Saturday 12 March 2022

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है... 


किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो,

और किसी को जीवन भर तरसाते हो, 

कोई लाखों की किस्मत का मालिक बन बैठा है,

और किसी का मुकद्दर अधर में अटका है, 


ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है... 


किसी की झोली में जहां भर की खुशियां दे रखा है 

और कोई खोखली हंसी को भी तरसता है,

किसी की हाथों में कामयाबी का परचम,

और कोई दर-बदर की ठोकर खाने को 


ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है... 


किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो,

और किसी को जीवन भर तरसाते हो, 

कोई लाखों की किस्मत का मालिक बन बैठा है,

और किसी का मुकद्दर अधर में अटका है, 


ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है... 

किसी को छप्पन भोग खिलाता है, 

किसी को खाली पेट सुलाता है, 

किसी को महल अट्टालिका दिलाता है, 

किसी को टूटी मड़इया बिन तरसाता है, 

ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है... 


किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो,

और किसी को जीवन भर तरसाते हो, 

कोई लाखों की किस्मत का मालिक बन बैठा है,

और किसी का मुकद्दर अधर में अटका है, 


ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है... 


किसी की झोली में जहां भर की खुशियां दे रखा है 

और कोई खोखली हंसी को भी तरसता है,

किसी की हाथों में कामयाबी का परचम,

और कोई दर-बदर की ठोकर खाने को मजबूर,


ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है... 


किसी की झोली में जहां भर की खुशियां दे रखा है 

और कोई खोखली हंसी को भी तरसता है,

किसी की हाथों में कामयाबी का परचम,

और कोई दर-बदर की ठोकर खाने को मजबूर,


ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...


#SWETABARNWAL 

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ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...