaBarnwal 

Tuesday 23 January 2018

हमे भूलना भी चाहो तो भूल नहीं पाओगे,
अहसास हमारा दिल से मिटा नहीं पाओगे,
हम तो खुशबु बन सांसों में बस जाते हैं,
दूर होना भी चाहो तो तुम हो नहीं पाओगे...

#SwetaBarnwal 

Monday 22 January 2018

अपने अहसासों को 
हम शब्दों का रूप दे देते हैं, 
आपके दिल को छू जाए, 
इसे अपनी खुशनसीबी समझते हैं... 

#SwetaBarnwal 
भारत  हमको  जान  से  प्यारा  है ,
कितना  प्यारा ये  गुलिस्तां हमारा  है,
ऐसा  अद्भुत  यहां  का  नज़ारा  है ,
इसके कण-कण में बस्ती जीवन धारा है ...

#Sweta Barnwal

Friday 19 January 2018

बड़े मतलब के हैं लोग यहाँ,
तु यारी की बात ना कर,
अपनों को बदलते देखा हमने,
तु गैरों की बात ना कर...

#SwetaBarnwal 
दिल करता है
एक बार फिर से रूठ जाऊँ,
पर जानती हूँ,
कोई मनाने नहीं आएगा...

#SwetaBarnwal 
बहुत दिन हो गए रूठे हुए,
अब कोई मनाने वाला ना रहा...

#SwetaBarnwal 
जय राधाकृष्ण... 

तेरे ही रंग मे रंगी हूँ सांवरिया,
दूजा कोई रंग नहीं,
एक तू ही नज़र आता मुझे,
जब कोई मेरे संग नहीं...

#SwetaBarnwal 

Thursday 18 January 2018

यह सच है कि
आ गई है हमारे बीच कुछ दूरियाँ,
पर यह भी सच है कि
तेरे हिस्से का लम्हां आज भी तन्हा गुज़रता है....

#SwetaBarnwal 
लोग कहते हैं, 
वक़्त किसी के लिए रुकता नहीं है, 
फिर क्यूँ तेरी यादों में, 
मेरा वक़्त थम सा जाता है....

#SwetaBarnwal 
हम दोनों की चाहत में 
बस फ़र्क था इतना, 
उसे वक़्त काटना था 
और मुझे ज़िंदगी.... 

#SwetaBarnwal 
ना उन्होनें दी आवाज़,
ना मैं मुड़ कर देख सकी,
ना जाने कैसा वो वक़्त था,
जिसने हम दोनों को पत्थर बना दिया...

#SwetaBarnwal 
हर कोई अच्छा है इस जमाने में, 
बस बेवफ़ाई तो वक़्त कर गया...
कोई ना होता यूं दूर हमसे, 
पर ये वक़्त ही कोई चाल चल गया...

#SwetaBarnwal 
लोगों की  फितरत भी 
वक़्त और मौसम के जैसी हो गई है,
कब, कैसे और कहाँ बदल जाए,
कोई नहीं जानता है...

#SwetaBarnwal 
हर एक की खुशी के लिए खुद को इतना बदला, 
कि आज आईना सवाल कर बैठा, "कौन हूँ मैं"... 

#SwetaBarnwal 
ख्वाहिशें कुछ और, 
वक़्त के इरादे कुछ और, 
कौन जी सका है भला,
अपनी मर्ज़ी की ज़िंदगी...

#SwetaBarnwal 
एक दिन जमाना मेरी भी कहानी पढ़ेगा,
वक़्त ने आखिर क्या से क्या बना दिया मुझे.... 😢

#SwetaBarnwal 
चलो कुछ देर के लिए फिर से  बच्चे बन जाएं, 
समझदारी मे अक्सर हमने रिश्ते टूटते देखे हैं...

#SwetaBarnwal 
वक़्त की धुंध मे अक्सर रिश्ते खो जाते हैं, 
ज्यादा दिनों तक नज़रों से किसी के ओझल ना होना... 

#SwetaBarnwal 


हमने मुस्कुरा कर हर गम भुलाना क्या सीख लिया,
लोगों को लगने लगा कि हमे तकलीफ़ नहीं होती... 😢😢😢

#SwetaBarnwal 

Thursday 11 January 2018

एक पति की अभिव्यक्ति अपनी पत्नी के लिए...

