रोज की तरह आज फिर हम घर से निकले,
दिल में फ़िर से वही अरमान लिए,
सलामत रहे यह देश हमारा,
चाहे फ़िर हम रहे ना रहे,
सर पर बांधा है कफन हमने,
हाथों में सजाये रखा है जान,
मौत आए तो कोई ग़म नहीं,
रहे मुस्कराता देश हमारा ये कम नहीं,
हम लड़ रहे यहां ताकि तुम सलामत रहो,
माना दुश्मन अनदेखा है,
पर हौसला हमारा कम नहीं,
कई रूप है हमारे, देश के प्रहरी है हम
सड़क हो या अस्पताल हर जगह तैनात हम,
कहीं डॉ के भेष मे तो कहीं सिपाही,
कहीं सफाई कर्मचारी तो कहीं नर्स बन कर,
कहीं भूखों का निवाला बन कर,
कहीं गरीब और मजबूरों का सहारा बन कर,
कहीं बन कर विज्ञान का हाथ
भर रहे हैं ऊंची उड़ान,
ताकि जीता रहे अपना हिन्दुस्तान...
दिन रात डटे हैं हम इस जंग में,
तुम रह सको बेखौफ घर में,
ताकि जीता रहे अपना हिन्दुस्तान,
हमने धर्म और मजहब की दीवारें नहीं देखी,
हमने जात पात का मर्म ना जाना,
बिना भेद भाव के सबकी सेवा की,
किसी ने सराहा, किसी ने पलकों पे बिठाया,
किसी ने थूका तो किसी ने तलवारें भी चलाई,
किसी ने फूल बरसाये तो किसी ने पत्थर,
हौसला हमारा तनिक ना डगमगाया,
क्यूंकि हम हैं सिपाही हिंद-ए-वतन के,
चाहे तुम सम्मान दो या खेलो हमारे प्राण से,
खड़े रहेंगे हम शान से लड़ेंगे हम जी जान से,
ताकि जीता रहे अपना हिन्दुस्तान...
विपत्ति बड़ी है, सामने खड़ी है,
हम लगातार लड रहे हैं और लड़ते रहेंगे,
माना लड़ाई आसान ना होगी,
जो दे दो तुम ज़रा सा साथ,
कोई चुनौती इतनी बड़ी ना होगी,
रहो तुम सुरक्षित घर के अंदर
हम हैं तुम्हारी रक्षा के लिए हर पल तत्पर,
जो कहते थे कभी साँस लेने की फुर्सत नहीं,
आज वक़्त मिला है, जी भर कर जिओ,
हमारी किस्मत में ना सही, तुम्हें तो मिला है,
ये परिवार ही तो है जो नसीब वालों को मिला है,
अपना हर फ़र्ज़ हम निभाएंगे,
देश को इस बिमारी से बचाएंगे
ताकि जीता रहे अपना हिन्दुस्तान...
#SwetaBarnwal