Wednesday 18 December 2019

भूली बिसरी यादें...

ख़ामोशियों को समझ जाया करते कभी,
ना जाने क्यूँ अब लफ़्ज़ों की ज़रूरत पड गई,
बातें जो कहनी थी सारी अनकही रह गई,
तुम जैसे थे अब वैसे ना रह गए,
थोड़ा वक्त बदल गया थोड़े हालात बदल गए,
ना जाने कैसे पास से अब दूर हम हो गए,

मोहब्बत बस अब अल्फाज़ बन कर रह गए,
दरमियाँ बस अब हमारे ख़ामोशियों रह गई,
कुछ मिल गया कुछ मिल कर खो गया,
जाने कहाँ अब वो लम्हा खो गया,
अब ना कोई आरजू दिल में रह गई,
जिसे चाहा था कभी वो किसी और के हो गए,

मुद्दतों बाद आज यूँ ही एक अनजाने मोड़ पर
उनसे अचानक मुलाकात हो गई,
सांसे रुकने लगी, होंठ सिलने लगे,
सदियों पुराने दिन ना जाने क्यूँ आज फ़िर याद आने लगे,
जो कहते थे कभी ना छोड़ेंगे हाथ तेरा,
वो आज बहुत दूर नज़र आने लगे,

देखते ही उनको आँखे ना जाने क्या बयां कर गई,
बात दिल की जो थी दिल में ही रह गई,
लब हिले भी नहीं और बात हो गई,
जो करनी थी शिकायत जाने कहाँ खो गई,
कुछ अधूरे से तुम कुछ अधूरे से हम,
मिली नजरों से नज़र और बात हो गई,

बातें कहनी थी बहुत अब अनकही रह गई,
सदियों का रिश्ता पल में सिमट कर रह गया,
कही अनकही, सुनी अनसुनी सब भूल कर,
फ़ेर लिया मुह हमने भी अब अतीत से, 
जो छोड़ गए थे साथ उसे रस्ते में छोड़ आए हम,
कल को दफन कर अपने आज से रिश्ता जोड़ आए हम...


#SwetaBarnwal


Monday 16 December 2019

ज़िंदगी... हर पल घटेगी...

कभी मुस्कान में बितेगी
कभी आँसुओं मे कटेगी
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...
यूँ तो ख़्वाहिशें बहुत है
और पाने की उम्मीदें भी,
मालूम है
कुछ जाएगा नही साथ,
फ़िर भी चिंताएं लिए फिरते हैं हजार,
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...
चाहे जितनी पैबंद लगा लो
जिंदगी की जेब में,
फ़िर भी निकल ही जाते हैं
खुशियों के चंद लम्हें
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...
ज़िंदगी का अपना
बस इतना सा ही फ़साना है,
आज है दर्द
तो कल ख़ुशी का खज़ाना है,
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...
एक दूसरे के मन को टटोलते रहिए,
है क्या दिलों में सबके जानते रहिए,
मुलाकातें हो ना हो रिश्ता ज़िंदा रहे,
दिलों में सबके मोहब्बत जिंदा रहे,
ये जिंदगी है दोस्तों
हंसो या रोओ
हर पल घटेगी...


#SwetaBarnwal 

तुम जैसे हो... अच्छे हो...

तुम जैसे हो... अच्छे हो...
ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

कभी किसी के लिए खुद को बदलने की कोशिश ना करना,
छोड़ दो औरों की नज़र से ख़ुद को देखना,
छोड़ दो ज़माने की हर बात पे ध्यान देना,
हर एक को खुश रख पाना यहां मुमकिन नहीं,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

इसने तो भगवान को भी ना छोड़ा, हम तो इंसान हैं
इसने तो माँ सीता के सतित्व पर भी सवाल उठाया था,
ना जाने पीठ पीछे कैसे कैसे इल्ज़ाम लगाया था,
राजा हरिश्चंद्र को भी अग्नि परीक्षा यहां देनी पडी थी,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

कभी अपने उसूलों से सौदा ना करना,
कभी अपने अरमानों की आहुति मत देना,
कभी किसी और के लिए अपने मन को ना मारना,
यहां लोग पल भर में ना जाने कितने रंग बदलते हैं,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

जब जो जी मे आए वो कह डालना,
जब जो जी मे आए वो कर गुज़रना,
बस इतना याद रखना तुम्हारी वज़ह से किसी की आँख में आंसू ना आए,
ख़ुश हो ना हो कोई तुम्हारी वज़ह से दुःखी ना हो,
बाकि जीना वैसे ही जैसे तुम्हारा दिल जाए,
भूल कर सारे जहाँ को बस आज मे जीना,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