चाह 

चाह नहीं मैं सिंदूर बन, 
तेरी मांग पे सज जाऊँ, 
चाह नहीं मैं तेरे गौरव को, 
पग-पग पे कुचलता जाऊँ... 

चाह नहीं मैं मंगलसुत्र बन, 
तेरे तन पे अपना हक जताऊं, 
तेरी इक्षाओं और ख्वाइशों का, 
गला घोंट मैं इतराऊं... 

चाह नहीं मैं बिछुआ बन, 
तेरे कदमो को चूमता जाऊँ, 
तेरे पैर की बेड़ी बन मैं,
तेरी उड़ान कुचल ना जाऊँ... 

चाह नहीं मैं तेरे हाथों का
कंगन बन खनकता रहुंँ,
रसमो-रिवाज़ की बेड़ियों मे, 
मैं तुझे जकड़ता जाऊँ...

चाहूँ तुझे मैं जीवन की
हर खुशियाँ दे पाऊँ,
तेरे स्वाभिमान की ख़ातिर,
हर एक से मैं लड़ जाऊँ...

चाहूँ तेरे कदमों को वो पंख देना, 
उड़ सके तू उन्मुक्त गगन मे, 
भर सके तू ऊँची उड़ान,
छु सके तु कामयाबी की बुलंदियों को...

चाहूँ मैं तेरे दिल में विश्वास भरना, 
तेरी आँखों में सपने और उम्मीदें भरना, 
चाहूँ तेरे सोए अरमानों को जगाना, 
बस झिलमिलाता रहे तेरा जीवन अंगना... 


#SwetaPrakash 

Wednesday 10 January 2018

दर्द...

दर्द से दोस्ती हो गयी,
ज़िन्दगी बेदर्द सी हो गई,
मैं रोती रही रात भर,
जब सारा जमाना सोता रहा,
आँसू भी थक कर सूख गए,
खुशियाँ भी सारे रूठ गए,
उठा लिया अब कागज-कलम,
लिखने लगे हम अहसास-ओ-गम,
दर्द शब्दों में सिमटते गये,
जज़्बात गज़ल बन बिकते गये,
बढ़ रहे थे सभी कामयाबी की ओर,
मैं चाँद सा बादलों मे छिपती रही,
लोग रौंदते हुए आगे बढ़ते रहे,
कभी हमे तो कभी हमारे सपनों को...
हर पग पे लोग रंग बदलते मिले,
हम आज भी वहीं हैं जहाँ से चले...



#SwetaBarnwal 

ओ पाकिस्तान होश में आओ

ओ पाकिस्तान होश में आओ



ओ पाकिस्तान होश में आओ, 
वरना हम होश मे ला देंगे, 
तेरा बाप है अपना भारत,
ये तुझको याद दिला देंगे...

गया दौर वो जब तुम हमको, 
हर वक़्त आँख दिखाते थे, 
और हम सीधे-सादे हिंदुस्तानी, 
बस चुपचाप रह जाते थे...

आँख दिखाना बंद करो वरना, 
तेरी आंँखो से गोटी खेलेंगे,
ब्रह्मोस, सूर्या, अग्नि, पृथ्वी मिसाइलें, 
तेरे ऊपर ही सारे हम छोड़ेंगे...

बंद करो अब रट काश्मीर की,
वरना पाकिस्तान भी मिट जायेगा,
नागाशाकी और हिरोशिमा से भयानक, 
विध्वंस वहां मच जायेगा... 

जिस चीन के बल पे तुम इतराते हो, 
वो खुद हमारे दम पे खाता है, 
कर दिया जो हमने उसका सामान बंद, 
वो घुटनों के बल गिर जाता है... 

भारत अपनी शान का डंका 
अब पूरे विश्व मे बजा रहा है, 
अमेरिका और रूस जैसी शक्तियां, 
भारत का लोहा मान रहा है... 

शक्ति का अपना कोई जोड़ नहीं, 
फिर भी हमे उसका घमंड नहीं, 
कमजोरों को हम नहीं सताते हैं, 
सबको गले से हम लगाते हैं... 

