मैं इस श्रृष्टि मे जीवन का आधार हूँ,
मैं एक बेटी, बहन, माँ और पत्नी हूँ,
मैं जीवन ज्योत बन जीवन को आलोकित करती हूं,
ख़ुद जलकर घर आँगन को रौशन करती हूँ,
मैं नारी हूँ हर एक का बोझ उठाती हूँ,
अपने अंदर मैं जीवन का अंश रखती हूँ,
दुनिया के संचार मे मैं एक अहम किरदार निभाती हूँ,
हुई जो कमी किसी मे भी बाँझ मैं ही कहलाती हूँ,
मैं नारी हूँ हर एक का बोझ उठाती हूँ...
तेरे कदम से कदम मिला कर चलती हूँ,
तेरी कामयाबी को अपना मुकद्दर समझती हूं,
पर कभी भूले से जो मैं आगे निकल जाऊँ,
तो सब की आंखों को चुभती हूँ,
मैं नारी हूँ हर एक का बोझ उठाती हूँ...
तुम्हारी हर बात सही हर रिश्ता जायज,
तुम्हारा परिवार, तुम्हारे दोस्त, तुम्हारी पसंद,
सबको मन से या बेमन से, मैंने अपना बनाया,
पर मेरा और मेरी खुशियों का क्या,
मेरा किसी के साथ मुस्कुराना भी दुनिया को गवारा नहीं,
क्यूँ छन से टूट जाती है सब के विश्वास की दीवार,
क्यूँ मेरे सपने और खुशियाँ बोझ बन जाती है,
मैं नारी हूँ, हर एक का बोझ उठाती हूँ...
#SWETABARNWAL
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