भीड़ से अलग निकल, ख़ुद की एक नई पहचान बना,
भरोसा रख ख़ुद पर कि एक नया आयाम बना,
फर्क़ नहीं पड़ता है कि तुम सौ बार नाकाम हुए,
जीत मिले ना मिले तजुर्बे तुझे हजार मिलेंगे,
जो तुम चुप चाप बैठ गए तो क्या होगा,

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

अपने अंदर के जज़्बे को संजो कर रखना,
बच्चे बनकर रहना सदा, समझदारों को अक्सर लुढकते देखा है,
बहुत जी लिया औरों के लिए, दो पल के लिए खुद से भी मिल लो,
थक गए होगे भागते भागते, दो पल के लिए सुस्ता तो लो,
पलट जाए शायद किस्मत तुम्हारी,
दो पल के लिए ही अपने प्रभु को मन में बसा तो लो...

ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,

तुम जैसे हो... अच्छे हो...
ये दुनिया है...हर बात में नुक्स निकालती है,
कभी किसी के लिए खुद को बदलने की कोशिश ना करना...

#SwetaBarnwal




Thursday 12 December 2019

साथ...

साथ मिलकर चलते हैं ना,
सपनों में ही रहते हैं ना,
कुछ तुम कह लेना
कुछ हम सुन लेंगे,
प्यार की एक नई
मुरत हम मिलकर गढ़ेंगे,
देखें सपने एक जैसे
बंधे हुए हैं एक ही डोर से,
रहे हाथों में अब हाथ तेरा,
छूटे कभी ना साथ तेरा,
एक दूजे के हो जाएं हम,
एक दूजे मे खो जाएं हम,
साथ कभी ना छोड़ेंगे हम,
ये वादा कभी ना तोड़ेंगे हम,
टूट जाए चाहे साँसों की डोर,
मुह कभी ना मोड़ेंगे हम,
चलो चलें हम साथ
एक ऐसे जहां मे
ज़िंदगी गुजरे जहाँ
एक दूसरे के पनाह मे...


#SwetaBarnwal



Tuesday 3 December 2019

जरा चाय बना देना...

ए...! चाय बना देना,
ए..! खाना निकाल देना,
ए..! देखो बगल की चाची आई है, प्रणाम करो,
ए..! दरवाजे के सामने ऐसे क्यूँ खड़ी हो,
बस कुछ इन्हीं शब्दों का आदि हो चुके थे आशा के कान और वो यही सोचती, "क्या सबकी सासु माँ ऐसे ही बात करती हैं"
आशा एक पाढ़ी लिखी और समझदार लड़की थी जो अभी अभी तो मायके से ससुराल तक का सफ़र तय कर आई थी दिल में कई अरमान लिए. बड़े जतन से सबका मान रखती. पर सास का "ए" से संबोधन उसे बहुत खलता, क्या जाता अगर सासु माँ उसे बेटी, बहु या फिर उसके नाम से ही बुला लेती .
फ़िर एक दिन,
ए...! जरा चाय बना देना,
आशा ने सास की बात को अनसुना कर अपने काम मे लगी रही, शाम को पति के घर आते ही सास ने उसकी शिकायत की. आशा भोली और अंजान बनी रही. सास ने अपने वाक्य दुहराया कि शाम को उन्होंने आशा को कहा था कि
"ए...! जरा चाय बना देना"
पर वो अनसुना करके चली गई, तभी आशा ने तुरंत कहा कि यहां "ए" कौन है...?
उसके पति को तुरंत उसकी बात समझ आ गई और उन्हों अपनी माँ को समझाया कि वो आशा को उसके नाम या बेटी या बहु से बुलाया करे ना कि "ए" कह कर, आखिर वो भी तो उसकी बेटी जैसी ही है. सासु माँ को जैसे ही बात समझ आई, उन्हों ने आवाज लगाई...
"बेटी आशा..! जरा चाय बना देना..."
और ये सुन सब खिलखिला कर हंसने लगे...

#SwetaBarnwal 

श्रृंगार...