शांति और अहिंसा का  हम,
दुनिया को पाठ पढ़ाते हैं,
विश्व भर मे तभी तो हम, 
विश्वगुरु कहलाते हैं...

#SwetaBarnwal

काश...!

काश...!  कोई ऐसी कलम मिल जाए, 
जिससे हम अहसासों को भी बयां कर पायें... 
काश...! कोई ऐसा रंग मिल जाए,
जिससे हम दिल के भावों को भी दर्शा पाएं... 
काश...! मिल जाए वो गज़ल, 
जिसमे दुनिया भर के दर्द सिमट जाए... 
काश...! मिल जाए वो अल्फाज़, 
जिससे मिट जाए दुनिया के रंज-ओ-गम... 
काश...! मिल जाए वो तलवार #श्वेता, 
गिर जाए जिससे दिल-ओ-दिवार... 
काश...! मिल जाए मुझको वो दुआ, 
बन जाए जो हर इक मर्ज़  की दवा... 


#SwetaBarnwal 

Tuesday 9 January 2018

मैं हूँ सिपाही

मैं हूँ सिपाही,
लड़ता रहता हूँ,
बिना थके
बिना रुके,
कभी देश के अंदर
तो कभी सरहद पे,

मैं हूँ सिपाही
लड़ता रहता हूँ
कभी हालातों से,
कभी विषम परिस्थितियों से,
कभी दुश्मनों से
कभी देश में
छुपे गद्दारों से,

मैं हूँ सिपाही,
लड़ता रहता हूँ
डर नहीं मुझे
मौत का,
कफ़न बाँध
निकला हूँ घर से,
डर है मुझे
अपनों के बीच
छुपे भेड़िये से,
करते हैं जो
पीठ पे वार,

मैं हूँ सिपाही,
लड़ता रहता हूँ,
सरहद हो
या देश की हद हो,
हमारे लिए
ना कोई छुट्टी,
ना त्योहार है,
बस सबकी
सुरक्षा और खुशी
का ख्याल रखता हूँ,

मैं हूँ सिपाही
लड़ता रहता हूँ,
जान पे खेलता हूँ
सबकी रक्षा करता हूँ,
परिवार से पहले,
देश की सोचता हूँ,
हर कुर्बानी देता हूँ,
अपनों को रोता छोड़ जाता हूँ

मैं हूँ सिपाही,
लड़ता रहता हूँ,
आज सबसे सवाल
पूछता हूँ,
सियासत के नवाबों से,
जवाब मांगता हूँ,
हर एक ज्यादती का
हिसाब चाहता हूँ,

मैं हूँ सिपाही,
लड़ता रहता हूँ,
बल्लों से खेलने वाले को
करोड़ों
और जान से खेलने वालों को
भीख
क्या सिपाही से ज्यादा
देश को खिलाड़ी से प्यार है...

मैं हूँ सिपाही,
लड़ता रहता हूँ
क्यों नहीं है मंत्री के बच्चे 
हमारे साथ,
क्या उनमें छुपी है 
कोई विशेष बात, 
या वो सच्चे देशभक्त नहीं होते, 
और यदि ऐसा है कुछ 
तो बंद करो ये नाटक 
मुझे महान बताने का,
मैं जानता हूं,
ये सब साज़िश है 
खुद को बचाने का,
और मुझे वक्त से पहले 
मारने  का,

मैं हूँ सिपाही 
लड़ता रहता हूँ, 
मन मे छुपे हैं 
मेरे कई सवाल, 
पर फिर भी 
मैं मौन हूँ, 
क्यूंकि... 
मैं भी इस देश का 
एक आम नागरिक हूँ.

मैं हूँ सिपाही
लड़ता रहता हूँ,
कभी खुद से,
कभी खुद की खुद्दारी से,
सोचता रहता हूँ 
कब सब बदलेगा...! 
मैं हूँ सिपाही 
आज ख़ुद अपनी 
व्यथा कहने बैठा हूँ...। 

#SwetaBarnwal 



Monday 8 January 2018

फलसफा ज़िन्दगी का

कुछ इस कदर मुस्कुरा रही थी ज़िंदगी मेरी,
ना होश था ज़माने का, ना डर था कुछ खो जाने का,
यूँ अचानक मुसीबतों ने आ कर डेरा डाल दिया,
अंदर तक मुझको हिला दिया...

