Saturday 10 March 2018

एक सीख

धम्म 

(एक लघु कथा) 


धम्म...! 
कड़ाके की सर्दी थी, अचानक आधी रात को अपार्टमेंट में सो रहे लोगों की नींद इस आवाज़ से खुली। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर ये आवाज़ कैसी थी, पर किसी अनिष्ट की आशंका से सभी सहमे से थे। सब बेहवास से दौड़े, कोई बालकनी की तरफ़ तो कोई अपार्टमेंट के नीचे की ओर भागा। कोई आँखें मीच रहा था तो कोई अपने कपड़े को ठीक कर रहा था।
अपार्टमेंट के नीचे अचानक अफरातफरी मच गई, चौकीदार ने सबको आवाज़ लगाई। पांचवें माले के शर्मा जी के बेटे शान्तनु ने छत से छलांग मार दी। काफ़ी लोग जमा हो चुके थे, सब के चेहरे पर भाव आ जा रहे थे। सवाल कई थे, पर जवाब किसी के पास नहीं था। शांतनु के माता-पिता दोनों को काटो तो खून नहीं। उनकी गोद में अब उनके बेटे की जगह खून से लथपथ मांस का लोथड़ा शेष था। शांतनु के प्राण पखेरू उड़ चुके थे। माता-पिता ने अपनी इकलोती संतान खो दी थी।
जैसे तैसे कर सबको संभाला गया। पुलिस और ambulance आ चुकी थी। शान्तनु के पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम के लिए ले जाना था। पुलिस शर्मा जी से शान्तनु के आत्महत्या से संबंधित कुछ सवाल करने लगी और इस के बाद जो सच्चाई सामने आई वो यकीनन दिल दहला देने वाली थी।
शान्तनु एक औसत विद्यार्थी था। जैसे-जैसे उस के बोर्ड की परीक्षा का समय नज़दीक आ रहा था उसपर उसकी माँ का दबाव बढ़ रहा था। शान्तनु को sports मे रुचि थी, जबकि उसकी माँ उसे फाइटर पायलट बनाना चाहती थी। इसके लिए माँ ने कई ट्यूशन लगवा दिए थे, घर में भी पूरा वक़्त पढ़ाई का दबाव था। उसके बाहर आने-जाने, दोस्तों से मिलने, खेलने, दूरदर्शन, दूरभाष आदि सब पर पाबंदी थी। दिन प्रतिदिन शान्तनु मुरझाता जा रहा था। शायद आज उस के सब्र का बांध टूट गया था। पुलिस ने ध्यान दिया तो पाया कि शान्तनु के हाथ में एक कागज का टुकड़ा था जो पूरी तरह से खून से सन चुका था। पुलिस ने उसे निकाल कर पढ़ा तो सब स्तब्ध रह गए। उसमे लिखा था ;
I am sorry माँ, 
मैं आपका लायक बेटा नहीं हूँ। 
मुझमे आपके सपनों को पूरा करने की काबिलियत नहीं है। 
मुझे माफ़ कर देना। 
I love you so much माँ-पापा...
सबकी आँखें छलछला उठी थी। शान्तनु की माँ तो जैसे निर्जीव हो चुकी थी। वो ज़िंदा तो थी, पर शायद ज़िन्दगी शेष ना थी।


#SwetaBarnwal 



No comments:

ऐ विधाता...!

 ऐ विधाता...! ना जाने तू कैसे खेल खिलाता है...  किसी पे अपना सारा प्यार लुटाते हो, और किसी को जीवन भर तरसाते हो,  कोई लाखों की किस्मत का माल...