कैसे तेरा श्रृंगार करूँ मैं बिटिया,
कैसे तुझसे लाड लड़ाऊं मैं बिटिया,
हर मोड़ पर दुश्मन बैठे हैं
कैसे तुझको सबसे बचाऊं मैं बिटिया,
ना जाने कितनी निर्भया लूटी गई,
और ना जाने कितनी जल कर राख हुई,
किस किस से आख़िर कैसे बचाऊं तुझको,
हर कदम पे ज़ालिम बैठे हैं,
माँ हूँ मैं तेरी हर आहट पे डर सी जाती हूँ,
कौन है अपना और कौन पराया
मैं सबसे खौफ़ खाती हूँ,
ना जाने कब कौन सी नजर उठे तेरी ओर,
ना जाने किसकी हैवानियत जाग उठे,
सोचूँ मैं ये खड़े खड़े
ना जाने किस मिट्टी से विधाता ने इसे गढ़े,
आख़िर क्यूँ नित नए हैवानियत के खेल खेल रहा है कोई,
ना जाने क्यूँ बेटियों की बोटियां नोच रहा है कोई,
क्या दोष था उन मासूम बच्चियों का,
क्या गुज़री होगी उनके माँ बाप पे,
कैसे उन्होंने रात गुज़ारी होगी,
कैसे अपनी बेटी की बोटियां समेटी होंगी,
धरती का सीना भी फट जाता होगा,
जब कोमल कलियां कुचली जाती होंगी,
हर नज़र से कैसे बचाऊं तुझको,
जी चाहता है दुनिया से छुपा लूँ तुझको,
अपने आँचल के छांव मे समेट कर,
किसी दूसरे जहां मे ले जाऊँ तुझे,
हर नज़र यहाँ पर गंदी है,
हर छुअन यहाँ की भद्दी है,
कैसे ये बात अभी मैं समझाऊं तुझे,
छोटी सी है तू अभी, नादान उमर है तेरी,
अब नहीं कृष्ण आयेंगे द्रौपदी की लाज बचाने को,
ना रचेगा तेरे लिए अब इतिहास कोई,
तुझे ख़ुद ही रण चंडी बन जाना होगा,
हैवानों को उनकी औकात बतानी होगी,
आ गया है वक्त कुछ कर गुजरने की,
ऐसी नीति बनानी होगी जो दहल उठे दुष्टों का सीना,
बढ़े हाथ जो बेटियों को छूने
कुचल उन्हें आगे बढ़ जाना होगा,
बंद करो ये मोमबत्तियां जलाना,
नही चाहिए अब कोई झूठी हमदर्दी,
ये वीरों की धरती है कोई हिजड़ों की ये बस्ती नहीं,
यहां रामायण और महाभारत छिड़ जाते हैं
जो नारी की स्मिता पे बुरी नजर किसी ने डाली,
उठा लाओ विष्णु का सुदर्शन
और छिन लो उन मर्दों से मर्द होने का दंभ
जिसने छीना है हमारी बेटियों से उनकी आज़ादी,
तभी तो कर पाएगी हर माँ अपनी बेटियों का श्रृंगार,
वर्ना खत्म हो जाएगा श्रृंगार का अस्तित्व
और ये सृष्टि हो जाएगी विरान...


#SwetaBarnwal

चाहत...

तुझसे ना जाने क्यूँ ऐसी चाहत हुई है,
हर पल तेरे आने की जैसे आहट हुई है,
तेरी याद मे ख़ुद को भी भूल जाने लगी हूँ,
तेरे ही ख्वाबों मे अब खोने लगी हूँ,
हर शय पे तेरा ही नाम लिखती और मिटाती हूँ,
तुझे चाहती थी अब पूजती भी हूँ,
है नाराज़ ख़ुदा भी अब मुझसे,
तेरे सज़दे मे जो सर झुकाने लगी हूँ,
बड़ी ही बेरुखी सी गुज़र रही थी जिंदगी अपनी,
तुझे पाकर अब जैसे मुस्कराने लगी है,
यूँ तो कोई शिकायत ना थी जिंदगी से मुझको,
पर कोई ख्वाहिश भी ना थी जीने की मुझको,
तू मिला तो जैसे खिल उठी हूँ मैं,
तेरे इश्क में अब मैं संवरने लगी हूँ,
तेरा साथ पाकर मुझे भी करार आने लगा है,
चाहत में तेरी इस जिंदगी से
मैं राहत के कुछ पल चुराने लगी हूँ,
तुझसे हर राज़ दिल के बताने लगी हूँ,
ना जाने तुझे क्यूँ इतना चाहने लगी हूँ,
तेरे इश्क के रंग में मैं जब से रंगी,
जीवन में हर रंग मेरे खिलने लगे,
तेरे इश्क का मुझ पर हुआ यूं असर है
दुनिया जहां मैं भुलाने लगी हूँ,
बड़ी उलझनें हैं बड़ी बेबसी है,
उल्फत मे मेरी जान ऐसे फंसी है,
तुझसे है चाहत तुझी से हर हसरत,
तेरे प्यार मे मैं यूँ दीवानी हुई,
जैसे राधा हो गई श्याम की...

#SwetaBarnwal

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...