सीख अधूरी ही थी ज़िंदगी की,
और इम्तेहानों का सिलसिला शुरू हो गया,
ना संभलती तो बिखर जाती,
इस तरह मेरी ज़िन्दगी का सफर शुरू हो गया...

ना देखा गया ज़माने से ये हौसला हमारा,
हर कदम पे काँटे बिछाता गया,
बदल दिया हमने भी अपना नज़रिया,
आँखों पे पड़ा उम्मीदों का पर्दा गिरा दिया...

मुश्किलों से लड़ती रही, गिर कर उठती रही,
बिखरते अरमानों को समेटा हमने,
ज़िन्दगी मे नया मकाम पा लिया,
कामयाबी का हमने भी परचम लहरा दिया....

सहन ना हुई मेरी कामयाबी उनसे,
हर बार राह मे रोड़े लगा दिए,
गिराते रहे मेरे अपने ही मुझे हर बार,
हर बार गिरते ही मैंने हौसला बढ़ा लिया...

शुक्रिया मेरे उन चाहने वालों का,
मुझे हराने की कोशिशें जिनकी,
मुश्किलों से मुझको लड़ना सीखा दिया,
#श्वेता को ज़िन्दगी जीना सीखा दिया....

#SwetaBarnwal

ज़िन्दगी, एक पहेली....

ज़िन्दगी हर वक़्त एक अबूझ पहेली सी है, 
कभी लगती है बेगानी कभी सहेली सी है...

कभी खुशियों के पल हैं दामन मे,
तो कभी आँसुओं की लड़ी है आँखों मे,
कभी महफिल सी सजती है, 
तो कभी विरानियां छा जाती है...

कभी अपने बेगाने हो जाते हैं,
कभी बेगानों को अपना बना देती है,
कहीं कुछ छूट जाता है,
तो कहीं बहुत कुछ मिल जाता है...

कभी हंसाती है ये ज़िंदगी, 
तो कभी रुला जाती है ये ज़िन्दगी,
कभी कड़ी धूप सी जलाती है ये, 
तो कभी शीतल छाया सी है ज़िन्दगी... 

कई राज़ छिपाए है अपने सीने मे, 
हर पल नया मोड़ लेती है ये ज़िन्दगी, 
कहने को तो हिज़ाब है ज़िन्दगी, 
हकीकत में रहस्यों से भरी किताब है ज़िन्दगी... 

ज़िन्दगी हर वक़्त एक अबूझ पहेली सी है, 
कभी लगती है बेगानी कभी सहेली सी है...

#SwetaPrakash 

Saturday 6 January 2018

घायल तो लोग नज़रों से भी हो जाते,
क्या जरूरत थी हथियारों की...
दूर जाना था तो यूँ ही चले जाते,
क्या जरूरत थी दिल तोड़ जाने की...

#SwetaPrakash 

Wednesday 3 January 2018

मेरी बेटी "आराध्या"

मेरी बेटी "आराध्या", थोड़ी सी बड़ी हो गई है, 
कुछ ज़िद्दी कुछ नकचढ़ी हो गई है,

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है...

अब अपनी हर बात वो मनवाने लगी है,
हमको ही अब वो समझाने लगी है,
हर दिन नई-नई फरमाइशें होती है उसकी,
जैसे फरमाइशों की वो झड़ी हो गई है...

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है...

जब वो हंसती है तो मन को मोह लेती है,
घर के कोने-कोने में उसी की महक होती है,
कई बार उसके अजीब से सवाल भी होते हैं,
जैसे सवालों की वो लड़ी हो गई है...

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है...

अगर डांटती हूँ तो आँखें दिखाती है,
खुद ही गुस्सा कर वो रूठ जाती है,
घर के किसी कोने में कहीं छुप जाती है,
गुस्से में कभी पटाखा कभी फूलझड़ी हो गई है...

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है...

घर आते ही दिल उसी को पुकारता है,
सपने सारे अब उसी के संवारता है,
दुनिया मे उसको अलग पहचान दिलवानी है,
मेरे कदम से कदम मिला वो खड़ी हो गई है...

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है...

मेरा आज मेरा सुनहरा भविष्य है वो 
मेरे अधूरे जीवन का पूरा होता ख्वाब है वो 
अपने नन्हे हाथों से मेरे आँसुओं को पीछे 
मेरे हर दर्द की जैसे वो कोई दवा हो गई है... 

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है...

हासिल हो दुनिया में वो मकाम उसे, 
बेटी है वो मेरी इसका हो अभिमान मुझे, 
उसकी एक मुस्कुराहट मे सारे गम भूलाऊँ,
जैसे वो #श्वेता के लिए जादु की छड़ी हो गई है...

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है...

#SwetaPrakash


भँवरों पे ऐतबार कैसा,
जो हर फूल पे मंडराये उससे प्यार कैसा...

#SwetaBarnwal 

Tuesday 2 January 2018

इस कदर हमारे नाम की माला ना जपा कर
कभी खुद भी आ कर हमसे मिल लिया कर...

#SwetaBarnwal 
दो टुकड़ों मे बंट गए मेरे सारे अरमान,
कुछ तुझे मनाने निकले और कुछ मुझे समझाने...

#SwetaBarnwal 
डाल हाथों में हाथ,
चले हम दोनों साथ,
चाहे कैसी भी हो बात,
हो खुशियों की बरसात...

#SwetaBarnwal 

पश्चिमी सभ्यता का असर...

यूँ लहर चली पश्चिमी सभ्यता की,
हम अपनी संस्कृति भूल गए...
पिज्जा-बर्गर खाना भाए हमे,
माँ के हाथों की रोटी भूल गए...
Social media लुभाए हमे,
बचपन के साथी छूट गए...
Indoor game के शौकीन हुए हम,
Outdoor games छूट गए...
New year wish karna याद रहा,
संवत्सर को सारे भूल गए...
Xmas tree हमारे मन को भाए,
आंँगन की तुलसी अंधविश्वास कहलाए...
Santa wish पूरी करने वाला,
और साधु-संत ढोंगी कहलाए...
घर मे कुत्ता status symbol बतलाए,
और बूढ़े मां-बाप वृद्धाश्रम में नज़र आए...
मरियम और जीसस आदर्श बन जाए,
राम और कृष्ण काल्पनिक चरित्र कहलाए...
यूँ लहर चली पश्चिमी सभ्यता की, 
हम अपनी संस्कृति भूल गए...

#SwetaBarnwal

Monday 1 January 2018

मत पूछ कितनी रौनकें दफन हैं मुझमें,
हर बार उजड़ कर जो बस्ता रहा, वो बस्ती हूँ मैं...।

#SwetaBarnwal 
इशारों में दे दी है तुझको इजाज़त मैने,
दुआओं से ना मिलूं,,,, तो चुरा लेना मुझे....

#SwetaBarnwal 
ये बस्ती है मोहब्बत करने वालों की, 
यहां सवेरा सूरज के निकलने से नहीं दीदार-ए-यार से होता है....

#SwetaBarnwal 

ये कैसी दोहरी नीति है हमारे देश की,
ये कैसी कानून व्यवस्था बनाई है...

जहां दीपावली के पटाखे प्रदूषण फैलाए,
New year, Christmas, सबे-बरात के पटाखे echo friendly कहलाए...

जहां मंदिर मे दूध चढ़ाना बर्बादी कहलाए,
मस्जिद मे चादर चढ़ाना और चर्च मे candle जलाना आस्था कहलाए...

जहां मंदिर जाना वक़्त की बर्बादी कहलाए,
पर theatre जा कर  movie देखना fashion कहलाए...

जहां आश्रम और मंदिर मे छापे पड़ते हैं,
मस्जिद और चर्च को छूने से भी डरते हैं...

जहां होली के रंगो में पानी की बर्बादी दिखती है,
पर Mcdonald और KFC के खर्चे standard symbol बन जाते हैं...

जहां तुलसी और पीपल पूजन अंधविश्वास है,
पर प्लास्टिक का xmas tree खुशी और विश्वास का प्रतीक है...

ये कैसी दोहरी नीति है हमारे देश की, 
Ye कैसी कानून व्यवस्था बनाई है... 

#SwetaBarnwal 

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...